पीएम मोदी ने रवांडा को दीं 200 गायें

मोदी गिरिंका योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार से तीन अफ्रीकी देशों रवांडा, युगांडा और दक्षिण अफ्रीका की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। इसके बाद पीएम मोदी इसी महीने आयोजित होने वाले ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका देशों का समूह) के 10 वें सम्मेलन में हिस्सा लेने दक्षिण अफ्रीका जाएंगे। पीएम मोदी आज अफ्रीकी देश रवांडा में हैं और वो रवांडा जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। वहां उन्होंने रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे के गिरिंका योजना के तहत रवांडा के लोगों को ख़ास भेंट दिया। 2006 में रवांडा की बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए गिरिंका कार्यक्रम (एक गरीब परिवार के लिए एक गाय) को लॉन्च किया था। इस योजना के जरिये रवांडा की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आया था। ये महत्वाकांक्षी योजना गरीबों को पोषण और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। रवांडा सरकार ने दावा किया कि इस योजना से अबतक 3.5 लाख परिवारों को फायदा पहुंचा है।

पीएम मोदी ने 2014 से विदेश नीति को गंभीरता से लिया है और उन्होंने विदेश नीति को मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए हैं। भारत की विदेश नीति में अफ्रीका को काफी महत्व दिया गया है और अफ्रीकी देशों के दौरे के दौरान पीएम मोदी का रक्षा और कृषि क्षेत्र में सहयोग उनकी प्राथमिकताओं में से एक है। यही वजह है कि पीएम मोदी रवांडा के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। पीएम मोदी ने अपनी रवांडा की यात्रा के दौरान गिरिंका योजना के तहत रवांडा के रवेरू मॉडल गांव को 200 गाय को तोहफे में दिया है। रवांडा में गाय देने को बहुत शुभ माना जाता है। अपने इस कदम से पीएम मोदी ने पब्लिक डिप्लोमेसी को बढ़ावा दिया है। पीएम मोदी के इस भेंट से रवांडा की जनता खुश होगी और इसका सकारात्मक प्रभाव दोनों देशों के संबंधों पर पड़ेगा। विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) टी. एस. तिरुमूर्ति ने कहा, “गाय प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का एक “महत्वपूर्ण तत्व” है क्योंकि रवांडा के लिए गाय काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।“

भारत की तरह ही रवांडा में भी गायों को काफी महत्व दिया जाता है। रवांडा के लोगों के लिए पारंपरिक रूप से गाय का काफी महत्व हैं, वहां जिन परिवारों के पास गाय नहीं है उन्हें गरीब माना जाता है। वहां शादी या अन्य विशेष समारोह में गाय को उपहार के रूप में दिया जाता है। जब रवांडा 1994 के बाद से बुरी अर्थव्यवस्था से गुजर रहा था तब गाय पालन ने ही उन्हें बुरे हालातों से निकाला था। इससे स्पष्ट है कि रवांडा सरकार ने गाय के आर्थिक महत्व को समझा और देश के लोगों को सही दिशा निर्देश दिए। ऐसा ही त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देव ने भी किया था उन्होंने राज्य में संसाधनों की कमी और खराब प्रशासन के साथ सरकार के कुप्रबंधन की स्थिति को देखते हुए त्रिपुरा के युवाओं से गाय पालन में शामिल होने के लिए कहा था। उन्होंने युवाओं से ग्रामीण विकास के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ उठाने का आग्रह भी किया था लेकिन वामपंथी मीडिया और विपक्ष ने बिप्लब पर हमले के लिए उनके बयानों पर निशाना साधना शुरू कर दिया।

हालांकि, अमूल डेयरी के एमडी आरएस सोढ़ी ने बिप्लब देब के बयान का समर्थन करते हुए  गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) डेयरी फार्मिंग का उदाहरण दिया था जिसका कारोबार  4 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक रहा है जो स्पष्ट रूप से देश की आर्थिक व्यवस्था में गायों के महत्व को दर्शाता है। गाय पालन के आलोचकों और वामपंथी मीडिया को रवांडा सरकार से सीख लेनी चाहिए और आर्थिक व्यवस्था में गाय की भूमिका को भी समझना चाहिए। कैसे इस तरह की योजनायें देश के विकास में नए बदलाव लाती हैं और देश के ग्रामीण क्षेत्रों पर अपना प्रभाव डालती हैं गिरिंका योजना इसका एक सफल उदहारण है। पीएम मोदी ने इन योजनाओं के महत्व को समझते हुए खुद को इसमें शामिल किया है लेकिन कुछ बुद्धिजीवियों और छद्म उदारवादियों को इस तरह के महत्वपूर्ण योजनाओं का महत्व कभी समझ नहीं आयेगा।

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