उत्तर प्रदेश में सीएम योगी के प्रयासों से इंसेफेलाइटिस के मामलों में आई कमी

योगी

वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ ने यूपी की कमान संभाली लेकिन उनके आगे चुनौतियां कम नहीं थी राज्य की व्यवस्था को दुरुस्त करने और नवीनकरण करने की कोशिशें उन्होंने पहले ही दिन से करनी शुरू कर दी। इस बीच पिछले साल 2017 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में 60 बच्चों की मौत ने उनकी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था। योगी सरकार ने खतरनाक इंसेफेलाइटिस रोग पर प्रभावी नियंत्रण के लिए काम करना शुरू कर दिया और इसके नतीजे भी अब सामने आ रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का ही परिणाम है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में एक्यूट इंसेफेलाइटिस (एईएस) के रोगियों में कमी आई है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इसकी जानकारी दी है।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि, “इस साल 9 अगस्त तक एक्यूट इंसेफेलाइटिस और जापानी इंसेफेलाइटिस के 1427 मामले सामने आये जिसमें से 111 रोगियों की मौत हुई है। ये आंकड़े पिछले वर्षों की तुलना में कम है।” उन्होंने आगे बताया कि, “वर्ष 2017 में एक्यूट इंसेफेलाइटिस और जापानी इंसेफेलाइटिस के 5400 मामले सामने आये थे जिसमें 748 की मौत हुई थी जबकि 2016 में 4353 मामले सामने आये थे जिसमें 715 की मौत हुई थी।” ये आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष इंसेफेलाइटिस और जापानी इंसेफेलाइटिस के रोगियों में कमी आई है और ये राज्य सरकार के सफल प्रयासों को दर्शाता है।

हालांकि, ये पहली बार नहीं था जब गोरखपुर में दिमागी बुखार से बच्चों की मौत हो रही हो। इंसेफेलाइटिस का प्रकोप गोरखपुर में करीब चालीस साल से चला आ रहा है। इस बीमारी का कहर सिर्फ गोरखपुर में ही नहीं है बल्कि देश के कई राज्यों में हैं। नेशनल वेक्टर बार्न डिजीज कन्ट्रोल प्रोग्राम के मुताबिक, साल 2010 से 2016 तक पूरे देश में एक्यूट इंसेफेलाइटिस की चपेट में कुल 61957 लोग आये जिसमें से 8598 लोगों की मौत हो गई। ये आंकड़े भी कितने सटीक है इसकी पुष्टि करना मुश्किल है क्योंकि कहा जाता है कि इंसेफेलाइटिस की रिपोर्टिंग निर्धारित गाइडलाइन के मुताबिक नहीं हुई है। गोरखपुर से सांसद बनने के बाद से योगी गोरखपुर को इस बीमारी से बाहर निकालने के लिए काफी कोशिशें करते आये हैं।

योगी के सत्ता में आने से पहले किसी का भी ध्यान इस पर नहीं गया था। बीजेपी पर निशाना साधने के लिए विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को उठाया जबकि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए काफी समय से काम कर रहे थे। उन्होंने कई बार इस मुद्दे को संसद में उठाया भी था। लखनऊ में आयोजित पोषण अभियान और सुपोषण स्वास्थ्य मेला के शुभारंभ कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि, “1978 से गोरखपुर क्षेत्र में दिमागी बुखार का प्रकोप था। इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। जब मैंने इस मुद्दे को संसद में उठाया गया तो यह कहकर रोका गया कि वेक्टरजनित रोग राज्य का मामला है लेकिन हम पीछे नहीं हटे।”

पिछले साल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत पर योगी ने कहा कि, ” मेडिकल कॉलेज के अंदर ऑक्सीजन की बिल्कुल कमी नहीं थी। 60 बच्चों की मौत सिर्फ कॉलेज के कुछ लोगों के द्वारा दुष्प्रचार करके सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई थी।”

हालांकि, सीएम योगी ने आलोचनाओं को अनदेखा कर इस दिशा में सुधार कार्य शुरू कर दिया जिससे इस भयानक बीमारी से मासूमों को बचाया जा सके। इस बात की जानकारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने दी और बताया कि, “एक्यूट इंसेफेलाइटिस और जापानी इंसेफेलाइटिस से निपटने के लिए यूनिसेफ के सहयोग से प्रदेश के मुखिया ने दस्तक कार्यक्रम की शुरूआत की है।”

प्रदेश में करीब 38 जिले एक्यूट इंसेफेलाइटिस और जापानी इंसेफेलाइटिस से प्रभावित हैं। ऐसे में इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ विभाग दस्तक कार्यक्रम के लिए नगर निकास हो या महिला और बाल कल्याण विभाग सभी मिलकर काम कर रहे हैं। ये सम्मिलित प्रयासों का ही नतीजा है कि राज्य में इस भयानक रोग के पीड़ितों की संख्या में कमी आई है। योगी सरकार लगातार प्रदेश में कानून व्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त कर रही है और जल्द ही योगी सरकार इस भयानक बीमारी पर भी पूरी तरह से नियंत्रण करने में सफल हो जाएगी।

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