ये घटनाएं दिखाती हैं कि कैसे बन रहे हैं रोहिंग्या भारत के लिए खतरा

रोहिंग्या मुस्लिम

भारत में रोहिंग्या मुस्लिम को पुनर्स्थापित करने के मुद्दे पर काफी समय से बहस चल रही है। जहां केंद्र सरकार शुरू से ही कहती आ रही है कि रोहिंग्या मुस्लिम भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है वहीं, विपक्ष के कई नेता रोहिंग्या को पुनर्स्थापित करने के लिए खुलकर सामने आये हैं। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि रोहिंग्या गैरकानूनी प्रवासी हैं और उन्हें देश में ज्यादा दिन तक रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पूर्व में हुईं कई घटनाओं को देखते हुए खुफिया ब्यूरो ने भी कई बार कहा है कि आतंकवादी गतिविधियों में रोहिंग्या शामिल हैं।

हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा के पास अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) ने असम राइफल्स की एक टुकड़ी पर हमला किया। ये हमला सेना की टुकड़ी को पीछे हटाने के लिए किया गया था जिससे वो भारत की सीमा में आतंकवादी शिविर स्थापित कर सकें। वहीं, उत्तर प्रदेश एटीएस और पश्चिम बंगाल पुलिस की संयुक्त टीम ने बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन जमात उल मुजाहिदीन (जेएमबी) के दो सदस्यों को ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया था। वन इंडिया के मुताबिक, जेएमबी के ये सदस्य दिल्ली में रोहिंग्या मुस्लिमों के एक गैंग को सक्रीय करने की कोशिश कर रहे थे साथ ही इनकी योजना देश की राजधानी में बड़े हमले को अंजाम देने की थी लेकिन भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। खुफिया ब्यूरो के मुताबिक पाकिस्तान में आईएसआई की मदद से साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) भी भारत में अपनी कई शाखा बनाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में अगर भारत में रोहिंग्या को रहने की अनुमति दी गयी तो भविष्य में आतंक की जड़ों को और बढ़ावा मिलेगा और ये भारत में आतंकी हमलों को अंजाम दे सकते हैं।

इससे पहले जम्मू के सुंजवां में सेना के कैंप पर हुए फिदायीन हमले में भी रोहिंग्या का हाथ होने की बात सामने आयी थी। जम्मू-कश्मीर के विधानसभा स्पीकर कविंद्र गुप्ता ने कहा था कि रोहिंग्या शरणार्थी आर्मी कैंप के नजदीक रहते हैं, ऐसे में संभव है कि हमले में उनका इस्तेमाल किया गया हो। ऐसे कई मामले सामने आये हैं जिनसे रोहिंग्या का आतंकी संगठन के साथ सांठ-गांठ को इंगित किया है। वर्ष 2002 में एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें अफगानिस्तान में रोहिंग्या मुसलमानों का एक समूह तालिबान शिविरों में प्रशिक्षण ले रहा था। वहीं, 17 सितंबर 2017 को दिल्ली पुलिस की विशेष दल ने अलकायदा के ऑपरेटर को गिरफ्तार किया जिसे पूर्वी भारत में म्यांमार सेना से लड़ने हेतू रोहिंग्या मुसलमानों की भर्ती के लिए एक आतंकवादी मोर्चा स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। ये सभी मामले स्पष्ट करते हैं कि रोहिंग्या मुसलमान आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं और भारत में अगर इन्हें रहने की अनुमति दी गयी तो ये भारत और उसकी आबादी के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। वहीं, एक रिपोर्ट में भी सामने आया था जिसके मुताबिक, रोहिंग्या आतंकवाद 25 अगस्त, 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत के एक गांव में रहने वाले हिंदुओं के कत्लेआम के दोषी हैं। शायद यही वजह होगी रोहिंग्या द्वारा म्यांमार में किये गये अत्याचार के कारण ही म्यांमार सेना उनकी गतिविधियों पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर हुई थी। रखाईन प्रांत में रोहिंग्यों द्वारा बौद्ध और हिंदुओं के नरसंहार को अक्सर लिबरल दुनिया और भारतीय मीडिया नजरअंदाज करती आयी है।

भारत की सुरक्षा पर गंभीरता से विचार करने के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने बुधवार को कहा कि ‘ रोहिंग्या मुस्लिम गैरकानूनी प्रवासी हैं और उन्हें भारत में फलने-फूलने का मौका नहीं दिया जाएगा।’ इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों भारत में रहने के अधिकार के खिलाफ हलफनामा भी दायर किया था जिसमें कहा था कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से जुड़ाव है। उन्हें भारत में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती है क्योंकि वो भारत के लिए खतरा हैं। मौजूदा सरकार का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है कि वो भारत की सुरक्षा को लेकर कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहती है। हालांकि, कुछ नेता अपने राजनीतिक फायदे के लिए रोहिंग्या के समर्थन में अपनी आवाज उठाते हैं लेकिन किसी को भी भारत की सुरक्षा की ताक पर अपने हित को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। अगर रोहिंग्या को भारत में रहने की अनुमति दी जाती है तो वो भविष्य में भारत के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकती हैं।

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