फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान’ के पीछे का सच

ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान

‘ठग’ इस शब्द सुनकर हमारे मन में यही आता होगा कि ये किसी ठग की कहानी से प्रेरित होगा जो लूट, डकैती, गुंडागर्दी करते होंगे। है न? लेकिन ऐसा नहीं है। ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान कौन थे और उन्हें कैसे ये नाम मिला ? ये सवाल आपके मन में भी आता होगा। इस सवाल का जवाब और ठगों की वास्तविक सच्चाई क्या है एक यूट्यूब वीडियो चैनल ने इससे जुड़े सच और गहराई से सामने रखा है।

यूरोपियन अप्रवासी हमेशा से दुनिया में अपने प्रसार के लिए कूटनीति और अपनी सभ्यता थोपने का काम करते थे। उनकी इन्हीं कोशिशों की वजह से ऑस्ट्रेलियन डेमोग्राफी और अमेरिकन डेमोग्राफी में काफी बदलाव आया था। वो इन देशों में सिविल अधिकार के नाम पर नरसंहार करते थे, वहां के लोगों पर अत्याचार करते थे उनकी जमीनों पर कब्जा करते थे। इन यूरोपियन अप्रवासियों ने 1492 में अमेरिकी मूल निवासियों की संख्या पर भारी प्रभाव डाला था और दुनिया को कहते थे हम उन्हें सभी बना रहे हैं।

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ऐसा ही कुछ अंग्रेजों ने भारत में आकर किया था। जिन्हें आज ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान के नाम से जाना जाता है असल में वो काली पूजक जनजाति  थे जो जंगलों में रहते थे। जब अंग्रेज भारत की जमीनों पर कब्जा करना चाहते थे तब वो इन जनजातियों के जंगलों को नष्ट करना चाहते थे और ऐसे में अंग्रेजों का विरोध होना तय था। ऐसे में अंग्रेजों ने इन जनजातियों की छवि को साहित्य के माध्यम से बुरा दिखाया और इस तरह के लिटरेचर को ‘एट्रोसिटी लिटरेचर’ कहते हैं। इसी से संबंधित एक किताब भी लिखी गयी थी जिसका नाम ‘कनफेशंस ऑफ अ ठग था और इसे फिलिप मेडोज़ टेलर ने लिखा था जो 1839 में प्रकाशित हुआ था और इसे आज भी इतिहासिक तथ्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इन किताबों के जरिये अंग्रेज भारत के मूल निवासियों को गलत तरीके से चित्रित करते थे। 1871 में इसके बाद ब्रिटिश संसद ने क्रिमिनल ट्राइबल एक्ट पास किया था जो भारत के इन मूल निवासियों को ‘ठग’ कहकर इन्हें अपराधी बनाते थे और बड़े पैमाने पर नरसंहार करते थे और अपने नियमों के अनुसार इसे उचित बताते थे। अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर भारत के इन जनजातियों पर अत्याचार किया इनकी जमीनों को हड़प लिया और इसके पीछे कारण बताते थे कि हमने असभ्य ‘ठग’ को सही तौर तरीका सिखाने के लिए ऐसा किया है और अपने अपराध को न्यायसंगत बताते थे। इन जातियों के जमीनों को हडपने के लिए उन्होंने छोटे बच्चों तक को अपराधी बताया था।

अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर नरसंहार किया अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के लोगों पर अत्याचार किया और अपने बनाये नियमों अनुसार उसे सही दिखा दिया। सवाल ये है कि ‘ठग’ जिसे गलत तरीके से चित्रित किया गया आखिर में उनकी क्या गलती थी? बस यही कि उन्होंने अंग्रेजों के नियमों का विरोध किया अपनी जमीनों को न देने का विरोध किया इसलिए वो ‘ठग’ बन गये और असभ्य थे। अंग्रेजों ने अपने नियमों और अधिनियमों के आधार पर कई किताबें लिखीं और इन जनजातियों को गलत तरीके से पेश किया उनकी छवि को आपराधिक बताया और ये दुःख की बात है कि आज भी जो नयी किताबें लिखीं जाती हैं उनमें भी कोई बदलाव नहीं है वो भी अंग्रेजों द्वारा लिखी गयी किताबों के तथ्यों पर आधारित होती हैं।

यहां तक कि फ्रांसीसी लेखक जूल्स वर्न ने भी ‘अराउंड द वर्ल्ड इन एटी डेज़’ नामक अपनी पुस्तक में भारत को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था। बाद में उन्होंने इसमें संशोधन किया और भारत के लोगों और उनकी संस्कृति को सकारात्मक तरीके से पेश किया था।

ठगों के पीछे की चर्चा के पीछे की वजह है बॉलीवुड की आगामी फिल्म ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान जिसमें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और आमिर खान एक साथ काम कर रहे हैं। इस फिल्म के प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा और डायरेक्टर विजय कृष्ण आचार्य हैं। हम उम्मीद करते हैं अंग्रेजों की झूठी और ढोंग की संस्कृति से फिल्म ऊपर उठकर इस फिल्म में ‘ठग्स’ के पीछे की वास्तविक कहानी को दिखाया जाएगा।

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