‘शांतिवादी’ फारूक अब्दुल्ला के घर में घुसे युवक की मौत

फारूक अब्दुल्ला

रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के घर में घुसने की कोशिश कर रहे एक युवक को सुरक्षकर्मियों ने गोली मार दी जिससे उसकी मौत हो गयी। जम्मू के भठिंडी क्षेत्र में फारूक अब्दुल्ला के आवास पर शनिवार सुबह 10:26 AM पर एक युवक अपनी कार को चलाता हुआ मुख्य द्वार तोड़कर अंदर पहुंच गया और इसके बाद गाड़ी से नीचे उतरकर लॉबी में तक पहुंच गया जब सुरक्षाबलों ने उसे रोकने की कोशिश की तो युवक ने हाथापाई की इसके बाद जवानों ने युवक को फारूक के बेडरूम तक पहुंचने के प्रयास के दौरान गोली मार दी। रिपोर्ट के अनुसार जब ये घटना हुई तब फारूक अब्दुल्ला अपने आवास पर नहीं थे बल्कि वो संसद में चल रहे मॉनसून सत्र के लिए राज्य से बाहर हैं।

युवक की पहचान 26 वर्षीय मरफास शाह के रूप में हुई है जिसके पिता जम्मू के बन तालाब में हथियार की दूकान चलाते हैं। मरफास शाह के परिवार वाले जम्मू एवं कश्मीर के राजौरी जिले से कुछ साल पहले ही चिन्नौर में शिफ्ट हुए थे। यहीं उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा भी पूरी कराई है। मृत युवक के परिजनों ने इस हत्या को साजिश करार दिया है। हालांकि, ये समझ नहीं आ रहा है कि अगर युवक ने मुख्य द्वार तोड़कर अब्दुल्ला के आवास में प्रवेश किया था तब सुरक्षा बलों ने उसे घेरकर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? रिपोर्ट के अनुसार युवक के पास कोई हथियार नहीं था ऐसे में अगर युवक घर के अंदर घुस भी गया था तो उसे रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने पैर में गोली क्यों नहीं मारी सीधे उसके सीने पर गोलियां क्यों दाग दीं क्या उसे घायल करने के लिए एक गोली काफी नहीं थी? एक युवक जो सिर्फ अब्दुल्ला के घर में घुसने की कोशिश कर रहा था उसके मंसूबे क्या थे ये कोई कैसे जान सकता है जब उसे रोकने या हिरासत में लेने की बजाय सीधे गोली मार दी गयी हो ? क्या एक युवक जिसके पास हथियार नहीं थे उसे रोक पाना सुरक्षाबलों के लिए इतना कठिन था? मृत युवक के पिता ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करवाई है और मामले की जांच करवाने की मांग की है।

मृत युवक के पिता ने कहा कि, ‘पुलिस पूर्व मुख्यमंत्री के घर के गेट के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज, सभी जवानों व उसके बेटे के मोबाइल की कॉल विवरण निकाली जाय तो इस साजिश का पर्दाफाश हो जायेगा।‘ वहीं, इस पूरे मामले में उमर अब्दुल्ला का ट्वीट निंदनीय था जिन्होंने इस घटना का विवरण तो दिया लेकिन आगे कुछ कहने की जहमत नहीं उठाई। उन्होंने कहा, , मुझे घटना के बारे में पता चला है। फिलहाल इस बारे में पूरी जानकारी नहीं मिली है। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक घुसपैठिया घर के अंदर ऊपरी लॉबी तक पहुंचने में कामयाब हो गया था।’

उमर अब्दुल्ला के ट्वीट से तो यही लग रहा है कि उन्हें युवक की जान जाने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है तभी तो उन्होंने इसके बारे और जानकारी जुटाने के कोई प्रयास नहीं किये।

युवक के परिजन अपने बेटे की मौत से दुखी हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं ऐसे में इस तरह की प्रतिक्रिया उनके ढोंग को दर्शाता है। युवक के घर में घुसने की वजह जो भी रही हो कम से कम उसे रोकने और उससे घायल किया जाना एक विकल्प था लेकिन उसकी हत्या कर देना न्यायिक नहीं था।

इस घटना पर फारूक अब्दुल्ला ने  सयंम बरतने की सलाह क्यों नहीं दी जो सलाह उन्होंने सेना को तब दी थी जब पत्थरबाजों ने सेना पर पत्थरबाजी की थी। पाकिस्तान और आतंकवादियों से शांतिवार्ता करने के लिए भी उन्होंने कई बार सरकार पर दबाव डाला है जबकि उन्हें पता है कि पाकिस्तान शांतिवार्ता की भाषा नहीं समझता है वो आराजकता और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए भारत में आतंकवादियों का निर्यात करता है लेकिन फिर भी वो बार-बार शांतिवार्ता के जरिये आतंकवाद की समस्या का समाधान ढूंढने की बात करते हैं। ऐसे में ये सवाल उठता है कि जब आतंकवादी और दुश्मनों के लिए फारूक अब्दुल्ला के दिल में इतनी जगह है तो एक युवक के मात्र उनके आवास में घुसने की कोशिश पर उनके सुरक्षा बलों ने उसे क्यों मार डाला। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने सुरक्षा बलों को फटकार क्यों नहीं लगाई? उन्होंने मामले की तह तक जाने की कोशिश क्यों नहीं की। ये फारूख अब्दुल्ला के दोहरे रवैये को दिखाता है जो भारत सरकार पर दुश्मनों से शांति वार्ता के लिए दबाव बनाते हैं जब खुद की सुरक्षा की बात आती है तो उनका रुख कुछ और ही नजर आता है।

 

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