चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने परिसर में अपराध को रोकने के लिए स्कार्फ पहनने पर लगाया प्रतिबंध

चौधरी चरण सिंह स्कार्फ

PC: mumbailive.com

उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए महिलाओं के स्कार्फ पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार ऐसा करने के पीछे की वजह यूनिवर्सिटी के परिसर में अज्ञात व्यक्ति प्रवेश न कर सकें।

कहा जा रहा है कि ऐसा पहली बार है जब किसी यूनिवर्सिटी ने इस तरह का कदम उठाया है। हालांकि, यूनिवर्सिटी कैंपस की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ये कदम आवश्यक था लेकिन इस फैसले से यूनिवर्सिटी की आलोचना शुरू हो गयी है। ऐसा लगता है कि जो लोग हिजाब और बुर्का को सशक्तिकरण के प्रतिक के रूप में देखते हैं वो इस कदम का विरोध कर रहे हैं।

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने इस कदम का बचाव किया है और प्रोक्टरल बोर्ड ने कहा है कि ये एक कदम महत्वपूर्ण था क्योंकि अज्ञात लोगों के कारण कैंपस का माहौल खराब होता है और इसे रोकने के लिए ये कदम उठाया गया है। ये फैसला तब लिया गया जब कई अज्ञात लोगों को कॉलेज के कैंपस में पकड़ा गया था और पूछे जाने पर वो अपना पहचान पत्र नहीं दिखा पाते थे।  ये दिखाता है कि यूनिवर्सिटी के कैंपस में अवैध प्रवेश के लिए कैसे स्कार्फ का दुरुपयोग किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि चेहरे के ढके हुए होने की वजह से बाहरी और परिसर की छात्राओं में अंतर करना मुश्किल हो जाता है।

यूनिवर्सिटी की चीफ प्रॉक्‍टर अल्‍का चौधरी ने कैंपस में स्कार्फ पर पाबंदी के फैसले का बचाव करते हुए कहा, ‘हमने पूर्व में कई अन्‍य लड़कियों को भी यूनिवर्सिटी के अंदर घूमते पाया है।” उन्होंने आगे कहा कि, ये कदम यूनिवर्सिटी में अज्ञात लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए उठाया गया है। फिलहाल यूनिवर्सिटी में ऐसे लोगों को चेतावनी देकर छोड़ा जा रहा है, लेकिन यदि ये  नहीं रुका तो पुलिस को इस मामले में सूचित किया जाएगा। कैंपस में बाहरी तत्वों के प्रवेश को लेकर अपनी चिंता को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि अभी कक्षाएं शुरू नहीं हुई हैं और कई अज्ञात छात्रों को कैंपस के भीतर घूमते हुए पकड़ा गया है।

इस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले एक कॉलेज के प्रिंसिपल ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के फैसले की आलोचना पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा, ‘ये कदम अज्ञात और अपरिचित लोगों को कैंपस में आने से रोकने के लिए उठाया गया है। ऐसे लोग लगातार कॉलेज के माहौल को बिगाड़ रहे हैं।’ कहा जा रहा है कि राजनीतिक तत्वों से प्रेरित कई लोगों द्वारा जहां इस कदम की आलोचना की जा रही है वहीं यूनिवर्सिटी के कई छात्रों ने इस कदम का समर्थन किया जो जरुर ही अज्ञात और दबंग तत्वों के अवैध प्रवेश से परेशान होंगे। इस कदम का समर्थन करने वाले छात्रों का कहना है कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी के माहौल को बेहतर बनाये रखने के लिए इस तरह के कार्रवाई की जरूरत थी।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि राजनीतिक रूप से प्रेरित आलोचकों का इस कदम के प्रति क्या कहना है, बल्कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एक साहसिक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। इसने आने वाले समय के लिए एक उदाहरण स्थापित किया है। यूनिवर्सिटी ने अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट कर दिया है कि जब बात यूनिवर्सिटी की सुरक्षा से जुड़ी होगी तो उन्हें अनावश्यक और राजनीतिक आलोचनाओं की कोई परवाह नहीं है। ये न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बढ़िया उदाहरण है। पूरी दुनिया को ये समझना चाहिए कि किसी भी अपराध को अंजाम देने के लिए अपराधी स्कार्फ या पर्दे का इस्तेमाल कर सकता है। सिर्फ इसलिए कि किसी विशेष धर्म के गुरु अपने धर्म की महिलाओं को चेहरा ढकने पर जोर देते हैं, हम इस तथ्य को भी अनदेखा नहीं कर सकते हैं कि ये सुरक्षा को खतरे में डालता है। चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने अपने इस कदम से ये दर्शाया है कि सुरक्षा सबसे पहले है। वास्तव में, पूरी दुनिया को इसके दुरुपयोग के खतरे को देखते हुए इसे प्रतिबंधित करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।

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