अंकित के परिवार को 5 महीने बाद भी केजरीवाल सरकार ने वादे के मुताबिक नहीं दिया मुआवजा

अंकित सक्सेना केजरीवाल

आपको अंकित सक्सेना का नाम याद है ? वही लड़का जिसकी सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गयी थी क्योंकि वो एक मुस्लिम लड़की से प्यार करता था? ऐसा लगता है कि ये मामला इतनी जल्दी नहीं सुलझेगा। अंकित के पिताजी ने हाल ही में ‘सांप्रदायिक सद्भाव’ बनाये रखने के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था इसके कुछ हफ्तों बाद ही दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) ने अंकित के परिजनों को अभी तक मुआवजा न मिलने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है।

डीएमसी अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खान के मुताबिक, अंकित अपने घर का इकलौता सदस्य था जो घर का खर्च चलाता था अब उसकी मौत के बाद अंकित के पिता यशपाल सक्सेना बुढ़ापे में परिवार का बोझ अकेले उठा रहे हैं। अपने पत्र में उन्होंने लिखा,” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने परिवार से मुलाकात की थी और परिवार को पांच लाख रुपये मुआवजे देनेका वादा किया था। लेकिन अभी तक ये वादा पूरा नहीं किया गया है।”

अध्यक्ष ने ये भी बताया कि ये पत्र मुख्यमंत्री को उनके द्वारा मुआवजे देने के ‘वादे को ‘याद’ दिलाने के लिए लिखा गया है और इस मुआवजे को 20 लाख तक बढ़ाने का आग्रह किया गया है ताकि पीड़ित के माता पिता को बुढ़ापे के लिए कुछ सहारा मिल जाए। उन्होंने इस घटना को उन्माद में बदलने से रोकने के लिए यशपाल सक्सेना की सराहना भी की। उन्होंने आगे लिखा, ”हम यशपाल जी का शुक्रिया अदा करते हैं कि जिन्होंने अपने बेटे की हत्या को सांप्रदायिक तनाव में बदलने से रोका और लोगों को शांत बने रहने के लिए आग्रह किया।”

उन्होंने कहा, ”इसी का नतीजा है कि दिल्ली एक नए हिंसा से बच गया था। कुछ दिनों पहले यशपाल सक्सेना ने एकता और शांति को बढ़ावा देने के लिए एक हिंदू-मुस्लिम इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था।”

जो नहीं जानते कि अंकित सक्सेना कौन है तो बता दें कि वो एक फोटोग्रफेर था जिसे एक मुस्लिम लड़की से प्यार हो गया था और 1 फरवरी को लड़की के परिजन और उसके बड़े भाई ने अंकित का बीच  सड़क पर गला रेत दिया था इसके बाद उसे  मरने के लिए छोड़ दिया गया था।

जाहिर है कि इस घटना के चर्चा में आने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पीड़ित परिवार का दौरा किया और उन्हें 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का वादा किया था लेकिन अभी तक पीड़ित परिवार को मुआवजे की रकम का भुगतान नहीं किया गया है।  स्पष्ट रूप से दादरी के मोहम्मद अखलाक जिसकी घर में गोमांस रखने के संदेह पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी उसे मिले कुल मुआवजे और पूर्व छात्र संघ के नेता रोहित वेमुला जिसकी आत्महत्या पर राजनीतिकरण किया गया था उसके परिवार को मिले 15 लाख (लगभग) मुआवजा अंकित के परिवार को मिलने वाले मुआवजे से काफी ज्यादा है।

इस पत्र ने अरविंद केजरीवाल और उनके समर्थकों के धर्मनिरपेक्षता के मुखौटे का खुलासा किया है। वो मुआवजे की घोषणा करते हैं और इसे अपने व्यक्तिगत मानदंडों के आधार पर वितरित करते हैं। यदि कोई उनके मानदंडों पर खरा नहीं उतरता जैसे डॉक्टर पंकज नारंग की हत्या का मामला जिसमें पीड़ित को अभी तक न्याय नहीं मिला है।

न केवल मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सक्सेना परिवार को मुआवजे की राशि देने से मना कर दिया बल्कि उन्होंने अपराधियों के खिलाफ परिवार को कोई भी कानूनी सहायता देने के वादे को भी पूरा नहीं किया। हमें लगता है कि अंकित सक्सेना की हत्या ‘प्रगतिशील’ सरकार के लिए ज्यादा मायने नहीं रखता है। इस तरह का विश्वासघात निश्चित रूप से दिल्ली की जनता द्वारा हलके में नहीं लिया जायेगा जो पहले ही इस वर्तमान सरकार के अंतर्गत कुशासन और फालतू के हड़ताल और आंदोलनों से पीड़ित हैं।

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