जेएनयू के छात्रों ने लगाया आरोप, जन्माष्टमी मनाने से रोकने की गयी कोशिश

जेएनयू जन्माष्टमी

देश में  3 सितंबर को जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया इस बीच दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू ) के छात्र संगठन ने दिल्ली पुलिस को एक लिखित शिकायत की थी। इस शिकायत में विवेकानंद विकास मंच ने कहा था कि उन्हें परिसर में जन्माष्टमी मनाने से रोकने की कोशिश की गयी थी जिससे उनकी धार्मिक भावना आहत हुई है। विवेकानंद विकास मंच द्वारा वसंत कुंज (उत्तरी) के थानाध्यक्ष के यहां दर्ज शिकायत में कहा गया है कि जन्माष्टमी के दिन जो पोस्टर लगाये गये थे वो भी फाड़ दिए गये। हालांकि, पुलिस ने बाद में बताया कि परिसर में जन्माष्टमी शांति से मनाई गयी और कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी और ये बात खुद दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संगठन ने भी स्वीकार की।

विवेकानंद विकास मंच द्वारा वसंत कुंज (उत्तरी) के थानाध्यक्ष के यहां दर्ज लिखित शिकायत में कहा गया है कि,  “हमने जन्माष्टमी उत्सव मनाने को लेकर 28 अगस्त को बैनर लगाए थे। जिसमें परिसर में जन्माष्टमी के अवसर पर मटकी फोड़ प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया जाएगा लेकिन 2 सितंबर को ये पोस्टर कई जगहों से हटा दिए गए थे। ये बैनर जेएनयू के चुनाव कमिटी के प्रमुख हिमांशु कुलश्रेष्ठ के द्वारा हटाया गया था।”

इस घटना पर मीडिया से बात करते हुए दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमें विवेकानन्द विकास मंच से लिखित शिकायत मिली है लेकिन अभी तक इसे एफआईआर में नहीं बदला गया है।”  अधिकारी ने आगे कहा कि ये एक छोटी सी घटना थी और परिसर में जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान जेएनयू परिसर में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। वहीं, कुछ छात्रों ने ये भी दावा किया कि पोस्टर वामपंथी स्टूडेंट्स द्वारा हटाए गये थे जो नहीं चाहते थे कि जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाए और उन्होंने धमकी भी दी कि परिसर में यदि जन्माष्टमी मनाई गयी तो उनकी पिटाई की जाएगी।

ये पहली बार नहीं है जब जेएनयू से इस तरह की खबरें सामने आई हैं। इससे पहले भी इस यूनिवर्सिटी से देश में अलगाववादी तत्वों का समर्थन करने से लेकर नक्सलियों के साथ खुलकर मिलने तक के मामले सामने आये हैं। जेएनयू में राजनीतिक गतिवधियों में भी बढ़ोतरी हुई है। खैर, जेएनयू में जन्माष्टमी शांत तरीके से मनाई गयी लेकिन इस तथ्यों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि इस उत्सव को मानने से रोकने की कोशिश भी की गयी थी। हो सकता है कि दिल्ली पुलिस में शिकायत के बाद लेफ्ट विंग के इरादों पर पानी फिर गया हो। अगर जन्माष्टमी के दिन पुलिस जेएनयू परिसर में मौजूद न होती तो शायद दो अलग अलग समूह के सदस्यों में संघर्ष देखने को मिलता और मीडिया में ये खबरें चर्चा में होतीं। ये आश्चर्य की बात है कि देश की राजधानी दिल्ली में स्थित जेएनयू परिसर में इस तरह की गतिविधियां होती हैं।

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