2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बिहार 40 लोकसभा सीटों के साथ काफी अहम है। बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर काफी चर्चा थी कि एनडीए घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा कैसे होगा। अब बिहार में सीटों का बंटवारा कैसे होगा और कौनसी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी ये तय हो गया है और इसमें बीजेपी के खाते में 20 सीटें आई हैं जबकि जेडीयू 12 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। ये स्पष्ट दिखाता है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच सबकुछ ठीक है उनमें कोई मतभेद नहीं है।
खबरों की मानें तो बिहार में सीटों का बंटवारा कैसे होगा ये फ़ाइनल कर लिया गया है जिसके मुताबिक बीजेपी 20, जेडीयू 12, एलजेपी पांच और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सीट बंटवारे के समीकरण को देख कर तो यही लगता है कि जेडीयू के अध्यक्ष नितीश कुमार को ये समझ आ गया है कि अगर सत्ता में बने रहना है तो अपने सहयोगियों के साथ बिना किसी मतभेद के चुनावों में जीत के लिए काम करना होगा। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी प्रमुख चेहरा होंगे और एनडीए का उद्देश्य उन्हें एक बार फिर से पीएम बनाना है जिससे देश के विकास के लिए पीएम मोदी विकास कार्यों को जारी रख सकें। नितीश कुमार भी पीएम मोदी की लोकप्रियता से अनजान नहीं है ऐसे में उन्होंने महाराष्ट्र के विपरीत सीटों के बंटवारे को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई है। नितीश को पता है कि बीजेपी की स्थिति राज्य में काफी मजबूत है और बीजेपी ने कभी राज्य में उनपर दबाव बनाने की कोशिश नहीं की है। महाराष्ट्र में शिवसेना को लगता है कि बीजेपी राज्य में अपना दबाव बनाएगी इसी वजह से शिवसेना ने बीजेपी से सीटों के बंटवारे को लेकर पार्टी से मतभेद को बढ़ावा दिया। शिवसेना के विपरीत नितीश कुमार ने स्थिति का जायजा लिया और जमीनी वास्तविकता को समझकर बीजेपी के बिहार गठबंधन का नेतृत्व करने को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई।
वहीं बीजेपी ने राज्य में उदारता दिखाते हुए जेडीयू पर कभी कोई दबाव बनाने की कोशिश नहीं की। भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन के अन्य घटक दलों को आश्वस्त किया कि गठबंधन में सभी को साथ लेकर आगे का रास्ता तय किया जायेगा और सभी की भूमिका अहम् होगी। सीटों के बंटवारे के अलावा पार्टियों का प्रदर्शन भी अहम् है। बीजेपी ने हमेशा ही काबिल और प्रदर्शनकारी नेताओं को मौका दिया है और इस तथ्य को सभी पार्टी के नेता जानते और समझते हैं ऐसे में किसी को भी सीट शेयरिंग को लेकर कोई आपत्ति नहीं होगी।
लोकसभा आम चुनावों में बिहार की सीट शेयरिंग की व्यवस्था को सर्वसम्मति से आखिरी रूप देने के बाद एनडीए के लिए राज्य में एक और बढ़त होगी। राज्य में एनडीए के पास बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी जैसे मजबूत दलों का साथ है। राज्य में विपक्षी दलों की खराब स्थिति से एनडीए के पास बिहार की सभी 40 सीटें जीतने का उत्कृष्ट मौका है। कांग्रेस के बारे में ज्यादा कहने की जरुरत नहीं है क्योंकि हर चुनाव के साथ कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई है। आरजेडी भी बिहार में बुरे दौर से गुजर रहा है। लालू प्रसाद यादव पहले से चारा घोटाला मामले में जेल में बंद हैं। तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव पार्टी के बीच नेतृत्व को लेकर ठनी हुई है। राजनीतिक स्तर पर तेज प्रताप यादव नाकाम साबित हुए हैं वहीं, तेजस्वी यादव के पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है। राज्य में एनडीए के घटक दलों की के समन्वय को देखें तो ये कहना गलत नहीं होगा कि लगभग एनडीए बिहार में ‘क्लीन स्वीप’ के लिए तैयार है।



























