वायर स्पोर्ट्स के जरिये जातिवाद का जहर फैलाना चाहता था, मोहम्मद कैफ ने दिया करार जवाब

मोहम्मद कैफ वायर

वामपंथी वेबसाइट द वायर हमेशा ही फेक न्यूज और अपने प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देने के लिए तथ्यों को तोड़-मोड़ कर पेश करता है। अपने प्रोपेगेंडा के लिए अपने आधे अधूरे सच की रिपोर्टिंग शैली में बड़े ही शर्मनाक तरीके से केंद्र और राज्य स्तरों पर बीजेपी सरकार के नेताओं से संबंधित फेक न्यूज़ बेचता है। न जाने कितनी बार ऐसा हुआ कि वायर के लेख का स्तर निम्न रहा है और इस गलत रिपोर्टिंग के लिए वायर माफ़ी भी नहीं मांगता है। अपने एजेंडा के लिए वो अब खेल क्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही कर रहा है और एक नए विवाद को जन्म देने के लिए क्रिकेट में जाति के आधार पर आरक्षण के मुद्दे को उठाया है। हालांकि, क्रिकेट से संन्यास ले चुके मोहम्मद कैफ ने वायर के इस मंसूबे पर पानी फेर दिया और अपने जवाब से उल्टा वायर को ही कटघरे में खड़ा कर दिया।

द वायर ने भारतीय क्रिकेट में आरक्षण और जातिगत भेदभाव को लेकर एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें वायर ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के क्रिकेटर्स और भारतीय क्रिकेट में उनके चयन के बारे में लिखा था। वायर ने लिखा था कि, ‘टेस्ट स्टेटस हासिल करने के 86 वर्ष में भारतीय क्रिकेट में 290 खिलाड़ियों में से सिर्फ 4 खिलाड़ी ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं। ये एक असमानता है जिसे केवल महत्वहीन बताकर खारिज नहीं किया जा सकता है।‘ अपने इस लेख से वामपंथी वेबसाइट ने खेल में नफरत और जातिवाद के बीज बोने की कोशिश की है। इस लेख पर मोहम्मद कैफ ने कड़ी आपत्ति जताई। वर्ष 2000 में अंडर-19 टीम को अपनी कप्तानी में भारत को विश्व चैंपियन बनाने वाले मोहम्मद कैफ ने वायर को आड़े हाथ लेते हुए उल्टा द वायर से ही सवाल किया और कहा, “कितने प्राइम टाइम जर्नलिस्ट अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं। आपके संस्थान में कितने सीनियर एडिटर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं। शायद खेल ही एक ऐसा क्षेत्र है, जहां जाति की सभी बाधाओं को सफलतापूर्वक तोड़ा गया है। खिलाड़ी एकता के साथ खेलते हैं, लेकिन हमारे पत्रकार खेल में नफरत फैला रहे हैं।“

मोहम्मद कैफ का समर्थन करते हुए पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने भी द वायर के आर्टिकल की निंदा की है। उन्होंने लिखा, “21वीं सदी का जर्नलिज्म। शाबाश! अगला क्या? जब आप यह कर ही रहे हैं तो यह भी गिन लीजिए कितने धर्मों के खिलाड़ी हैं। कृपया बड़े हो जाइए।”

मोहम्मद कैफ और आकाश चोपड़ा के ट्वीट ने द वायर को कड़ा जवाब देते हुए उसके झूठे एजेंडे को सामने रख दिया है जो सिर्फ जाति-धर्म की आग को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के लेख को प्रकाशित करता है। हालांकि, मोहम्मद कैफ ने अपनी प्रतिक्रिया से वायर के लेख की धज्जियां उड़ा दी हैं। द वायर ने ये सोचा भी नहीं होगा कि मोहम्मद कैफ से उन्हें इस तरह की प्रतिक्रिया मिलेगी। मोहम्मद कैफ द्वारा किये गये सवाल के बाद द वायर के रुख का बचाव करते हुए वायर संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन ने बचाव का एक विफल प्रयास करते हुए कहा कि मीडिया में जातिवाद की समस्या क्रिकेट से भी ज्यादा गंभीर है लेकिन उनका ये प्रयास भी किसी काम नहीं आया।

इससे पहले वायर ने अपने आधिकारिक हिंदी वेबसाइट पर एक लेख से उत्तरखंड की बीजेपी सरकार के खिलाफ लोगों को बध्काने की कोशिश की थी. वायर ने आरोप लगाया गया था कि उत्तरखंड में बीजेपी शराब की बिक्री को बढ़ावा दे रही है। इसके बाद सीएम रावत ने मीडिया द्वारा प्रसारित झूठी खबरें दिखाए जाने पर अपने ट्विटर अकाउंट से द वायर की खबरों के झूठ को सामने रखा था। द वायर जो देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का मंच होने का दावा करता है अक्सर ही भारत में विवादों को बढ़ावा देने वाले मुद्दों को उठाता है। द वायर अपने एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए फेक न्यूज प्रकाशित करता रहा है लेकिन अब भारत में जिस खेल को लोग पूजते हैं उसे लेकर इस तरह से जातिवाद का मुद्दा उठाकर एक नए विवाद को जन्म देने की कोशिश कर रहा है लेकिन वामपंथी वेबसाइट का ये पैंतरा किसी काम नहीं आया।

 

Exit mobile version