जॉन अब्राहम की अगली फिल्म ‘बाटला हाउस एनकाउंटर’ पर है आधारित

जॉन अब्राहम बाटला हाउस

PC: Zee News

बॉलीवुड में फिल्मों को लेकर बड़ा बदलाव आया है अब दर्शकों को मसाला फिल्म नहीं बल्कि देश भक्ति, वास्तविक जीवन पर आधारित जैसी फिल्मों को खूब पसंद कर रहे हैं। ऐसे में अब बॉलीवुड इसी तरह की फिल्मों पर फोकस कर रहा है। ट्रेंड के दौर को देखते हुए बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम ने अपनी नयी फिल्म ‘बाटला हाउस’ का शुक्रवार को नया पोस्टर रिलीज़ कर धमाका किया है।

परमाणु और सत्यमेव जयते जैसी फिल्मों को मिली अप्रत्याशित सफलता के बाद अब ‘बाटला हाउस’ लेकर आ रहे जो 19 सितंबर को 2008 में दिल्ली में हुए बटला हाउस एनकाउंटर पर आधारित है। उस समय इस घटना ने भारत के राजनीतिक समीकरण को काफी प्रभावित किया था। जॉन ने बताया कि फिल्म 15 अगस्त 2019 को रिलीज होगी। इस फिल्म का मुकाबला पर्दे पर अयान मुखर्जी की फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ से होगा। फिल्म का पोस्टर शेयर करते हुए जॉन ने लिखा, “70 एनकाउंटर, 33 केस, 22 कन्विक्शन, 9 शौर्य पुरस्कार, एक आरोप, ‘जब आप सबकुछ हासिल कर लेते हैं तो एक पल हर चीज़ का सफाया हो सकता है।’ इंडिया के सबसे चर्चित/विवादित पुलिस ऑफिसर की कहानी।”

बाटला हाउस एनकाउंटर को दस साल हो चुके हैं। साल 2008 में 19 सितम्बर को दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर में पुलिस ने दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इंडियन मुजाहिदीन के दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद को मार गिराया था दो अन्य संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए, जबकि एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया था जिसे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया और 2013 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इस मुठभेड़ का नेतृत्व कर रहे एनकाउंटर विशेषज्ञ और दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा इस घटना में मारे गए थे। इस मुठभेड़ से 6 दिन पहले राजधानी में सीरियल ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 26 लोग मारे गये थे और 133 घायल हुए थे। सीरियल ब्लास्ट के 6 दिन बाद 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन के पांच आतंकी बटला हाउस के फ्लैट संख्या एल18 में हैं जिसके बाद पुलिस इस एनकाउंटर को अंजाम दिया था।

हालाँकि, इस पूरे ऑपरेशन में दिल्ली पुलिस की बहादुरी का सम्मान करने की बजाए राजनीतिक पार्टियों ने इस मामले में भी सियासत की और विवाद खड़ा किया था और इस एनकाउंटर को फेक बताया था। हालाँकि, बाद में एनएचआरसी ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस को क्लीन चिट दी, जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने मामले में न्यायिक जांच की मांग ठुकरा दी। जिसके बाद पुलिस की धूमिल हुई छवि 4-7 साल में फिर से बहाल हुई थी।

जॉन अब्राहम जैसे अभिनेता ने एक बार फिर से उस समय की घटना को अपनी फिल्म में एक बार फिर से दोहराएंगे। इस फिल्म के जरिये देश की सेवा में जुटे पुलिस कर्मियों के त्याग और सेवा की भावना वो आम जनता तक पहुंचाएंगे जिन्होंने बाटला हाउस एनकाउंटर के जरिये लाखों लोगों की जान को बचाया।

परमाणु के बाद जॉन अब्राहम का इस फिल्म को परदे पर लेकर आना जो राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील है लेकिन आम जनता तक पुरानी महत्वपूर्ण घटनाएं जब पहुंचेगी तो उन्हें भी इन घटनाओं को बारीकी से देखेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि वो अपनी इस फिल्म किरदार के साथ न्याय करेंगे।

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