राजकुमार हिरानी ने माना कि उन्होंने संजय दत्त की ‘छवि को सुधारने’ के लिए किये थे बदलाव

संजय दत्त राजकुमार हिरानी संजू

(PC: Pinkvilla)

फिल्मकार राजकुमार हिरानी ने अपनी फिल्म ‘संजू’ को लेकर बड़ा खुलासा किया है और ये माना है कि उन्होंने संजय दत्त की जिंदगी पर बनी बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म उनके प्रति सहानुभूति बनाने के लिए थी।

इंडियन फिल्म एंड टीवी डायरेक्टर एसोसिएशन स्पेशल मास्टरक्लास में पटकथा लेखक अंजुम रजब अली के साथ बातचीत में राजकुमार हिरानी ने बताया कि कैसे लोगों ने शुरआती स्क्रीनिंग में संजू की भूमिका को पसंद नहीं किया था। उन्होंने कहा, वास्तव में जब पहला संपादन तैयार हुआ और हमने लोगों के लिए उसकी पहली स्क्रीनिंग रखी तो उन्होंने पसंद नहीं किया। उन्होंने कहा कि वो इस व्यक्ति को पसंद नहीं करते और न ही देखना चाहते है।’ उन्होंने कहा, “मैं कहानी को जस का तस पेश करना चाहता था क्योंकि मैं संजय के प्रति किसी तरह की सहानुभूति नहीं पैदा करना चाहता था। मैंने शुरू में दिखाया भी वैसा ही है लेकिन बाद में मुझे लगा कि वो एक नायक। हमें उसके प्रति सहानुभूति दिखानी होगी।”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे आलोचनाओं के बारे में पता है कि फिल्म में दत्ता के इरादों को लेकर सवाल नहीं किया गया है क्योंकि उसे अच्छे इरादों के साथ दिखाया गया था कि चाहे वो बुरे विकल्प को चुनना था या वो कुछ दबावों का शिकार था उसके इरादों को लेकर सवाल नहीं किया गया है। लेकिन कुछ चीजों को लेकर मैं संजय की आलोचना करता हूँ हालाँकि मुझे पता है कि एक्टर में खामियां हो सकती हैं लेकिन कभी कभी ये भारी पड़ता है। फिल्म के एक सीन में दिखाया गया है कि संजय दत्त ने अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड (करिश्मा तन्ना) के साथ संबंध बनाए थे। उनकी दोस्ती टूटने की कगार पर थी। उनकी दोस्ती लगभग खतरे में थी।” ऐसे ही कई सीन है जिसको लेकर में संजय का बचाव नहीं किया है।

सच कहूं तो ये भविष्य में बॉलीवुड के लिए एक बुरा उदाहरण स्थापित करेगा। फिल्मों को आम तौर पर राष्ट्र की ‘सॉफ्ट पॉवर’ के रूप में माना जाता है। इस तरह से एक अपराधी के अपराध पर पर्दा डालना और उसे सकारात्मक रूप में चित्रित करना सही नहीं है क्योंकि ये स्पष्ट रूप से अपराध को सही ठहराने की कोशिश को दर्शाता है और फिल्म संजू में यही किया गया है।

ये पहली बार नहीं है जब किसी फिल्मकार ने फिल्म के जरिये किसी दागी व्यक्तित्व को बेहतर दिखाने की कोशिश की हो। बॉलीवुड इसके लिए मशहूर है। फूलन देवी के ऊपर आधारित ‘बैंडिट क्वीन’ हो या मुहम्मद अजहरुद्दीन पर आधारित ‘अजहर’ हो यहं चक्रव्यूह में नक्सल आन्दोलन सभी को ऐसे पेश किया गया है जिससे लोगों में इन भूमिकाओं के प्रति सहानुभूति जगे और वो फिल्म को देखें। बॉलीवुड पान सिंह तोमर, शूल जैसी फिल्मों के जरिये अपराधियों/घोटालेबाजों का बखान करने के लिए जाना जाता है।

चूंकि राजकुमार हिरानी को संजय दत्त का कर्ज चुकाना था,संजय दत्त ने उनकी ‘मुन्ना भाई’ फिल्म में अपनी बेहतरीन अद्कारी से फिल्म को हिट किया और राजकुमार हिरानी एक सफल निर्देशक के रूप में स्थापित किया था। एक अभिनेता के जीवन से जुड़े सच को दिखाने की जगह उसके सच को बनाकर इस तरह से पेश किया गया जिससे एक नायक के प्रति लोगों में नफरत की भावना न हो। एक ऐसे एक्टर के बारे में जिसके एक फैसले ने देश की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया था उसके प्रति सहानुभूति को जगाया गया।

राजकुमार हिरानी के इस कॉन्फेशन के साथ ही हम ये भी जानते हैं कि बॉलीवुड को अपने फिल्म बनाने के मानकों में सुधार की जरूरत है। हम उम्मीद करते हैं बॉलीवुड के फिल्मकार इस ओर ध्यान देंगे।

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