पांच राज्यों ने आयुष्मान भारत योजना को लागू करने से किया इंकार

आयुष्मान भारत

पीएम मोदी ने रविवार को महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना लांच कर दी। इस योजना के जरिये देश के 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस मिलेगा। योजना से देश के करीब 50 करोड़ गरीब लोगों को लाभ मिलेगा। इस योजना की पूरी जानकारी देने के लिए 14555 हेल्पलाइन नंबर और और वेबसाइट (mera.pmjay.gov.in) सरकार द्वारा लॉन्च की जा चुकी है। वहीं, इस योजना को पांच राज्यों ने लागू करने से इंकार कर दिया। ये राज्य दिल्ली, केरल, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना है। इस योजना से जुड़े कुछ पहलुओं को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध है जिस वजह से ये योजना इन राज्यों में लागू नहीं हो पाया है। वास्तव में इन राज्यों के सत्तारूढ़ पार्टियों के नेताओं को लगता है कि अगर वो इस योजना को अपने राज्य में लागू करेंगे तो इससे बीजेपी को फायदा होगा। तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव को डर है कि इससे राज्य में पीएम मोदी की लोकप्रियता में इजाफा होगा। तेलंगाना राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,”आयुष्मान भारत योजना में पीएम मोदी की तस्वीर होगी जो राज्य सरकार को स्वीकार नहीं है।” स्पष्ट है कि सीएम केसीआर अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं चाहते हैं कि राज्य की आम जनता को इस योजना का लाभ मिले।

ओडिशा के नवीन पटनायक ने भी इस योजना को अपने राज्य में लागू करने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा, “पीएम मोदी को तेल की बढ़ती कीमतों पर ध्यान देना चाहिए बजाय ओडिशा पर।“ नवीन पटनायक के इस बयान का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हर कोई आयुष्मान भारत योजना का महत्व जानता है, मगर नवीन बाबू शायद ये नहीं समझते। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इस योजना को नजरअंदाज कर ओडिशा की जनता को स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभ से दूर कर रहे हैं।” ओडिशा राज्य में बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता ने नवीन पटनायक के अंदर सत्ता खोने का डर बैठा दिया है और यही वजह है कि वो इस योजना को राज्य में लागू नहीं करना चाहते हैं। पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल ने इस योजना के फायदे को देखते हुए इसे अपना लिया है लेकिन नवीन पटनायक अपने राजनीतिक हित के आगे इसे महत्व नहीं दे रहे हैं।

वहीं, एक इंटरव्यू में केरल के गृह मंत्री थॉमस इसाक ने योजना पर ही सवाल उठाया और इसे ‘बड़ी धोखेबाजी’ करार दिया। केरल के पड़ोसी राज्य कर्नाटक और तमिलनाडु ने इस योजना को अपना लिया है जबकि दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है। ऐसा लगता है कि केरल की कम्युनिस्ट सरकार योजना के महत्व को जाने बिना ही इसकी आलोचना शुरू कर दी है क्योंकि ये एनडीए सरकार द्वारा लायी गयी योजना है।

इस योजना को लेकर दिल्ली और पंजाब की प्रतिक्रिया सबसे खराब है। अन्य राज्यों की तरह आयुष्मान भारत को खारिज करने के लिए इन राज्यों की सरकार के पास पहले से कोई योजना नहीं है। दिल्ली और पंजाब की स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति सबसे खराब है। हर साल दिल्ली में डेंगू से कई लोग मौत के मुंह में समा जातें हैं लेकिन इस तथ्य को जानते हुए भी अपने अहंकार के आगे इन दोनों ही राज्यों ने आयुष्मान भारत योजना को लागू करने से मना कर दिया। यही नहीं आम आदमी पार्टी ने तो अपनी संकीर्ण सोच का उदाहरण भी सामने रखा ये कहकर कि पीएम मोदी द्वारा शुरू की गयी ये योजना एक और ‘‘जुमला’’ साबित होगी। यही नहीं आम आदमी पार्टी ने ये तक कहा कई दिल्ली सरकार इस योजना को तभी लागू करेगी जब इस योजना का नाम बदलकर ‘मुख्यमंत्री आम आदमी स्वास्थ्य बीमा योजना-आयुष्मान भारत’ रखा जायेगा। वहीं, पंजाब का रुख भी दिल्ली सरकार जैसा ही था। वो भी इस योजना को लागू न करने एके पीछे केंद्र सरकार के प्रचार का एक जरिया बता रहे है।

नेशनल हेल्थ पॉलिसी के मसौदे के अनुसार, “देश में 63 मिलियन लोगों को हर साल अपने स्वास्थ्य पर किए गए खर्च की वजह से गरीबी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनके इलाज लिए कोई वित्तीय सुरक्षा नहीं है।” ऐसे में आयुष्मान भारत योजना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी तंत्र साबित होगा। ये बात इन राज्यों की सरकारों को अच्छी तरह से पता है लेकिन अपने स्वार्थ की राजनीति के चलते ये ये राज्य इस योजना को लागू करने के पक्ष में नहीं है।

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