शी जिनपिंग को लगा बड़ा झटका: मलेशिया ने चीन से कहा ओबीओआर रेल लिंक पर रोक दे काम

मलेशिया चीन ओबीओआर

भारत की फर्म संख्या के बाद, दुनिया भर के राष्ट्र ने ये महसूस किया कि चीन की वन बेल्ट, वन रोड (ओबीओआर) पहल कुछ नहीं बल्कि अपने प्रभाव क्षेत्र को बढाने का एक नव औपनिवेशिक उपकरण है। हाल ही में श्रीलंका ने चीन द्वारा लिए गये 1.1 अरब डॉलर के विशाल ऋण की आपूर्ति के लिए देश के दक्षिणी हिस्से में मौजूद हम्बनटोटा बंदरगाह का नियंत्रण चीन को 99 वर्ष के पट्टे पर सौंपा था और ऐसा ही कई अन्य उदहारण कई देशों ने देखा। मलेशिया, हिंद महासागर में 32 मिलियन लोगों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है और इस देश ने चीनी ठेकेदारों को $ 20 बिलियन ईस्ट कोस्ट रेलवे लिंक की परियोजना पर अपने काम को निलंबित करने के लिए कहा है। 688 किमी (430 मील) लंबा ईस्ट कोस्ट रेल लिंक की योजना मलेशिया में रणनीतिक शिपिंग मार्गों के साथ मलेशियाई प्रायद्वीप के पूर्वी तट में दक्षिण चीन सागर को जोड़ने की थी और ये योजना चीन के बुनयादी ढांचे को एशिया और उसे आगे बढाने के लिए थी। मलेशियाई बंदरगाह विश्व व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पूर्वी एशिया और यूरोप के बीच मुख्य नौसेना मार्ग इससे होकर गुजरता है।

मलेशिया रेल लिंक (एमआरएल) ने चीन कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (सीसीसीसी) को एक पत्र भेजा है और ‘राष्ट्रीय हित’ सहित कई कारणों की वजह से परियोजना को रोकने के लिए कहा। वित्तीय समाचार आउटलेट द एज के अनुसार, मलेशिया की नव निर्वाचित सरकार चीन के साथ परियोजना को लेकर हुई शर्तों पर एक बार फिर से बातचीत करना चाहता है। 2018 में मलेशिया के आम चुनाव में राष्ट्रपति चुने गए महातिर बिन मोहम्मद ने देश में एकल दर जीएसटी को खत्म करने जैसे कई बड़े फैसले लिए हैं। इससे पहले वो 1981 से 2003 के बीच देश के प्रधानमंत्री रहे थे। पूर्व शासन में नजीब रजाक के नेतृत्व वाली सरकार पर भ्रष्टाचार और संभ्रांतवादी होने के आरोप लगे हैं। नजीब रजाक की सरकार का रुख चीन प्रति नर्म रुख था और बिना उचित प्रक्रिया के ही चीनी कंपनियों को कई परियोजनाएं दी थीं। मलेशिया के वित्त मंत्री लिम गुअन इंग ने कहा है कि वो जल्द ही चीन जायेंगे और चीन के कुछ अनुबंधों तथा ऋण की अनुचित शर्तों का मुद्दा उठाएंगे। उन्होंने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि “हम उम्मीद करते हैं कि ईसीआरएल परियोजना केवल फाइनेंसियल और इकनोमिक स्थिरता के हिसाब से होगी, सीसीसी द्वारा उचित मूल्य लगाया जाना चाहिए क्योंकि इस परियोजना की 20 अरब डॉलर लागत अनुमानित लागत से बहुत ज्यादा है।” लिम ने मंगलवार को कहा कि, “ये पिछली सरकार के अनुमानों की तुलना में लगभग 50 फीसदी अधिक है। चीनी कंपनी सीसीसीसी ने कहा,” हम मलेशिया का सम्मान करते हैं और उनके कानून का पालन करेंगे। स्थिति को देखते हुए हमारे पास निलंबन निर्देश का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”

स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स  चीन की वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) का हिस्सा है जो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की घरेलू और विदेशी नीति एजेंडे का एक मुख्य हिस्सा है। ओबीओआर के मध्यम से चीन पुराने सिल्क रोड के आधार पर एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों को परिवहन बुनियादी ढांचे के माध्यम से जोड़ना चाहता है। ये योजना चीन की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना का प्रतिनिधित्व करता है। ओबीओआर की दो मुख्य परियोजना है, जमीनी सिल्क रोड और समुद्री सिल्क रोड। ये परियोजना 68 देशों में फैले हुई है जिसका हजारों करोड़ों रूपये का निवेश किया गया है जोकि वैश्विक आबादी का 60 प्रतिशत और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत तक दर्शाती है। ओबीओआर के उद्देश्य पर चीन ने कहा था कि ये दुनिया के ऐसे क्षेत्रों को जोड़ेगा जिनकी आधारभूत संरचना अच्छी नहीं है उन्हें विकसित इस योजना के जरिये विकसित करेगा। लेकिन चीन के इस इस महत्वाकांक्षी योजना के पीछे छुपा एजेंडा है चीन केंद्रित वैश्विक व्यवस्था के लिए जमीनी स्तर पर काम करना। चीन इस महत्वाकांक्षी परियोजना के माध्यम से मध्य, दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया में गरीब देशों को आर्थिक रूप से उपनिवेश बनाना चाहता है, क्योंकि ये पहले से ही अफ्रीका में किया जा चुका है। इस परियोजना की तुलना मार्शल योजना से की जा सकती है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए घोषणा की थी। मार्शल योजना का लक्ष्य यूरोप के देशों को सोवियत संघ में शामिल होने से रोकना था और उनपर बंदरगाहों, पाइपलाइनों, सड़कों और रेलवे बनाने के लिए नाटो में शामिल होने के लिए दबाव डालना था। इसी प्रकार, पाकिस्तान जैसे गरीब देशों के लिए बंदरगाह, आर्थिक क्षेत्र, रेलवे बनाने जैसे योजना के जरिये चीन ऐसे देशों पर अपने उपर आश्रित करना है।

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