क्या प्रियंका गांधी कांग्रेस की पुरुषवादी विचारधारा की शिकार हैं?

प्रियंका गांधी कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने एक भाषण में कहा कि आरएसएस में एक भी महिला शामिल नहीं है। बीजेपी और आरएसएस महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं देते। उन्होंने कहा, बीजेपी के वैचारिक मार्गदर्शक आरएसएस ‘‘पुरुषों का एकाधिकारवादी संगठन’’ है। राहुल गांधी दावा करते हैं कि “अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वो महिलाओं के लिए काम करेंगे। अगर किसी सीट पर महिला ज्यादा सक्षम है तो वहां महिला की मदद करेंगे।“ हालांकि, उन्होंने अपने इस बयान से अपनी ही पार्टी की विचारधारा को सामने रखा है। बीजेपी के विपरीत कांग्रेस पार्टी ने महिला की प्रतिभा को कभी तवज्ज़ो नहीं दी। इसका बेहतरीन उदाहरण हैं प्रियंका गांधी जिन्हें हमेशा ही कांग्रेस पार्टी के हाई कमान ने राजनीति से दूर रखा और राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया जबकि इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं कि प्रियंका गांधी राहुल गांधी से ज्यादा सक्षम है चाहे वो नीतियों की बात हो, चाहे वो चुनाव प्रचार हो। हर स्तर पर उनकी नीतियों ने कांग्रेस को आगे की ओर बढ़ाया है। ये बात कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता बखूबी जानते हैं।

प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और अमेठी में ही चुनाव प्रचार करती रही हैं और उनके चुनाव प्रचार से पार्टी को काफी फायदा भी हुआ है। प्रियंका गांधी की सादगी, बोलने का तरीका उनका आम लोगों और पार्टी के कार्यकर्ताओं से जुड़ने का अंदाज सभी को पसंद आता है। यहां तक कि लोग उनमें इंदिरा गांधी की छवि को देखते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के गुरु गया प्रसाद ने कहा था कि प्रियंका गांधी हमेशा से ही राजनीति में आना चाहती थीं। इस तथ्य को जानते हुए भी प्रियंका गांधी को कभी सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनने नहीं दिया गया।

एक नहीं बल्कि ऐसे कई मौके आये हैं जब प्रियंका गांधी ने अपनी वाक्पटुता और अपनी नीति से सभी को चौंका दिया है, इसके बावजूद हमेशा ही वो कांग्रेस के लिए खुलकर सामने से कोई भी भूमिका नहीं निभाती हैं, लेकिन कई बार उनकी नीतियों ने कांग्रेस को मुश्किल की घड़ी से बाहर निकाला है। वर्ष 2014 के आम चुनाव हो या कर्नाटक विधानसभा चुनाव हर जगह प्रियंका की भूमिका काफी अहम रही है। प्रियंका ने आम चुनाव 2014 के मद्देनज़र भी अपने भाई की सीट अमेठी में पार्टी के ‘वॉररूम’ को संभाला था। कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की अमेठी संसदीय सीट पर अपने भाई राहुल गांधी के लिए चुनाव प्रचार किया था। पार्टी में निरंतर ये मांग उठती रही है कि प्रियंका गांधी अपनी भूमिका रायबरेली और अमेठी से आगे भी निभानी चाहिए। यहां तक कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन की रूपरेखा रखी थी और उन्होंने ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात की थी। इसकी पुष्टि तब हुई थी जब गुलाम नबी आजाद ने गठबंधन के लिए प्रियंका गांधी को धन्यवाद दिया था।

कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन फिर भी ये प्रियंका गांधी की भूमिका ही थी जिस वजह से कांग्रेस कर्नाटक में जेडीयू के साथ गठबंधन की सरकार बनाने में सफल हो पायी थी।  ‘वन इंडिया’ में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, जेडीएस के साथ गठबंधन के लिए प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी को सलाह दी थी कि वो मुख्यमंत्री का पद कुमारस्वामी को ऑफर करें। इसके बाद ही कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन हो पाया था। वर्ष 2014  में हुए चुनाव के बाद से ही कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ता ये कहते आये हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष के पद लिए प्रियंका गांधी राहुल गांधी की तुलना में ज्यादा बेहतर विकल्प हैं। यही नहीं गुजरात चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले हार्दिक पटेल ने भी प्रियंका गांधी को राजनीति में सक्रिय नेता के रूप में देखने की बात कही थी। नवजोत सिंह सिद्धू ने भी प्रियंका गांधी की तारीफ़ की थी और कहा कि वे उनकी वजह से ही कांग्रेस में आए हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा राहुल गांधी की तुलना में हर स्तर पर जहां भी उन्होंने हिस्सा लिया है बेहतरीन प्रदर्शन किया है, लेकिन फिर भी उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष क्यों नहीं चुना गया? क्यों राहुल गांधी पार्टी की कमान संभाल रहे हैं? जबकि ये सभी जानते हैं कि प्रियंका गांधी वाड्रा राहुल से ज्यादा सक्षम हैं, यहां उन्होंने आगे बढ़कर अपनी बहन को उच्च पद क्यों नहीं सौंपा? इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस मानती है कि पुरुष ही शासन बेहतर तरीके से कर सकते हैं चाहे महिलाएं कितनी भी काबिल क्यों न हो। कांग्रेस खुद अपनी पार्टी में महिलाओं को पीछे रखती है और एनडीए और आरएसएस पर झूठे आरोपों से लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है।

एक इंटरव्यू में सोनिया गांधी ने कहा था कि “मैं अब रिटायर हो रही हूं।” इसपर जब पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या अब पार्टी की बागडोर प्रियंका गांधी संभालेंगी तो इसपर सोनिया गांधी ने कहा था कि, “प्रियंका गांधी अभी अपने बच्चों को संभालने में लगी है। ऐसे में राजनीति कैसे करेंगी?” इसका मतलब तो यही है कि प्रियंका गांधी राजनीति में आना चाहती हैं और पार्टी के लिए काम करना चाहती हैं लेकिन खुद सोनिया गांधी नहीं चाहती कि वो सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनें। दरअसल, सोनिया गांधी को प्रियंका गांधी की काबिलियत उनके कौशल के बारे में अच्छे से पता है साथ ही उन्हें ये भी पता है कि अगर प्रियंका गांधी राजनीति में आती हैं तो राहुल गांधी का ग्राफ नीचे गिर जायेगा।

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