महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा शुरू किए गए जलयुक्त शिवार अभियान ने विदर्भ और मराठवाड़ा के सूखे प्रभावित इलाकों के किसानों को काफी राहत पहुंचाया है। जलयुक्त शिवार अभियान महाराष्ट्र सरकार ने जल संरक्षण के लिए चलाया था जिसका उद्देश्य साल 2019 तक राज्य को सूखा रहित बनाना है। इस जल संरक्षण योजना के तहत पानी के सही उपयोग के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को प्रोत्साहित किया जाएगा जिससे सिंचाई वाले क्षेत्रों में वृद्धि होगी। सरकार ने शुरू में इस योजना के लिए 1000 करोड़ रुपये आवंटित किया है। इसके अलावा, सभी मौजूदा जल संरक्षण योजनाएं भी इसी योजना के अंतर्गत आयेंगी। महाराष्ट्र का कई हिस्सा अभी भी सूखे की मार झेल रहा है और राज्य में किसानों की बढ़ती आत्महत्या की खबरों के बाद राज्य सरकार ने इस हालात से निपटने के लिए इस योजना की शुरुआत की। तलाबों को खोदने के अलावा इस योजना से बावड़ियों, कुओं एवं नालों को पुनर्जीवित करना, बांध के आसपास वृक्षारोपण, छोटे तालाब का विस्तार करना है जिससे पानी को रोका जा सके और उसका सही प्रवाह हो सके। इसके अतिरिक्त ये संरक्षण-संबंधित मुद्दों जैसे कि झील, तालाबों, खेतों के तालाबों और नहरों से आने वाली गंध को भी खत्म करेगा।
जल विभाग के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक जहां सूखे प्रभावित गांवों में जलयुक्त शिवार का काम पूरा हो चुका था वहां जल टैंकरों में कमी आयी है। इस गर्मी के चार महीनों में 12000 गांवों को पानी के लिए सिर्फ 152 टैंकरों की आवश्यकता पड़ी थी जो पहले पूरी तरह से टैंकर पर निर्भर रहते थे। इन क्षेत्रों में पानी के टैंकर में कमी आयी है। जहां 2011 में 379 टैंकरों की आवश्यकता पड़ती थी वहीं 2017 में ये संख्या 366 हो गई थी। जल संरक्षण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, “कुल 16521 गांवों में जलयुक्त शिवार का काम शुरू किया गया। इन गांवों में कुल परियोजना की लागत 4.98 लाख की थीं।” संरक्षण योजना पर खर्च किया गया पैसा सरकार के अलावा लोगों से भी लिया गया है। पिछले तीन वर्षों से परियोजना में सार्वजनिक योगदान 630.62 करोड़ रुपये का था और सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से परियोजनाओं की संख्या 10522 थी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जनता के समर्थन पर खुशी जाहिर की है और कहा, “जलयुक्त शिवार की सफलता सार्वजनिक साझेदारी है। ये जन आंदोलन बन गया है जहां ग्रामीण वासियों ने अपने श्रम दान और मौद्रिक योगदान के जरिये इस योजना में अपनी भूमिका निभाई है। इस परियोजना के स्वामित्व की भावना इसे अद्वितीय और स्थाई बनाती है।” इस महत्वकांक्षी योजना पर खर्च किये गये नकदी परिणाम की तुलना में बहुत कम है। जल संरक्षण विभाग के मुताबिक, “16521 गांवों में 4.98 लाख खर्च हुआ है जो तीन वर्षों में कुल खर्च 7258 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं है।“
भारतीय वन सर्वेक्षण 2017 की रिपोर्ट ने भी इस योजना का सकारात्मक नतीजा दिखाया है। मंत्री सुधीर मुंगतीवार ने जल संरक्षण योजना की सफलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, “महाराष्ट्र में जल संरक्षण क्षेत्रों में 432 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। जलयुक्त शिवार जल संरक्षण कार्यक्रम को धन्यवाद, ये वृद्धि जलयुक्त शिवार और वन विभाग द्वारा किए गए अन्य जल संरक्षण कार्यों की वजह से संभव हुआ है।” रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के जंगलों में कुल जल संरक्षण का क्षेत्र 2015 में 1,116 वर्ग किमी था जो 2017 में 1,548 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ गया। वन विभाग ने 2014-15 और 2016-17 के बीच 33,747 जल संरक्षण-संबंधित कार्यों को मंजूरी दे दी है, जिनमें से 28,741 परियोजनाएं पूरी हो गयीं हैं।
महाराष्ट्र लंबे समय से सूखे से पीड़ित है और देश में सबसे सूखे राज्यों में से एक है। पिछली सरकारों ने सूखे की समस्या को हल करने का वादा तो किया था लेकिन उनमें से किसी ने भी इस दिशा में काम नहीं किया। फडणवीस सरकार द्वारा लायी गयी इस नई योजना से राज्य के किसानों में नई उम्मीद जगी है। सूखे से जुड़े मुद्दों के कारण महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं और यदि ये योजना महाराष्ट्र में किसानों की समस्याओं को हल करने में कामयाब रही तो इस योजना को अन्य सूखा प्रभावित राज्यों में उनकी स्थानीय स्थितियों के अनुसार लागू किया जा सकता है।