प्रियंका चोपड़ा अभिनीत क्वांटिको ने ‘हिंदुओं’ को आतंकवादी के रूप में चित्रित किया

प्रियंका चोपड़ा क्वांटिको

प्रियंका चोपड़ा का अमेरिकन टेलीविज़न शो क्वांटिको अपने तीसरे सीजन के बाद ऑफ एयर हो रहा है, ऐसा लगता है कि ये बहुत ही घटिया तरीके से बंद हो रहा है। इसके ताजा एपिसोड में ‘भारतियों’ को न्यूयॉर्क के मैनहैटन को न्यूक्लियर अटैक से उड़ाने की कोशिश करते दिखाया गया है। इस एपिसोड में जोकि 1 जून को टेलीकास्ट हुआ था, एक एमआईटी प्रोफेसर ने परमाणु बम बनाने की योजना के साथ युरेनियम हासिल किया। उनका लक्ष्य न्यूयॉर्क में आयोजित एक भारत-पाकिस्तान शिखर सम्मेलन है। इस एपिसोड में न सिर्फ भारतीयों को एक भयंकर हमला करने की कोशिश करते हुए दिखाया गया है बल्कि पाकिस्तान को इस पूरे एपिसोड में निर्दोष के रूप में प्रस्तुत किया गया है। हिंदू धर्म पर कायरता से किये गये इस हमले में जिन ‘भारतियों’ मैनहैटन को न्यूक्लियर से उड़ाते हैं हुए दिखाया गया है वो हिंदू पुरुष हैं जिन्होंने रुद्राक्ष पहना है। प्रियंका चोपड़ा की अगुवाई में एफबीआई द्वारा इस हमले और तोड़-फोड़ करने के पीछे की साजिश का खुलासा करते हुए दिखाया गया है। भारत को बदनाम करने वाले इस बेतुके और अपमानजनक साजिश ने स्वाभाविक रूप से उन भारतीयों को परेशान किया है जो इस एपिसोड में दिखाई गयी कहानी से गुस्से में हैं और लोगों ने इस एपिसोड को लेकर गहरी निराशा भी व्यक्त की।

स्टोरीलाइन और सही पटकथा कभी इस फ्लॉप टेलीविज़न शो का हिस्सा नहीं रही है। एक घिसे-पिटे टाइम-जम्प तकनीक वाले शो में प्रियंका चोपड़ा एलेक्स पारिश की भूमिका में हैं जोकि FBI की एजेंट हैं।  इस बेकार स्टोरीलाइन के शो में के जो भी दर्शक रहे हैं वो शायद इस अमेरिकन शो में मुख्य भूमिका निभा रही बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा की वजह से था। शायद यही वजह होगी इसकी स्टोरीलाइन को मजबूत नहीं रखा गया। इस शो के दूसरे सीजन की टीआरपी नीचे गिर गयी थी जिसके बाद शो के मेकर्स ने तीसरे सीजन को जल्द ही बंद करने का फैसला कर लिया। हालांकि, इसके ताजा एपिसोड ने उन छोटे दर्शकों की संख्या को भी भड़का दिया है और ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रियंका चोपड़ा जो एक भारतीय हैं वो इस स्टोरीलाइन के साथ सहज थीं।

ऐसा लगता है कि ये एक और कोशिश है पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति को बढ़ावा देने की। इसके पीछे कोई एजेंडा होगा, खासकर भारत के फिल्म निर्माताओं के एक वर्ग के बीच जो वास्तविकता से परे पाकिस्तान को एक शांतिप्रिय राष्ट्र दिखाने की कोशिश करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ भारत को एक ऐसे देश के रूप में चित्रित किया जाता है जो शांति के खिलाफ है। ‘मैं हूं न’ और ‘वीर जारा’ जैसी फिल्मों ने लगातार पाकिस्तान को एक शांति प्रिय आत्माओं की भूमि के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है। खासकर ‘मैं हूं न’ फिल्म जो इस प्रकरण में एक कदम आगे है और इसमें भारत में कथित अति-राष्ट्रवाद के प्रोपेगेंडा का उपयोग करना घृणास्पद प्रयास में से एक था। फिल्म की कहानी एक भारतीय सैनिक के इर्द-गिर्द घूमती है और कहानी में भारत-पाक के बीच शांति वार्ता के खिलाफ साजिश पर प्रकाश डाला गया है। इसी तरह बॉलीवुड की नई फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ में भी इसी एजेंडा को दिखाया गया है जिसमें पाकिस्तानी सरकार जो आतंकवादी एजेंसी आईएसआई की समर्थक हैं जिसके अधिकारी योग्य और दयालु हैं।

ये भ्रमित रवैया जो भारतीय ‘कलाकारों’ तक सीमित था अब लगता है कि ये पश्चिमी समकक्षों के बीच फ़ैल रहा है। हालांकि, क्वांटिको के एपिसोड में दिखाए गये इस दृश्य के खिलाफ लोगों में गुस्सा है, ऐसे में कोई उनकी मदद तो नहीं कर सकता है लेकिन हां शो को बनाने वाले छोटी सोच के प्रति सहानुभूति जरुर जताया जा सकता है। इस तरह के घटिया और मूर्खतापूर्ण कहानी की वजह से ही क्वांटिको बेकार रेटिंग से जूझ रही है। आप ऐसे शो से क्या उम्मीद कर सकते हैं जिस शो में वास्तविकता के विपरीत पाकिस्तान को निर्दोष और ‘भारतियों’ को न्यूक्लियर अटैक का मास्टरमाइंड दिखाया गया हो। इस तरह के स्पष्ट, बेतुके और हकीकत से दूर की कहानी को दिखाया गया हो जिसे हजम नहीं किया जा सकता है।

 कलाकार की आजादी ठीक है, लेकिन एक एजेंडा को साधने के लिए पूरे राष्ट्र का अपमान करना और भारत से नफरत करने वालों के लिए कहानी तैयार करना असहिष्णु और अपमानजनक है। इसके अलावा, तथ्य ये है कि ये एपिसोड जो जमीनी हकीकत के विपरीत है न सिर्फ एक अप्रबंधनीय विवाद पैदा करने जा रहा है बल्कि भारत से शो का जो भी प्रशंसक आधार था उसे भी दूर करने जा रहा है। प्रियंका चोपड़ा भारत की मशहूर अभिनेत्रियों में से एक हैं और वो ‘क्वांटिको’ में अग्रणी भूमिका निभाती हैं। जमीनी हकीकत से अच्छी तरह से अवगत होने के बावजूद उन्होंने एक ऐसे शो में काम करना चुना जिसने सहिष्णु राष्ट्र का अपमान किया है। प्रियंका ने जरुर ही प्रसिद्धि, धन के लिए ऐसा किया होगा और बेशक वैश्विक उदारवादी कैबल के साथ समन्वय बनाने के लिए भी ऐसा किया होगा।

भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति और व्यवस्था के प्रति सहिष्णुता और अत्यधिक सम्मान से चिह्नित भूमि रहा है। सहिष्णुता और निष्पक्ष आलोचना को स्वीकार करने की बात आती है तो हमने अपने लिए और बाकी दुनिया के लिए उच्च मानक निर्धारित किए हैं। हालांकि, हम किसी को भी  पाकिस्तान को शांति प्रिय राष्ट्र के रूप में चित्रित करने के साथ हमारे राष्ट्र को गलत तरीके से पेश करने की अनुमति नहीं देते हैं। कलात्मक और सिनेमेटोग्राफीक की स्वतंत्रता के बहाने देश का अपमान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। हम पहली बार प्रो-पाकिस्तान और भारत विरोधी प्रोपेगेंडा का सामना नहीं कर रहे हैं। अतीत में भी हम इस तरह के वक्तव्य से जूझ चुके हैं और वो भी हमारी पीठ पीछे। हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि ऐसे लोगों के खिलाफ कैसे लड़ना हैं जो अपने एजेंडा को साधने के लिए हमें गलत तरीके से चित्रित करने की कोशिश करते हैं।

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