ब्रि‍टेन की अदालत ने विजय माल्या की संपत्ति को जब्त करने के दिए आदेश

विजय माल्या प्रत्यर्पण

यूनाइटेड किंगडम की एक अदालत ने ब्रिटेन उच्च न्यायालय प्रवर्तन अधिकारी को लंदन के पास हर्टफोर्डशायर में स्थित विजय माल्या की संपत्ति को जब्त करने की अनुमति दी है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, ब्रिटेन उच्च न्यायालय प्रवर्तन अधिकारी और उनके तहत काम करने वाले एजेंट माल्‍या से जुड़े संपत्ति की तलाशी और उस पर नियंत्रण के लिए लेडीवॉक, क्‍वीन हू लेन, तेविन, वेलविन और ब्रेंबल लॉज में प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा हाई कोर्ट ने ये भी अनुमति दी है कि ब्रिटेन उच्च न्यायालय प्रवर्तन अधिकारी  और उनके तहत काम करने वाले एजेंट जरूरत पड़ने पर संपत्ति में बल का प्रयोग भी कर सकते हैं।

भारतीय अधिकारियों द्वारा मनी लांड्रिंग और धोखाधड़ी को लेकर दायर याचिका पर यूके की कोर्ट में विजय माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण के मामले पर सुनवाई चल रही है। प्रत्यर्पण एक अधिनियम है जिसके तहत एक राष्ट्र एक ऐसे व्यक्ति को दूसरे देश को सौंपता है जहां उसपर आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया हो या देश के अन्य न्यायिक अधिकारियों द्वारा दोषी ठहराया गया हो। इससे पहले न्यायाधीश एंड्रयू हेनशॉ ने माल्या की संपत्तियों को फ्रीज करने से जुड़े फैसले को बरकरार रखा था और कहा कि स्टेट बैंक की अगुवाई वाले 13 बैंकों के समूह माल्या पर बकाया करीब 9 हजार करोड़ रुपये वसूलने का हकदार है। 13 भारतीय बैंकों की जीत जिसमें, स्टेट बैंक के अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉर्पोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनैंशल एसेट रिकंस्ट्रक्शन शामिल हैं, इन सभी ने अपना बकाया वसूलने के लिए किंगफिशर के मालिक विजय माल्या के खिलाफ कानूनी लड़ाई से इंग्लैंड और वेल्स में माल्या की संपत्ति के खिलाफ भारतीय फैसले को लागू करने में सक्षम बनाया है। इन सबके बीच पिछले साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वारंट पर अपनी गिरफ्तारी के बाद से किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मालिक जमानत पर बाहर रहे। इसके बाद जब भारतीय सरकार की ओर से ब्रिटेन की क्राउन प्रोसक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने मामले की आखिरी सुनवाई की बात कही तब 31 जुलाई को लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट्स कोर्ट में अपनी प्रत्यर्पण सुनवाई के लिए वापस लौटे थे।

भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या पहले व्यक्ति हैं जिन्हें फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर बिल 2018 कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक आर्थिक खुफिया एजेंसी (आर्थिक कानूनों को लागू करने और आर्थिक अपराध के खिलाफ कार्रवाई करती है) ने स्पेशल कोर्ट का रुख किया ताकि इस मामले में किंग फिशर के मालिक विजय माल्या की 12,400 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर बिल 2018 के तहत ‘तत्काल जब्त’ किया जा सके। विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइन कंपनी को 2002 में अपनी स्थापना के बाद से काफी घाटा हुआ और अंत में 2012 में इस कंपनी को बंद करना पड़ा। इस बंद पड़ी एयरलाइन के खिलाफ 17 बैंकों से 10 हज़ार करोड़ रुपये का ऋण लिया था। अधिकतर ऋण पब्लिक सेक्टर के बैंकों, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लिया गया था। विजय माल्या 2002-2008 और 2010-2016 की अवधि के बीच राज्य सभा के सदस्य भी रहे हैं और विजय माल्या पर पब्लिक सेक्टर के बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करने का आरोप है। माल्या ने कहा कि मौजूदा मैक्रोइकनोमिक हालात और यूपीए सरकार की एविएशन नीतियों ने किंगफिशर को अक्टूबर 2012 में संचालन बंद करने के लिए मजबूर कर दिया था। हालांकि, माल्या द्वारा लगाये गये आरोपों में सच्चाई है लेकिन फिर भी बैंकों से लिए गये पैसों का भुगतान उन्हें करना होगा। मोदी सरकार ने भ्रष्टचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और कालेधन पर नकेल कसने के लिए नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसले लिए हैं। हाल ही में अपनी यूनाइटेड किंगडम की यात्रा पर प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे के साथ विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले में बातचीत भी की थी।

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