स्वामी की भविष्यवाणियां: इनके सच होने की कितनी संभावना है?

सुब्रमण्यम स्वामी राम मंदिर कांग्रेस

नेहरु-गांधी परिवार के लिए एक बुरा सपना बन चुके सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट साझा किया है जिससे आने वाले दिनों कांग्रेस की रातों की नींद उड़ने वाली है। स्वामी ने ट्वीट में लिखा, “जिस तरह के आज रुझान हैं ऐसा लगता है कि इसी वर्ष अक्टूबर माह में राम मंदिर बनकर रहेगा, राम सेतु राष्ट्रीय स्मारक घोषित होगा, बैम्बिनो, बोतल गून, पीसी एमसी बीसी, चचेरे भाई एसी और बहू जीएसटी आदि जेल में दिखाई दे रहे हैं। जम्मू-कश्मीर केंद्रीय शासन के अंतर्गत होगा और इसलिए मई 2019 में बीजेपी को 300+ लोकसभा सीटें मिलेंगी।

इस ट्वीट के जरिये सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बड़े कदम का संकेत दे दिया है जो मोदी सरकार आने वाले दिनों में ले सकती है। चलिए इस संभावित अनुकूल माहौल और नए कारकों को देखते जो इसमें अपना योगदान करेंगे जिसकी भविष्यवाणी स्वामी ने की है।

स्वामी ने कहा की जल्द ही राम मंदिर पर काम शुरू हो जायेगा क्योंकि कोर्ट जल्द ही इस मामले में फैसला सुनाएगी। इस वर्ष के अक्टूबर माह में राम मंदिर बनने की संभावना के पीछे कई कारक हैं। कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को इस मामले के बहस से हटा दिया है। कांग्रेस ने उन्हें राम मंदिर मामले से हटने के लिए कहा गया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उन्हें इस मामले की सुनवाई के लिए अस्वीकार कर दिया है। कपिल सिब्बल ने कहा था कि मामले की सुनवाई को जुलाई, 2019 तक टाल दिया जाना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मामले में जल्द ही समाधान चाहता है।

शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड दोनों ने राम मंदिर मामले पर अपना रुख नर्म किया है। उत्तर प्रदेश के शिया वाक्फ बोर्ड ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध करने वाले मुस्लिमों को पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वाक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत किया था और कहा था कि अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए और मस्जिद का निर्माण लखनऊ के घंटाघर में किया जाए।

राम मंदिर मुद्दे के त्वरित समाधान के लिए एक अन्य योगदान कारक भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने दीपक मिश्रा के खिलाफ खोखले महाभियोग प्रस्ताव समेत कई हमले किये। दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ही राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई कर रही है। राम मंदिर के लिए सभी स्थितियां अनुकूल हैं। उत्तर प्रदेश में महंत योगी आदित्यनाथ प्रभारी हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन राम मंदिर को समर्पित कर दिया है। पिछले वर्ष, अयोध्या में उन्होंने बड़े पैमाने पर दिवाली मनाई थी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अयोध्या में भगवान राम की 100 मीटर लंबी मूर्ति का भी प्रस्ताव रखा था।

कोर्ट का फैसला न सिर्फ बीजेपी के पक्ष में होगा बल्कि उम्मीद की जा रही है कि मंदिर का निर्माण कार्य 2019 के आम चुनावों से पहले ही शुरू हो जायेगा। अप्रैल में सुब्रमण्यम स्वामी ने राम जन्भूमि पर पूजा करने को लेकर एक याचिका भी दायर की थी। राम मंदिर बीजेपी के सबसे महत्वपूर्ण मामलों में से एक है। राम मंदिर बीजेपी के 2019 के आम चुनावों के लिए उत्प्रेरक साबित हो सकता है। दिए गये हालातों से तो यही लगता है कि बीजेपी 2019 से पहले अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को शुरू करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

सुब्रमण्यम स्वामी उनमें से हैं जिन्होंने यूपीए के शासन के दौरान राम सेतु को कांग्रेस-डीएमके जोड़ी द्वारा खंडित होने से रोका था। कांग्रेस ने लाखों हिंदुओं की भावनाओं को ताक पर रख कर राम सेतु को हटाने की योजना बनाई थी जिसके तहत तत्कालीन सरकार ने 2005 में सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट (SSGCP) का ऐलान किया था। हालांकि, सुब्रमण्यम स्वामी ने तब इस प्रोजेक्ट के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी इस गंदी योजना को विफल कर दिया था। जस्टिस अग्रवाल ने स्वामी के पक्ष में फैसला दिया था। जिसके बाद कांग्रेस अपनी इस योजना को आगे नहीं बढ़ पायी थी। कांग्रेस ने राम सेतु को मिथक बताया था। एएसआई और यूपीए सरकार ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर करके राम व रामसेतु के अस्तित्व को नकारा था।

11 दिसंबर 2017 को, विज्ञान चैनल ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें दिखाया गया था कि राम सेतु मानव निर्मित है और इस पुल को बनाने के लिए पत्थरों को दूर से लाया गया थ। पुल रेत पर खड़ा है और इस पुल को लगभग रामायण युग के आसपास ही बनाया गया है।

बड़े पैमाने पर हिंदू राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के समर्थन में हैं साथ ही इसके लिए वर्तमान सरकार पर काफी दबाव है। सुब्रमण्यम स्वामी ने 2015 में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मोदी सरकार ने तय किया है कि वो किसी भी परियोजना के लिए राम सेतु के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी। भारतीय सरकार ने 22 नवंबर 2017 में तय किया था कि वो सेतुसमुद्रम शिप कैनाल प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाएंगे क्योंकि ये राम सेतु को खंडित कर सकता था।  इससे स्पष्ट है कि बीजेपी राम सेतु को लेकर गंभीर है और 2019 के आम चुनाव से पहले वो राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर सकती है।

सुब्रमण्यम ने देश भर में नेहरु-गांधी परिवार के शासन के पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कांग्रेस पार्टी का पतन 2008 में ही शुरू हो गया था जब सुब्रमण्यम स्वामी ने स्पेक्ट्रम आवंटन प्रणाली में हुई गड़बड़ी पर प्रकाश डाला था। वो गांधी परिवार को नेशनल हेराल्ड मामले में कोर्ट तक ले गये। नेशनल हेराल्ड घोटाला मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में तेजी से हुई और इस मामले की सुनवाई इस वर्ष यानी की 2019 के अम चुनावों से पहले पूरी होने की उम्मीद है।

राहुल गांधी को पार्टी की मुश्किलों को बढ़ाये जाने के लिए जाना जाता है। हाल ही में स्वामी ने कहा कि यदि राहुल गांधी मानहानि मामले में दोषी पाए जातें हैं तो वो 2019 में चुनाव नहीं लड़ पायेंगे। गौर हो कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस का हाथ था जिसके बाद आरएसएस ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। यदि मानहानि का आरोप साबित हो जाता है तो तो ये राहुल के लिए शर्मनाक बात होगी वैसे ये उनके लिए कोई नई बात नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी गांधियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।

चिदंबरम परिवार की परेशानी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। हाल ही में चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम, बेटे कार्ति और बहू श्रीनिधि के खिलाफ अपनी विदेशी परिसंपत्तियों का खुलासा न करने के लिए ब्लैक मनी एक्ट के तहत चार्जशीट दायर की गई थी। सारधा चिटफंड घोटाले में पूछताछ के लिए इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम को फिर से जांच को हाजिर होने का फरमान सुनाया था। सीबीआई ने 2017 में आईएनएक्स मीडिया मामले में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। कार्ति चिदंबरम की कंपनी चेस मैनेजमेंट सर्विस, मुखर्जी जोड़ा, आईएनएक्स मीडिया, पद्मा विश्वनाथन और उनकी कंपनी एडवांटेज स्ट्रेटजिक कंस्लटिंग पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, भ्रष्ट तरीके अपनाने, लोकसेवकों को प्रभावित करने का आरोप है। बाद में कार्ति चिदंबरम को चेन्नई के एयरपोर्ट से सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। फिलहाल, वो जमानत पर हैं। कार्ति एयरसेल-मैक्सिस मामले में भी जांच का सामना कर रहे हैं। आयकर विभाग के अनुमानों के मुताबिक, चिदंबरम परिवार की अवैध संपत्ति 14 देशों और 21 विदेशी बैंक खातों में तीन अरब डॉलर के आसपास होने की उम्मीद है।

चिदंबरम का नाम हाल ही में एयर एशिया घोटाले में भी सामने आया है। हाल ही में ईडी ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम के खिलाफ एक्शन लिया है। चिदंबरम का नाम आईएनएक्स मीडिया घोटाले में भी सामने आया। सिंडिकेट बैंक के 102 करोड़ रुपये लूटने के आरोप में चिदंबरम के एक चचेरे भाई ए सी मुथैया के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दायर की है। जबसे कांग्रेस 2014 का आम चुनाव हारी है तब से पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम और उनके परिवार के लिए हालात अच्छे नहीं रहे हैं। इसके लिए सुब्रमण्यम स्वामी का धन्यवाद किया जाना चाहिए। सरकार चिदंबरम द्वारा किये गये घोटालों को सामने लाने के लिए गंभीर नजर आ रही है। ऐसे में संभावना ये भी है कि 2019 के आम चुनावों से पहले ही चिदंबरम का परिवार जेल की सलाखों के पीछे होगा।

वहीं, सुनंदा पुष्कर की रहस्यमयी मौत का मामला कांग्रेस नेता शशि थरूर की मुश्किलों को फिर से बढ़ाने आ गया है। दिल्ली पुलिस शशि थरूर पर सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 और 498 A धारा के तहत मुकदमा चलाएगी। उनपर अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। 7 जुलाई को थरूर को कोर्ट में पेश होने का फरमान सुनाया गया है। दिल्ली पुलिस आईपीएल कोण के तहत भी सुनंदा पुष्कर के हत्या मामले की जांच करेगी। सुब्रमण्यम स्वामी की ये एक और जीत है जो इस मामले में शशि थरूर के खिलाफ सुनवाई के लिए दबाव डाल रहे थे। जब कोई भी इस मामले में बोलने से बच रहा था तब सुब्रमण्यम स्वामी ही थे जिन्होंने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इस मामले में कुछ है जो अभी तक सामने नहीं आया है जिसके लिए जांच कराई जानी चाहिए।

सुब्रमण्यम स्वामी के ट्वीट में अगली भविष्यवाणी जम्मू कश्मीर को लेकर है जिसमें उन्होंने कहा है कि जम्मू-कश्मीर केंद्रीय शासन के अंतर्गत होगा। बीजेपी और पीडीपी में लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। ये तनाव कठुआ रेप मामले के बाद से और बढ़ा है। जहां महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने नाबालिग के रेप मामले में हिंदुओं को रेपिस्ट के रूप में चित्रित करने की पूरी कोशिश की। हालांकि, राज्य सरकार पठानकोट कोर्ट में इस मामले में एक भी गवाह का पेश करने में असफल रही, इस तथ्य के बावजूद कि जांच दल द्वारा दायर गवाहों की संख्या कुछ महीनों के मामले में 130 से बढ़कर 221 हो गई है। भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी के बीच कई मुद्दों को लेकर तनाव जारी है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ रहा है, स्कूलों पर हमला किया जा रहा है, पर्यटकों पर हमला किया जा रहा है, पत्थरबाजी करने वालों को माफ किया जा रहा, बीजेपी का राज्य नेतृत्व पीडीपी से खुश नहीं है और कुछ मुद्दों को लेकर इस गठबंधन के सहयोगियों में मनमुटाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में गठबंधन टूटता है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।

कमजोर हुए विपक्ष और मोदी मैजिक के साथ सभी उपरोक्त मुद्दों को देखते हुए ये संभावना है कि सुब्रमण्यम स्वामी जितनी उम्मीद कर रहे हैं बीजेपी उससे कहीं ज्यादा सीटें जीत सकती है। सुब्रमण्यम स्वामी बहुत कम ही अपने अंतर्ज्ञान में गलत साबित हुए हैं ऐसे में 2019 में अधिक सीटों के साथ बीजेपी की वापसी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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