कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड ने स्वीकार किया बेफोर्स घोटाला

नेशनल हेराल्ड राफेल बेफोर्स

भ्रष्टाचार में लिप्त कांग्रेस हमेशा ही अपने शासन में किये घोटालों से पल्ला झाड़ती रही है। राफेल डील को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि बीजेपी ने देश की जनता से झूठ बोला है लेकिन कांग्रेस के शासन के दौरान जितने समझौते हुए हैं वो विवादों में घिरे हुए हैं। चाहे वो बेफोर्स मामला हो या नेशनल हेराल्ड मामला हो कांग्रेस ने अपने हित के लिए देश की जनता के साथ धोखा किया है। राफेल डील को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के मुखपत्र ने इसे बीजेपी का बेफोर्स घोटाला कहा जबकि बीजेपी ने इस समझौते से जुड़े सभी तथ्यों को पेश कर कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश कर दिया। नेशनल हेराल्ड मामले में धोखाधड़ी का आरोपों  का सामना कर रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को अपना बयान दर्ज कराया है और इस मामले की सुनवाई के लिए तारीख 25 अगस्त तय की गयी है। सुब्रमण्यम स्वामी ने ये बयान एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में दर्ज कराया है। आजादी के बाद से ही नेशनल हेराल्ड अख़बार कांग्रेस का मुखपत्र था लेकिन गड़बड़ी और घोटालों की वजह से 2008 में अख़बार का प्रकाशन बंद हो गया था, लेकिन बाद में सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर कांग्रेस पर कई सवाल उठाये और इस मामले को कोर्ट तक ले गए जिससे कांग्रेस और उसके शीर्ष नेताओं का भ्रष्टाचार सामने आया।

कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी ने भी बेफोर्स घोटाले की तरह राफेल समझौते में घोटाला किया है और यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस समझौते को लेकर रक्षा मंत्री को झूठा तक कह दिया था। कांग्रेस का कहना कि ‘राफेल समझौता बीजेपी का बेफोर्स है’ और इससे कांग्रेस पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट के साथ हुए राफेल डील में घोटाला किया है। कांग्रेस के मुखपत्र का राफेल डील को मोदी सरकार बेफोर्स बताना ही ये स्पष्ट करता है कि कांग्रेस मानती है कि बेफोर्स तोपों की खरीद में कांग्रेस पार्टी द्वारा घोटाला किया गया था।

दिलचस्प बात ये है कि, नेशनल हेराल्ड और बेफोर्स घोटाला दोनों ही ऐसे विवादित मुद्दे हैं जिसमें कांग्रेस पार्टी और उसके शीर्ष नेताओं का नाम शामिल है। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शासन में 1986 में भारत ने स्वीडन से लगभग 400 बोफोर्स तोप खरीदने का सौदा किया था जिसकी कीमत लगभग एक अरब तीस करोड़ डॉलर थी लेकिन बाद में ये सामने आया कि इस सौदे में 64 करोड़ रूपए की रिश्वत दी गई थी जिसके बाद से बोफोर्स तोप के सौदे को बोफोर्स कांड भी कहा जाता है। हालांकि, कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि बेफोर्स के सौदे में कोई घोटाला नहीं हुआ था। इस मुद्दे को लेकर सियासी बाजार भी लंबे समय तक काफी गर्म रहा। अब तीस साल बाद कांग्रेस इसी हथियार से इतिहास को दोहराने की कोशिश कर रही है और वर्तमान की मोदी सरकार पर राफेल डील को बेफोर्स से जोड़ रही है। इस बार भी डील रक्षा को लेकर ही है, बस फर्क इतना है कि, राजीव गांधी के बेटे और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्ष के साथ मिलकर पीएम मोदी को 2019 में सत्ता से बाहर करने की रणनीति के तहत इस मामले को तुल दे रहे हैं। 2008 में राफेल समझौता यूपीए के सरकार के दौरान ही पूरा हो गया होता और शायद सेना को अपना लड़ाकू विमान भी मिल गया होता अगर तत्कालीन सरकार ने इस सौदे को लेकर प्रपंच न किये होते। कांग्रेस की गलती की वजह से ये सौदा अधुरा रह गया था जिससे बाद में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने पूरा किया। इस सौदे से जुड़े सभी दस्तावेज रक्षा मंत्री ने संसद के सामने रखे और खुद फ्रांस ने भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया से सौदे को लेकर सभी आरोपों को आधारहीन साबित कर दिया लेकिन फिर भी सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने झूठ पर कायम हैं। कांग्रेस अब अपने शासन में हुए बेफोर्स घोटाले से राफेल डील को जोड़कर जनता को गुमराह करने की पूरी कोशिश कर रही है।

बेफोर्स घोटाला हो या नेशनल हेराल्ड दोनों ही मामलों में कांग्रेस कभी खुद पर लगे आरोपों पर स्पष्टीकरण नहीं दे पायी है। नेशनल हेराल्ड मामले को ही ले लीजिये, नेशनल हेराल्ड को चलाने वाली कंपनी एसोसिएट जर्नल्स को एक राजनीतिक पार्टी होते हुए कांग्रेस ने बिना ब्याज के 90 करोड़ का कर्ज दिया था लेकिन इसके पीछे की वजह पूछने पर कांग्रेस ने बेतुका सा स्पष्टीकरण दिया था। इस मामले से जुड़े ऐसे कई सवाल हैं जिसे लेकर कांग्रेस कभी खुलकर सामने नहीं आयी है। नेशनल हेराल्ड हो या बेफोर्स घोटाला ये दोनों ही विवाद ऐसे हैं जो नेहरु-गांधी परिवार के इर्द-गिर्द घूमता है। ऐसे में कांग्रेस के पास राफेल को लेकर बीजेपी पर हमला बोला जाना दो चीजों को स्पष्ट करता है। पहला ये कि कांग्रेस के शासन में बेफोर्स घोटाला हुआ था। दूसरा ये कि, 2019 के आम चुनावों में बीजेपी को झूठे आरोपों में घेरने के लिए कांग्रेस अपने शासन में हुए नेशनल हेराल्ड और बेफोर्स जैसे बड़े घोटालों को दबाने के पैंतरे आजमा रही है, जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। झूठ और धोखा लंबे समय तक नहीं छुपता है। कांग्रेस के नेताओं को भी अपनी गलतियों के लिए भुगतान करना होगा।

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