भारत के एलीट स्पेशल फोर्स एनएसजी को कश्मीर में किया गया तैनात

एनएसजी कश्मीर

जम्मू-कश्मीर के संबंध में केंद्र सरकार ने दूसरा सबसे बड़ा कदम उठाया है। जबसे बीजेपी ने पीडीपी से अपना समर्थन वापस लिया है तबसे घाटी में सरकार आक्रामक हुई है। अब राज्य में राज्यपाल शासन है। बीते कल आतंकियों के सफाए के लिए सुपरकॉप के विजय कुमार को राज्यपाल का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया जिन्होंने ऑपरेशन कोकून में वीरप्पन को मार गिराया था। इसके बाद एक और बड़े फैसले में छत्तीसगढ़ के कैडर आईएएस अधिकारी बी.वी.आर सुब्रमण्यम को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया। पुलिस ने अलगाववादी नेता यासीन मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया है और अन्य अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक को भी नजरबंद कर दिया गया है। इसके बाद एक और बड़े कदम में जिसकी जरूरत भी थी, ‘ब्लैक कमांडो’ के नाम से मशहूर नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स (एनएसजी) के दस्ते को कश्मीर में तैनात किया गया है। एनएसजी का उद्देश्य ‘सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा’ है। निखिल कुमार जो एनएसजी के निदेशक के रूप में काम कर चुके हैं उन्होंने इस विशेष बल पर कहा, “एनएसजी दुश्मनों पर हमला करता है और अपने लक्ष्य को हासिल कर चुपचाप वापस भी आ जाता है, ठीक वैसे ही जैसे पौराणिक चक्र (सुदर्शन चक्र) अपने शत्रुओं का खात्मा करता है और भगवन कृष्ण की उंगली पर वपास आ जाता है।“

एनएसजी कमांडोज अपने 5 सब मशीन गन, स्नाइपर राइफल, दीवार के उस पार देखने की क्षमता वाला रडार और सी-4 एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल करके निश्चित रूप से आतंकियों के खात्मे की प्रक्रिया को तेज कर देगा और आतंक को बढ़ावा देने वाले कारकों को भी कम देगा। 2017 में 80 सुरक्षा बल अधिकारी और इस साल 30 सुरक्षा बल अधिकारियों की जान गयी है। स्पेशल कमांडोज की तैनाती का फैसला तब आया है जब आतंक विरोधी अभियानों में सुरक्षा अधिकारियों के हताहत होने की संख्या बढ़ी है। जब आतंकवादी किसी बिल्डिंग या घर में छुप जाते हैं तब सुरक्षा बलों के लिए उन्हें खत्म करना मुश्किल हो जाता है। इससे उनके हताहत होने की संभावना बढ़ जाती है और संपत्ति को भी काफी नुकसान होता है। एनएसजी कमांडोज अपने जटिल हथियारों से आतंकवादियों को खत्म करेंगे साथ ही इससे सुरक्षा बलों के हताहत होने की संख्या भी कम होगी। एक एनएसजी का दस्ता पहले ही कश्मीर में तैनात किया जा चुका है और ये श्रीनगर के पास हुमाहा में स्थित बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स कैंप में कठोर प्रशिक्षण से गुजरा है। आंतक विरोधी अभियान में महारत रखने वाले एनएसजी कमांडो शहरी लड़ाई और समीप की लड़ाई में माहिर होते हैं और वो भारतीय संसद को भी जवाबदार नहीं है वो केवल भारत की खुफिया एजेंसी- रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए जवाबदेह हैं।

कश्मीर एनएसजी कमांडो के लिए अपने कौशल का परिक्षण करने के लिए उपयुक्त है खासकर नजदीक से हमलों के लिए एनएसजी और राष्ट्रीय राइफल्स मिलकर कश्मीर के आतंकियों में भय पैदा कर देगा। ऐसा लगता है कि सरकार कश्मीर पर तेजी से बढ़ रही है। एनएसजी की उपस्थिति घाटी में आतंकियों के सफाए में मदद करेगा।

एनएसजी की स्थापना ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद हुई थी जिसे भारतीय सेना ने उन आतंकवादियों को खत्म करने के लिए किया था जो बलपूर्वक स्वर्ण मंदिर में प्रवेश कर गये थे और पवित्र स्थान का उपयोग अपने आतंकी अभियान के लिए कर रहे थे। भारतीय सेना द्वारा किये गये इस ऑपरेशन में स्वर्ण मंदिर को काफी क्षति पहुंची थी और इसलिए एनएसजी जैसे स्पेशल फोर्स का गठन करने की आवश्यकता महसूस हुई थी और 1985 में नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स एक्ट के अंतर्गत एनएसजी अस्तित्व में आया था।

एनएसजी कमांडोज द्वारा 1988 में सबसे बड़े ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम दिया गया था जब 1,000 एनएसजी कमांडोज आतंकवादियों पर हमला कर उन्हें खत्म करने के लिए स्वर्ण मंदिर के अंदर प्रवेश किया था। ब्लैक कमांडो को 26/11 के आतंकवादी हमले में भी आतंकवादियों के खात्मे के लिए तैनात किया गया था। गुजरात के गांधीनगर स्थित अक्षरधाम मंदिर में आतंकवादी हमले के दौरान एनएसजी कमांडो ने सफल आतंकवाद विरोधी अभियान को अंजाम दिया था। वर्तमान समय में एनएसजी के साथ कुल 7,500 कर्मी काम कर रहे हैं।

Exit mobile version