गौतम गंभीर के बाद अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं सौरव गांगुली!

सौरव गांगुली बीजेपी

पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली के बीजेपी में शामिल होने की खबरें एक बार फिर से चर्चा में है। खबरों के मुताबिक टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष (कैब) सौरव गांगुली बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली ने अटल जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा था कि, “भारत ने अपना एक रत्न खो दिया दिया है, एक अद्भुत आत्मा, भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।”

इस ट्वीट से उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी क्षमताओं की प्रशंसा को उनके बीजेपी की ओर झुकाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। अगर सौरभ गांगुली राजनीति में आने का विचार करते हैं तो उनके लिए बीजेपी पार्टी में शामिल होना फायदेमंद साबित होगा और पार्टी को भी इससे फायदा होगा। चूंकि सौरव गांगुली को चाहने वालों की कमी नहीं है ऐसे में हर राजनीतिक पार्टी सौरव गांगुली को अपनी पार्टी में शामिल करना चाहती है और सौरव गांगुली किसी भी पार्टी में जायें उनका स्वागत बड़े सम्मान के साथ किया जायेगा।

सीपीएम हो या तृणमूल या कांग्रेस या हो बीजेपी सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने सौरव के सामने अपनी पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव रखा था लेकिन सौरव गांगुली ने किसी भी पार्टी का ऑफर स्वीकार नहीं किया। सबसे पहले ये मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने सौरव गांगुली को अपनी पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया था। सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य व सांसद सीताराम येचुरी ने कहा, “गांगुली वामपंथी लगते हैं। मुझे लगता है कि यदि वह कभी राजनीति में आए तो लेफ्ट फ्रंट से ही अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करेंगे।“ इसके बाद तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने भी सौरव के साथ अपने अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। यहां तक कि कांग्रेस भी गांगुली को राज्य सभा या लोकसभा का टिकट देना चाहती थी लेकिन सौरव गांगुली ने किसी भी पार्टी का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया।

हालांकि, स्वराज्य की रिपोर्ट के मुताबिक, गांगुली के करीबी दोस्त के मुताबिक, “अब सौरव गांगुली राजनीतिक क्षेत्र में कदम रख सकते हैं लेकिन तृणमूल कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का उनका कोई विचार नहीं है। सौरव आक्रामक स्वभाव के हैं और सुलझे हुए व्यक्ति हैं। वो एक टीम लीडर रहे हैं उन्होंने कभी चापलूसी नहीं की। ऐसे में वो कभी तृणमूल के साथ कभी सहज नहीं हो सकते। सौरव के पास पर्याप्त राजनीतिक अनुभव है और वो जानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी सिर्फ उनका इस्तेमाल करेगी अपनी वोट बैंक की राजनीति के लिए वो कभी उन्हें नेतृत्व करने का मौका नहीं देगी। ऐसे में सौरव उसी पार्टी में शामिल होंगे जहां उनकी क्षमता को अहमियत दी जाएगी।”

क्रिकेट के मैदान में अपनी छाप छोड़ने वाले सौरव गांगुली को चाहने वालों की संख्या काफी है। कोलकाता में लोग उन्हें प्यार से दादा बुलाते हैं। कहा जाता है कि अगर वो राजनीति में कदम रखते हैं तो पश्चिम बंगाल में संबंधित पार्टी का मुख्य चेहरा हो सकते हैं। पश्चिम बंगाल में बीजेपी की स्थिति अच्छी नहीं थी जिस वजह से जब बीजेपी ने 2014 में उन्हें पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था तब उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया था वहीं तृणमूल कांग्रेस पार्टी में प्रमुख चेहरा न बन पाने की वजह से वो पार्टी में शामिल नहीं हुए थे। हालांकि अब पश्चिम बंगाल में बीजेपी की स्थिति में काफी सुधार हुआ है जिस वजह से अटकलों का दौर एक बार फिर से शुरू हो गया है कि सौरव गांगुली बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

पश्चिम बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सौरभ गांगुली को पार्टी में शामिल करना चाहती है और वैसे भी बीजेपी को पश्चिम बंगाल में सौरव गांगुली से बेहतर उम्मीदवार उन्हें नहीं मिल सकता है। सौरव क्रिकेट की दुनिया में तो मशहूर है ही साथ ही वो बंगाल में भी काफी लोकप्रिय चेहरा हैं वहां के युवा उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। सौरव गांगुली जहां भी जातें वहां वो बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं यही वजह है कि उन्हें बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष भी बनाया गया। सौरव गांगुली ने कभी स्पष्ट रूप से इंकार भी नहीं किया है कि वो हमेशा राजनीति से दूर रहेंगे शायद वो एक सही समय का इंतजार कर रहे हैं। अगर वो बीजेपी में शामिल होने का फैसला लेते हैं तो ये पार्टी के लिए बड़ी सफलता होगी साथ ही राज्य में भी पार्टी को बल मिलेगा। 2019 के आने वाले आम चुनावों में बीजेपी को इससे बढ़त भी मिलेगी।

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