ओडिशा के विधानसभा चुनाव को लेकर एक सर्वे ने सत्तारूढ़ पार्टी को झटका दिया है। इस सर्वे में मोदी लहर का असर बरकरार रहने का दावा किया गया है और स्पष्ट किया है कि देश में मोदी लहर का असर भले ही कम दिखे लेकिन ओडिशा में इसका भारी असर नजर आने वाला है। ये सर्वे ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की नींद उड़ाने और बीजेपी में जोश भरने के लिए काफी है। दरअसल, हाल ही में डेलीहंट द्वारा कराये गये चुनावी सर्वे में ये सामने आया है कि ओडिशा में मोदी का जादू चलने वाला है और नवीन पटनायक की कुर्सी जाने वाली है।
डेलीहंट ऐप के माध्यम से कराये गये इस सर्वेक्षण में पांच दिन (15 सितम्बर से 30 सितम्बर 2018) में 50,156 लोगों ने हिस्सा लिया था। इस सर्वे में पांच सवाल पूछे गये थे जिसके जवाब ने साफ किया कि जनता अब दोबारा सत्ता में नवीन पटनायक को नहीं चाहती है। सर्वे के मुताबिक 35% लोगों का मानना है कि राज्य में बीजेपी को हराने के लिए महागठबंधन बनेगा जबकि 65% लोगों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी। वहीं, 61% लोगों का मानना है कि अगले निर्वाचन में मोदी का जादू चलेगा जबकि सिर्फ 39% लोगों का कहना है कि पीएम मोदी का जादू नहीं चलेगा। सर्वे में अगले चुनाव में जनता ओडिशा का मुख्यमंत्री बदलना छाती हा या नहीं इसपर 62% लोगों ने हां में जवाब दिया जबकि सिर्फ 38% लोगों ने नहीं में जवाब दिया। वहीं, अगले विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल (बीजेडी) को मौका दिए जाने के सवाल पर सिर्फ 37% लोगों ने ही अपनी सहमती जताई जबकि 63% लोगों को लगता है कि बीजेडी दोबारा सत्ता में नहीं आएगी। सर्वे के ये नतीजे बीजेपी की रणनीतियों को और ज्यादा मजबूत करने में सहायक साबित होने वाला है।
क्षेत्रफल के अनुसार ओड़िशा भारत का नौवां और जनसंख्या के हिसाब से ग्यारहवां सबसे बड़ा राज्य है। ओडिशा में विधानसभा की कुल 147 और 21 लोकसभा सीटें हैं जिसके लिए 2019 में चुनाव होना है। राज्य में बीजेपी के आत्मविश्वास को तब मजबूती मिली थी जब पिछले साल फरवरी में पांच चरणों में पंचायत चुनाव के मतदान के नतीजों में बीजेपी ने राज्य में 2012 के मुकाबले अपनी सीटों में इजाफा किया था। जहां साल 2012 में पार्टी ने राज्य की 854 पंचायत सीटों में से सिर्फ 36 ही जीती थीं वहीं पिछले साल 297 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस जीत ने बीजेपी के मनोबल को बढ़ावा दिया है और तब से भारतीय जनता पार्टी इस कोशिश में लगी हुई है कि बीजेडी दोबारा सत्ता में वापसी न कर सके। ओडिशा की जनता गरीब राज्य के टैग से बाहर निकलना चाहती है। राज्य की जनता बढ़ती बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या, महिला उत्पीड़न बढ़ने से परेशान है। इन्हीं कारणों की वजह से राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी विरोधी लहर बढ़ रही है और ओडिशा की जनता भारतीय जनता पार्टी को बड़ी उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी संकेत दिए थे कि भारतीय जनता पार्टी आगामी ओडिशा विधानसभा चुनाव में क्लीन स्वीप करने वाली है। भारतीय जनता पार्टी के ओडिशा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक बीजेपी ने ओडिशा की 147 में से 120 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजेडी) की नवीन पटनायक सरकार साल 2000 से लगातार सत्ता में है और इस सरकार के प्रति लोगों में असंतुष्टि की भावना समय के साथ बढ़ी है। साल 2017 के पंचायती चुनावों में सत्ता विरोधी रुझान भी देखा गया था। ऐसे में स्पष्ट रूप से बीजेपी को बीजेडी के खिलाफ स्वाभाविक तौर पर सत्ता विरोधी रुझान का पूरा फायदा मिल सकता है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर बाजी खेल सकती है क्योंकि पंचायत चुनाव में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र ने ही संभाली थी। सर्वे में अगले मुख्यमंत्री के लिए 56% लोगों ने केंद्रीय मंत्री व ओडिशा से बीजेपी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र प्रधान का नाम लिया। यही वजह है कि ओडिशा राज्य में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी जोश व्याप्त है जो साफ करता है कि आगामी चुनाव में बीजेपी भारी जीत दर्ज कर सकती है।