अटल बिहारी वाजपेयी जी के लोकसभा में दिए गये पांच यादगार भाषण

अटल

PC: CnewsBharat

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी 93 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गये लेकिन उन्होंने भारत की राजनीति में जो बदलाव किये और उनके योगदान हमेशा याद किये जायेंगे। अटल जी को उनके ओजस्वी भाषण शैली के लिए जाना जाता था। उन्होंने वर्ष 2005 में आखिरी बार किसी जनसभा को संबोधित किया था। जब भी वो बोलते थे तो लोग पूरी तन्‍मयता से सुनते थे। ऐसे ही उनके कुछ लोकसभा के भाषण हैं जो आज भी काफी चर्चित हैं। आईये एक नजर डालते हैं उनके कुछ चर्चित भाषणों पर:

पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण

अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रधानमंत्री रहते हुए भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया था उस वक्त हर तरफ से उनकी सरकार की आलोचना की जा रही थी लेकिन इस परिक्षण ने पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक की नींद उड़ा दी थी। दरअसल, इस परिक्षण को रोकने के लिए अमेरिका ने कई कोशिशें की थीं लेकिन फिर भी देश की रक्षा से जुड़े फैसले के लिए उन्होंने अमेरिका और अन्य विपक्षी दलों की चिंता किये बिना पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया था। जब हर ओर से उनके इस कदम की आलोचना की जा रही थी उस समय उनके इस कदम पर खूब राजनीति की गई थी। यहां तक कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने पोखरण परीक्षण पर सवाल तक उठाया और कहा कि, “देश के सामने ऐसा क्या खतरा था, तो परमाणु परीक्षण किया गया?” इसी सवाल का जवाब जब अटल जी ने सदन में दिया तब विपक्षी पार्टी समेत हर उस आलोचक का मुंह बंद हो गया था।

“अटल जी ने सदन में कहा था कि, मुझे आश्चर्य है कि परमाणु परिक्षण की भी आलोचना की गयी। पूछा गया कि देश के सामने कौनसा खतरा था? मैं 1974 में सदन में था जब श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में परमाणु परिक्षण किया गया था, हमने उसका स्वागत किया था प्रतिपक्ष में थे फिर भी उसका स्वागत किया था क्योंकि देश की रक्षा के लिए वो किया गया था। उस समय कौनसा खतरा था?  क्या आत्मरक्षा की तैयारी तभी होगी जब खतरा होगा ? अगर तैयारी पहले से हो तो जो खतरा आने वाला होगा वो खतरा भी दूर हो जायेगा। खतरा अमल में नहीं आयेगा और इसीलिए हमने परमाणु परिक्षण करने का फैसला किया था।” इसके अलावा भी अटल जी ने अपने भाषण में कई अहम बातें कहीं थी जिसने विपक्ष समेत सभी आलोचकों को चुप करा दिया था।

देखें अटल जी का पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण पर दिया भाषण:

https://www.youtube.com/watch?v=z67OoZ57xHI

अविश्वास प्रस्ताव पर अटल जी का प्रभावी भाषण

वर्ष 1996 के चुनाव परिणामों के बाद 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के 11वें प्रधानमंत्री बनें थे लेकिन समय से पहले ही बीजेपी के पहले प्रधानमंत्री को मात्र 13 दिनों की सरकार के बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था। अटल वाजपेयी जी ने तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लिया था। उनके नेतृत्व में पहली सरकार 13 दिन, दूसरी सरकार 13 महीने और फिर पूरे पांच साल तक के लिए उनकी सरकार बनी थी। अटल सरकार के खिलाफ विपक्ष तीन बार अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था लेकिन वो सिर्फ एक बार ही सफल हो पाए थे और वो पहली अटल सरकार थी। अटल जी ने अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा के दौरान प्रभावी भाषण दिया था जिसे आज भी याद किया जाता है। उन्होंने लोकसभा में खुलकर बात की थी और अपने भाषण से सभी को हिलाकर रख दिया था।

उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि, “संसद में मैंने चालीस साल गुजारे हैं। ऐसे क्षण बार बार आये हैं। सरकारें बनी हैं, बदली हैं, नई सरकार का गठन हुआ, लेकिन हर कठिन परिस्थिति में से भारत का लोकतंत्र बलशाली होता है और मुझे विश्वास है कि इस परीक्षा में से भी सफल होकर निकलेगा।” उन्होंने विपक्ष पर वार करते हुए कहा था कि, “मुझपर आरोप लगाया गया और ये आरोप मेरे ह्रदय में घात कर गया है। आरोप ये है कि मुझे सत्ता का लोभ है। मैंने सत्ता में 40 साल गुजारे हैं मेरा व्यवहार सभी सदस्य जानते हैं। पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करना। अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चीमटे से भी छूना पसंद नहीं करुंगा।” उन्होंने अपने भाषण में स्पष्ट किया था कि उन्हें सत्ता का लोभ नहीं बल्कि देश का विकास और जनता के जनादेश का पालन करने का भाव है। उन्होंने आगे कहा था, “भगवान राम ने कहा था, ‘न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यशः, भगवान राम ने कहा था कि मैं मृत्यु से नहीं डरता, डरता हूं तो बदनामी से डरता हूं लोकापवाद से डरता हूं।”

देखें अटल जी का अविश्वास प्रस्ताव पर दिया गया प्रभावी भाषण:

 संसद अटल में अटल जी का गुस्सा

आज अटल जी हम सभी को अलविदा कह गये । अटल जी के बारे में कहा जाता है कि जब वो गुस्सा होते थे तब वो अपनी आंखें मूंद लिया करते थे लेकिन एक बार संसद में उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा था तब अटल जी काफी नाराज हो गये थे तब पहली बार था जब उनके गुस्से को सबने देखा था। तब मामला बिहार का था और उस वक्त बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव थे। उन्होंने कहा था कि “पटना में पानी भर गया है और सरकार उस पानी को निकाल नहीं पा रही। कोर्ट आदेश दे रही की सेना की मदद ले।” उनके इतना कहते ही संसद में शोर शुरू हो गया कोई उन्हें बोलने नहीं दिया। उन्होंने अपने भाषण में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर जल्द सुनवाई और फैसले करने की बात कही थी और प्रधानमंत्री को प्रस्ताव लाने के लिए भी कहा था। उन्होंने चारा घोटाले को लेकर अपनी चिंता जाहिर की और अपने भाषण से उन्होंने बिहार में लालू यादव के ‘कुशासन’ की बखिया उधेड़ दी थी।

देखें वीडियो:

जब अपने भाषण से अटल जी ने सोनिया को दिया था करारा जवाब

संसद में कई बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। जैसा की अटल जी ने भी कहा कि सरकारें आयी और गयी ऐसे कई मौके आये जब अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। आज से 15 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के वक्त कांग्रेस जब अविश्वास प्रस्ताव लाई थी तब इसपर चर्चा के दौरान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अटल बिहारी वाजपेयी के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया था जिसे सुनकर अटल जी को गुस्सा आ गया था और उन्होंने अपने भाषण से सोनिया गांधी को बेहद तीखे अंदाज में जवाब दिया था। उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार की पोल खोलकर रख दी थी। उन्होंने कहा था, “जब मैंने श्रीमती सोनिया जी का भाषण पढ़ा, तो दंग रह गया। उन्होंने एक ही पैरा में सारे शब्द इकट्ठे कर दिए।” अटल जी ने तंज कसते हुए कहा था कि, “भारत में इन शब्दों से अपने राजनीतिक विरोधियों पर हमला करने की सभ्यता नहीं रही है।”

यहां देखें भाषण:

https://www.youtube.com/watch?v=F8Yq3jh6il0

अटल ने जब कांग्रेस को सिखाया था सेक्युलर का पाठ

सेक्युलर शब्द कैसे क्यों आया उन्होंने इसपर प्रकाश डाला और कांग्रेस के सच को सामने रखा था। उन्होंने कांग्रेस को सेक्युलर का पाठ पढ़ाया और पार्टी पर लग रहे सेक्युलरवाद के आरोपों का खंडन किया। अटल जी ने कहा कि “भारत एक प्राचीन राष्ट्र है, 1947 में किसी नए राष्ट्र का जन्म नहीं हुआ, पांच हजार वर्ष पुराने सभ्यता और संस्कृति का ये राष्ट्र है और इसलिए सेक्युलरवाद और इसकी भावना, जब संविधान की बैठक बैठी थी तब भी इसकी एक राय नहीं थी। संविधान में सेक्युलर शब्द इमरजेंसी के दौरान आया।” अटल बिहारी वाजपयी ने आगे क्या कहा आप नीचे दिए गये वीडियो में देखें:

एक नहीं बल्कि कई मौकों पर अटल जी ने अपने भाषण से विरोधियों का मुंह बंद किया है। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कभी भी शब्दों की मर्यादा को नहीं खोया। वो एक महान व्यक्ति थे।

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