आम लोगों के लिए लोकतंत्र का मतलब लोगों के द्वारा, लोगों को और लोगों के लिए चुनी सरकार से है लेकिन मुलायम सिंह यादव के परिवार में इसका मतलब परिवार से है। अब यादव परिवार में एक नया यादव चेहरा जल्द ही शामिल हो सकता है। समाजवादी पार्टी में प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे कार्तिकेय यादव की एंट्री होने वाली है जो रिश्ते में मुलायम सिंह के नाती और अखिलेश यादव के भांजे हैं। सोमवार को समाजवादी पार्टी के प्रदेश व्यापी धरना-प्रदर्शन के दौरान कार्तिकेय यादव भी अपने परिवार की राजनैतिक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए इटावा की सड़कों पर दिखाई दिए। ये पहली बार था जब वो अपने नाना के साथ एक मंच पर दिखाई दिए। इससे पहले भी वो यदाकदा छुटपुट नजर आ जाया करते रहे हैं।
अपने परिवार की राजनैतिक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए पूरे उत्साह के साथ कार्तिकेय यादव तहसील परिसर में पहुंचे थे। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता का अंदाज देखकर काफी खुश नजर आये क्योंकि उनके साथ बड़ी संख्या में युवा भी थे।
ऐसा लगता है कि क्षेत्र में युवा मतदाताओं को लुभाने और शिवपाल के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए कार्तिकेय को बढ़ावा दिया जा रहा है। बता दें कि हाल ही में शिवपाल ने ‘सपा सेक्युलर मोर्चा’ का गठन किया है और सपा में सम्मान न मिलने के कारण पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को जुड़ने के लिए कहा है खासकर सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को उन्होंने जुड़ने के लिए कहा है।
ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव ने शिवपाल की अपील को गंभीरता से लिया है और उन्हें ये डर सता रहा है कि कहें उनके पार्टी के वरिष्ठ नेता समाजवादी पार्टी का साथ न छोड़ दें और नयी पार्टी ‘सेक्युलर मोर्चा’ के साथ न जुड़ जायें। उनका ये डर जायज भी है। शिवपाल यादव ने अपने 9 प्रवक्ताओं की सूची जारी कर दी है जिसमें अखिलेश सरकार के मंत्रिमंडल के दो बड़े चेहरे शादाब फातिमा और शारदा प्रताप शुक्ला का नाम भी शामिल हैं। ‘सेक्युलर मोर्चा’ के गठन के बाद लखनऊ में श्रीकृष्ण वाहिनी के कार्यक्रम में पहुंचे शिवपाल यादव के लिए उनके समर्थक बड़ी संख्या में पहुंचे थे। इस तरह की भीड़ देख उनका विश्वास और मजबूत हो गया है और इशारों ही इशारों में उन्होंने अखिलेश को लड़ाई के लिए तैयार रहने के लिए कह दिया और अखिलेश की तुलना कौरवों से कर दी है। उन्होंने कहा, “पांडवों ने कौरवों से पांच गांव मांगा था। मैंने तो सिर्फ सम्मान मांगा था। और अब कदम पीछे नहीं खींचूंगा। मैंने नेता जी (मुलायम सिंह यादव) से पूछ कर समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाया है।” अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए शिवपाल ने आगे कहा, “मैं आपस में नहीं लड़ना चाहता था। हमारे लोग मेरे विरोधी की मदद कर रहे थे। बहुत से लोग बेईमानी से ले गए। कुछ लोग गलत काम करना चाहते थे। सत्ता पाने से दंभ आता हैं। कंस को आया था। रावण को मद आया। क्या हुआ? विनाश हुआ।”
शिवपाल यादव को सपा के कुछ वरिष्ठ और मजबूत सदस्यों का समर्थन है जो अखिलेश यादव के लिए अच्छा संकेत नहीं है। दूसरी तरफ अखिलेश यादव की ताकत युवाओं के बीच लोकप्रियता है और युवाओं के बीच संघर्ष को बढ़ाने और युवा वोट बैंक को मजबूत करने के लिए कार्तिकेय को बढ़ावा दिया जा रहा है। अखिलेश यादव ये सन्देश भेजना चाहते हैं कि यादव परिवार एकजुट है और शिवपाल यादव परिवार में अपवाद हैं। ऐसा लगता है सपा के यादव परिवार में आन्तरिक लड़ाई का कोई अंत नहीं है।