शहीद भारतीय सेना के सैनिक औरंगजेब की शहादत का बदला लेने घर लौटे 50 दोस्त

औरंगजेब कश्मीर

कश्मीर घाटी में बदलाव आने शुरू हो गये हैं और लम्बे समय बाद ये बदलाव सकारात्मक है। कश्मीर में शहीद सैनिक औरंगजेब के सलानी गांव के लगभग 50 युवा अपनी आकर्षक नौकरी छोड़कर अपने घर वापस आ गये हैं। सभी 50 युवा पुंछ जिले की मेंढर तहसील के सलानी गांव के हैं और वो औरंगजेब की मौत का बदला लेने के लिए अपनी नौकरियां छोड़कर वापस लौटे हैं।  भारतीय सैनिक औरंगजेब को आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था अगके दिन उनका गोलियों से  छलनी शव पुलवामा जिले में मिला था। औरंगजेब 44 राष्ट्रीय राइफल्स में राइफलमैन थे। वो छुट्टी पर थे और ईद मनाने के लिए घर जा रहे थे। आर्मी में उनके दोस्त ने बताया कि घर जाने के लिए औरंगजेब ने घर जाने के लिउए निजी वाहन से लिफ्ट ली थी। वाहन को कलमपोरा के पास रुका था जहाँ आतंकवादियों ने उनका अपहरण कर लिया था। बाद में पुलवामा जिले में शव मिला, उन्हें आतंकवादियों ने सिर और गर्दन में गोली मारी थी। पुलिस की टीम को उनका शव अपरहण के स्थान से 10 किलोमीटर दूर गुस्सू गांव के समीप मिला था।

औरंगजेब की मौत के बाद उनके परिवार में रोष था और उन्होंने पीएम मोदी से अपील की थी कि आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस औरंगजेब की मौत का बदला लें। औरंगजेब के भाई भी सेना में नौकरी करते हैं जबकि उनके पिता मोहम्मद हनीफ जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के पूर्व सिपाही हैं। उन्होंने राज्य से आतंकवाद का सफाया करने की अपील की थी और अब लगता है उनकी अपील रंग ला रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 50 से अधिक युवा कश्मीर लौट आए हैं और अपने मित्र की हत्या का बदला लेने के लिए पुलिस या सेना में शामिल होंगे। 50 युवाओं में से एक मुहम्मद करामत ने बताया कि वो क्यों और कैसे घाटी वापस लौटे हैं। करामात ने कहा, जैसे ही हम लोगों को सूचना मिली कि औरंगजेब को आतंकियों ने अगवा कर मार डाला है। हम सभी ने उसी दिन यह कमस खा ली थी कि हम नौकरी छोड़कर गांव जाएंगे और वहां जाकर सेना में भर्ती होकर औरंगजेब की शहादत का बदला जरूर लेंगे, वहां से आना मुश्किल था लेकिन हम किसी तरह से वहां से आ गये।”

ऐसा लगता है कि आतंकवादियों द्वारा सेना के सैनिक औरंगजेब के अपहरण और हत्या से कश्मीर की आबादी पर गहरा असर पड़ा है और यही वजह है कि वो आतंकवादियों का सफाया करने के लिए सेना में शामिल होना चाहते हैं। आतंकवादियों द्वारा उनकी हत्या ने घाटी के लोगों की आँखें खोल दी है और उन्हें अलगाववादियों की वास्तविकता दिखाई है। आतंकवादी कश्मीरी युवाओं को अलगाव और मुस्लिम पहचान के विचारों के साथ उन्हें भ्रमित करने में कामयाब रहे थे। उनकी गतिविधियों ने उनकी सच्ची भावनाओं को आहत किया है और 50 युवा जो सेना में शामिल होने के लिए अपनी नौकरी छोड़कर वापस आये हैं वो एक सकारात्मक संकेत हैं जो निश्चित तौर पर घाटी के भविष्य के लिए बढ़िया है। औरंगजेब को आतंकवादियों ने अगवा कर हत्या कर दी थी लेकिन वो अभी भी आजाद घूम रहे हैं लेकिन अब जल्द ही इन आतंकवादियों के बुरे दिन शुरू होने वाले हैं क्योंकि अब घाटी के जवान एकजुट हैं। भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों में सेवा करने वाले कश्मीरी लोगों को लक्षित करने वाले आतंकवादियों ने इस बात को साबित कर दिया है कि वो पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

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