आज संसद में मोदी सरकार अपने कार्यकाल के पहले अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही है और इस प्रस्ताव को लेकर चर्चा जारी है। अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष का बस राजनीतिक पैंतरा है सिर्फ मुख्य मुद्दों से देश की जनता को भ्रमित करना और सरकार के कार्यों में बाधा डालने के मकसद से है। फिलहाल, अविश्वास प्रस्ताव पर संसद में बहस जारी है और इस बहस में जब राहुल गांधी बोलने के खड़े हुए तो पूरे सदन का माहौल ही बदल गया। जैसा अनुमान लगाया गया था राहुल गांधी ने ठीक वैसा ही किया। वो बोले और बिना तथ्यों के बेहतरीन बोले। इस बार उन्होंने एक नहीं बल्कि कई झूठे दावे किये। अविश्वास प्रस्ताव पर चल रही चर्चा में राहुल गांधी द्वारा किये गये कुछ झूठे दावों में से इन चार दावों पर जरा गौर करियेगा-
पहला झूठ, बेरोजगारी बढ़ी है
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में सिर्फ 400,000 रोजगार के नए अवसर बढें हैं जबकि मोदी सरकार के अंतर्गत देश में रोजगार के अवसरों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के रोजगार आंकड़ों के अनुसार बीते साल सितंबर से इस साल अप्रैल तक 41.26 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं वहीं, अकेले अप्रैल में 6.85 रोजगार तैयार हुए
दूसरा झूठ, जय शाह की कंपनी का टर्नओवर 16,000 गुना बढ़ा
राहुल गांधी ने कहा कि अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी का टर्नओवर केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से 16,000 गुना बढ़ा है। जबकि इन आरोपों का खंडन बीजेपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पहले ही कर चुके हैं साथ ही उन्होंने कंपनी से जुड़े विवरण को भी सामने रखा था। उन्होंने कहा था कि, “अस्सी करोड़ का टर्नओवर हुआ ये तो बता रहे हैं लेकिन कितना नुकसान हुआ ये कोई नहीं बताता। अस्सी करोड़ के टर्नओवर के बाद 1.5 करोड़ का नुकसान भी हुआ। तो फिर कहां मनी लॉन्ड्रिंग हुई। सारा लेनदेन बैंक और चेक के माध्यम से हुआ और सारा ट्रांजेक्शन एक्सपोर्ट का है।” इसके अलावा झूठे आरोपों के लिए अमित शाह ने ‘द वायर’ वेबसाइट के संपादक समेत सात लोगों के खिलाफ अहमदाबाद कोर्ट में आपराधिक मानहानि का केस किया है।
तीसरा झूठ, राफेल घोटाला
भारत सरकार लागत का खुलासा नहीं कर सकती है क्योंकि राफेल विमान की खरीद पर भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच इंटर-गवर्नमेंट एग्रीमेंट (आईजीएल) के ‘अनुच्छेद -10’ के अनुसार, आईजीए के तहत वर्गीकृत सूचना और सामग्री की सुरक्षा 2008 में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित सुरक्षा समझौते के प्रावधानों द्वारा शासित है, विडंबना ये है कि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के अधीन है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने की कोशिश की है बल्कि अनदेखा भी किया है बल्कि अपने फायदे के लिए हस्ताक्षर करते समय निर्धारित नियमों को अनदेखा किया है।
चौथा झूठ, जनता के खातों में 15 लाख जमा करने का वादा
पहले उन्होंने दावा किया कि 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने देश के हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख जमा करने का वादा किया था। ये दावा बिल्कुल झूठा और फर्जी है। पीएम मोदी ने ऐसा कोई वादा नहीं किया था। ये देश के लोगों को गुमराह करने के लिए वामपंथी-लुटियंस केबल द्वारा बनाया गया एक मिथक है जिसको वो बढ़ावा दे रहे हैं।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में ये भी कहा कि पीएम मोदी उनकी आँख से आँख नहीं मिला सकते हैं जबकि पीएम मोदी उन्हें देख भी रहे थे और उनकी बातों पर हंस भी रहे थे। राहुल गांधी ने कहा बीजेपी संविधान में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है जबकि सच तो ये है कि संविधान का मजाक आजादी के बाद से उनके ही परिवार द्वारा बनाया जाता रहा है और आपातकाल स्थिति इसका बढ़िया उदाहरण है।
राहुल गांधी ने अपने भाषण के अंत में मोदी और शाह को खोखली धमकी देते हुए कहा कि “यदि वो सत्ता से बाहर हो जातें तो उनके खिलाफ प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी।” आखिर में उन्होंने ये भी आरएसएस/बीजेपी ने उन्हें भगवान शिव के बारे सीख दी है। इसके बाद उन्होंने अपने भाषण के अंत में पीएम मोदी के पास जाकर उन्हें गले लगाया।
राहुल गांधी हमेशा से ही अपने खराब प्रदर्शन के लिए जाने जातें हैं और अपने भाषण के लिए तो वो मशहूर हैं क्योंकि जब भी वो बोलते हैं वो हंसी का पात्र बन कर रह जाते हैं। उनके भाषणों में तथ्यों की कमी और झूठे दावे अक्सर ही सामने आते रहे हैं और आज भी उनका ये भाषण कुछ नया नहीं था।