पूर्व राजनयिक के.सी. सिंह मोदी समर्थक होने पर पत्रकारों को जेल भेजना चाहते हैं

मोदी राजनयिक

हाल ही में पूर्व राजनयिक कृष्णा चंदर सिंह एक दिलचस्प टिप्पणी के साथ सामने आये हैं। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट की आलोचना करते हुए उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा कि चुनाव के बाद यदि मोदी सरकार सत्ता से बाहर हो जाती है तो नई सरकार द्वारा एक आयोग का गठन करने की जरूरत होगी जो मीडिया, सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मालिकों और एंकर द्वारा किये गये सोशल मंच करने की ‘दुरूपयोग’ की जांच करेगी। पूर्व राजनयिक ने कहा कि, ये आयोग जांच करेगा कि कैसे उन्होंने “लोगों को भड़काया है और राजनीति को गंदा किया है”। उन्होंने अपने ट्वीट को आखिर में कुछ आश्चर्यजनक पंक्तियों के साथ खत्म किया। पूर्व राजनयिक ने हा, कुछ के ऊपर जुर्माना लगाने और कुछ का लाइसेंस रद्द किये जाने की जरूरत है। ईरान और संयुक्त अरब अमीरात के पूर्व राजदूत यहां तक कि भारत में अशांति को प्रायोजित करने वाले पाकिस्तान के बारे में जानते हुए कोई भी उनसे इस मुद्दे पर कम से कम समझदारी की उम्मीद तो कर सकता है, खैर, ये निराश कर देने वाला है कि ऐसा हुआ नहीं।

टाइम्स नाउ की वो रिपोर्ट जो पूर्व राजनयिक केसी सिंह को रास नहीं आयी वो बहुत ही महत्वपूर्ण है। टाइम्स नाउ की जांच रिपोर्ट में बताया गया था कि सोशल मीडिया के टॉप ट्रेंड्स जोकि मोदी विरोधी केबल के दिमाग की उपज हैं उसे सीमा के बाहर विदेशी ताकतों से सहयोग मिल रहा है। टाइम्स नाउ की जांच के मुताबिक, 29 मार्च और 30 मार्च की मध्यरात्रि में ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे #IndiaShutDown पर 9 लाख से अधिक इंप्रेशन हुए थे जिनमें से 86.24% पाकिस्तान से थे। भारत के सिर्फ 1.40% इंप्रेशन थे। बाकी इंप्रेशन यूके  (2.55 %), यूएसए (2.53%), और सऊदी अरब (1.69%) जैसे देशों से थे। ऐसा ही कुछ सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे #DalitLivesMatter पर भी देखा गया जिसपर 50% इंप्रेशन पाकिस्तान में स्थित सोशल मीडिया प्रोफाइल के थे जो कि 25 मार्च की रात 2 बजे तक ट्रेंड कर रहा था। कई मौकों पर खासकर माओवादियों से जुड़े मामलों में पाकिस्तान के ट्विटर प्रोफाइल ने बढ़ चढ़ कर माओवादियों को अपना समर्थन दिया और और उनके सहानुभूतिकारी जैसे जीएन साईबाबा को भी ट्विटर पर अपना समर्थन देते हैं। आईएसआई और माओवादियों के बीच संबंध बहुत पुराना है। हाल ही में, पश्चिम बंगाल के उच्च पुलिस अधिकारी ने कहा कि, ऐसे कई साक्ष्य मिले हैं जो ये स्पष्ट करते हैं कि माओवादियों और पाकिस्तान के आईएसआई के बीच संबंध बढ़ रहा है।

न्यूज़ पोर्टल के रूप में अपने प्रोपेगेंडा को साधते हैं, आश्चर्यजनक रूप से उनके विचार ऐसी वेबसाइट पोर्टल के लिए बहुत ही अच्छे हैं जो उनके ट्वीट में उल्लेखित पंक्तियों से साफ़ जाहिर हो रहा है।

यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो स्वतंत्रता का भविष्य क्या होगा इसकी भी झलक उनके सुझावों से मिलती है। पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी आवाज को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। पाकिस्तान के घृणास्पद एजेंडे को उजागर करने वाली प्रत्येक आवाज जो देश भक्ति से परिपूर्ण हैं जब भी उठेगी उससे उन्हें और अधिक परेशानी होगी। पाकिस्तान के लिए कांग्रेस का प्यार किसी से छुपा नहीं है। उनके नेता पकिस्तान का दौरा करते हैं। पीएम मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए और कांग्रेस को सत्ता में वापस लेन के लिए वो पकिस्तान से मदद की गुहार करते हैं।

सभी स्वतंत्र मीडिया, मुखर सोशल मीडिया हैंडल पार्टी के क्रोध का सामना करना होगा और इस पार्टी का सदस्य होने का मतलब है एक परिवार की सेवा करना न की देश की सेवा करना। जैसा की जॉर्ज ऑरवेल ने 1984 में अपनी किताब में बताया था कि बिग ब्रदर की नजर हमेशा आप पर है, उसी तरह इंटरनेट मीडिया की बारीकी से निगरानी की जाएगी।

ये देखना बहुत ही निराशाजनक है कि एक पूर्व राजदूत पाकिस्तान का खुलासा करने वाले पत्रकार और न्यूज़ चैनल की एक रिपोर्ट से परेशान हो गए। इससे हमारे नौकरशाहों की मानसिकता सामने आयी है कि कैसे वो उन खबरों के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया देते हैं और विरोध करते हैं जो उनके जनजाति का हिस्सा नहीं हैं। अकादमिक के अलावा विचारधारा की अस्पृश्यता नौकरशाही में भी प्रचलित है।

कांग्रेस और वामपंथी इकोसिस्टम का पाखंड नया नहीं है। उनके इकोसिस्टम के सच्चे विश्वसनीयों ने मौजूदा मोदी सरकार पर तानाशाही, फासीवादी, असहिष्णु और प्रेस की आजादी का विरोधी आदि होने का आरोप लगाया है, लेकिन वो खुद छुपकर आजादी की आवाज पर हमले करते हैं और असंतोष से निपटने के लिए तानाशाही रवैयों का समर्थन करते हैं।

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