रघुवर दास का बड़ा कदम, विदेशी फंडिंग का उपयोग धर्मांतरण के लिए करने वाली एनजीओ की अब खैर नहीं

रघुवर दास एनजीओ

झारखंड ने बहुत राजनीतिक उठापटक के दौर को देखा है लेकिन सियासत की होड़ में विकास के मामले में झारखंड पिछड़ता जा रहा था। नक्सली हिंसा, मिशनरियों द्वारा बड़े पैमाने पर किये गये धर्म रूपांतरण, समुदायों के बीच निहित हितों के लिए टकराव, राज्य में निरक्षरता और कुपोषण के प्रसार के कारण सांप्रदायिक संघर्षों में वृद्धि हुई और लगभग 14 वर्षों के असफल गठबंधन सरकारों ने ऐसा माहौल उत्पन्न किया जो विधानसभा चुनाव में पहली बार किसी पार्टी को स्‍पष्‍ट बहुमत का कारण बना और इसके बाद 2014 में बीजेपी के रघुवर दास झारखंड के मुख्यमंत्री बने। सत्ता में आते ही उन्होंने राज्य में राजनीतिक हित की बजाय वास्तव में बदलाव के लिए काम करना शुरू कर दिया और उनके प्रयासों का फल धीरे-धीरे सामने आने लगा है। उन्होंने राज्य की हर बड़ी समस्या चाहे वो नक्सलवाद हो या मिशनरियों द्वारा बड़े पैमाने पर किये गये धर्म रूपांतरण की समस्या सभी पर नकेल कसना शुरू कर दिया। धर्म रूपांतरण की समस्या हिंदुओं के लिए गंभीर बनती जा रही थी उनपर अपने धर्म को बदलने के लिए तरह तरह के दबाव डाले जाने लगे थे तो कुछ आसानी से मिशनरियों के बहकावे में आने लगे थे। यही वजह है कि वो अपने प्रयासों से हिंदुओं के चहेते बन गये हैं। उन्होंने अपने प्रयासों से राज्य की संस्कृति को बचाने के लिए और विदेशी तत्वों के प्रभाव को कम करने के लिए काम किया है और अभी भी वो यही कर रहे हैं।

अब सीएम रघुवर दास ने रांची कैथोलिक आर्चडायसिस समेत राज्य के निबंधित 88 गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के खिलाफ फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (एफसीआरए) 2010 के तहत विदेशी फंडिंग की जांच के लिए एसआईटी को निर्देश दिए हैं। इन संस्थाओं के खिलाफ राज्य की केंद्र सरकार को शिकायत मिली थी कि ये एनजीओ द्वारा प्राप्त विदेशी फंड का दुरुपयोग आदिवासियों के धर्मांतरण के लिए करती हैं। इस शिकायत के बाद राज्य सरकार ने तुरंत सख्त कदम उठाते हुए ऐसी संस्थाओं का एफसीआरए रद्द करने का आदेश दिए और साथ ही इनके खिलाफ जांच करने के भी आदेश दिया। इस रिपोर्ट को दाखिल करने के समय तक, 33 गैर सरकारी संगठनों पर हमला किया जा चुका था। झारखंड की पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, शेष मिशनरियों पर छापे शुक्रवार तक पूरे हो जाएंगे। रिपोर्ट के अनुसार इन एनजीओ को फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत 2013-2016 के बीच वित्त पोषण में 250 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई हुई है। इन सभी गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) से नोटिस में पूछा गया था कि क्या वे प्रासंगिक कानून के तहत पंजीकृत है या नहीं, इसके अलावा उनके पदाधिकारियों का विवरण, विदेश सहित धन का स्रोत और बीते पांच साल के खर्च व आय का विवरण व अन्य जानकारियां मांगी गई हैं। MyNation, द्वारा प्राप्त सीआईडी ​​रिपोर्ट के अनुसार, इन 88 ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित एनजीओ में शीर्ष 11 को 7.5-39 करोड़ रुपये का विदेशी फंड मिला है; वो सभी एनजियो जो सूची में 31 वें स्थान तक में हैं उन्हें 7.5-1.84 करोड़ रुपये तक का विदेशी फंड मिला है। बाकी को 1.84 करोड़ रुपये से कम मिला है।

रिपोर्ट के अनुसार, इन एनजीओ पर प्राइवेट स्कूल, हॉस्पिटल और शेल्टर होम चलाने का भी आरोप है। ये आदिवासी महिलाओं को नर्स के रूप में प्रशिक्षित करती हैं और उन्हें विदेश भेज देती हैं और उनपर धर्म बदलने के लिए दबाव डालती हैं। यही नहीं कई मिशनरी शहर से दूर के इलाकों में धर्मांतरण के लिए आदिवासियों पर दबाव डालते हैं। मिशनरियों के इस धर्मपरिवर्तन से हिंदू जनसंख्या वर्षों से पीड़ित रही है  लेकिन इन मिशनरियों के खिलाफ रघुवर दास की नेतृत्व वाली सरकार सख्ती से पेश आ रही है।

इससे पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार द्वारा झारखंड के राज्य विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी कानून को पारित किया गया था जिसमें जबरदस्ती धर्म परिवर्तन पर 3 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना या दोनों और महिला, एसटी, एससी के धर्म परिवर्तन के मामले में 4 साल की सजा या 1 लाख रुपये जुर्माना या दोनों सजा का प्रावधान है। ये एक बहुत ही आवश्यक विधेयक था जिसे राज्य में लागू किया जाना जरुरी था क्योंकि राज्य में मिशनरियों का पहले से ही एक व्यापक नेटवर्क था और वो आदिवासियों और हाशिए वाले समुदायों को भोजन और चिकित्सा सुविधा देने का लालच देकर उनके धर्म का परिवर्तन करने में शामिल थे। इसके बाद 2018 में रघुवर दास द्वारा एक और बड़ा फैसला लिया गया जिसके मुताबिक आदिवासी जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर इसाई या अन्य धर्म अपना लिया है उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा। हाल ही में बीजेपी के मुख्यमंत्री ने ये घोषणा की थी जिससे ये स्पष्ट है कि रूपांतरण ब्रिगेड के खिलाफ उनकी लड़ाई अभी भी जारी है। इससे पहले किसी भी सरकार ने धर्म परिवर्तन का शिकार हो रही जनता के लिए काम नहीं किया और न ही उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए गंभीरता दिखाई। यही वजह है कि वो अपने प्रयासों से जनता का दिल जीतने में कामयाब हुए हैं।

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