मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक के लिए लाये गये अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मंजूरी मिल गयी है जिसके तहत तीन तलाक देना अपराध है और इसमें तीन साल की सजा का प्रावधान है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक साथ तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी इसके बाद राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर इसे मंजूरी दे दी। इसके साथ ही ये कानून लागू हो गया। इस अध्यादेश के लागू होते ही मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गयी। लोकसभा में तो तीन तलाक का बिल पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में अटका हुआ है क्योंकि विपक्ष इसे पास होने नहीं देना चाहता। हालांकि, संविधान में अध्यादेश का रास्ता बताया गया है और मौजूदा सरकार ने इस बिल को लागू करने कि लिए इसका इस्तेमाल किया। इस अध्यादेश के पास होते ही कयास लगाये जा रहे हैं कि राम मंदिर के निर्माण का रास्ता भी साफ़ हो जायेगा। इसके संकेत बीजेपी के कुछ नेताओं ने पहले भी दिए हैं। वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा अध्यादेश लाने पर उसे अपना समर्थन देने की बात भी कही है। उन्होंने कहा, “राम मंदिर पर अध्यादेश का मामला सरकार के पास है और आयोजन का मामला रामजन्म भूमि मुक्ति संघर्ष समिति के पास है और दोनों में मैं नहीं हूं।अगर कोई सलाह मांगी जाती है तो मैं इस मामले में जरुर दूंगा। मैं संघ के नाते चाहता हूं कि राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर जल्द बनना चाहिए।”
बीते महीने उत्तर प्रदेश उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने अपने एक बयान में कहा था, “केंद्र सरकार राम मंदिर मामले में कानून ला सकती है, जब भाजपा के पास दोनों सदनों में पर्याप्त संख्याबल होगा यदि लोकसभा में विधेयक लातें और वो पारित हो जाता है तो राज्यसभा में हमारे पास बहुमत नहीं है अगर होता तो राम मंदिर के लिए विधेयक जरूर लाते और ये बात राम के सभी भक्त जानते हैं। कोर्ट जल्द ही इस मामले पर अपना फैसला सुना सकता है। जिस दिन हमारे पास पर्याप्त संख्याबल होगा उस दिन ताकत का सदुपयोग किया जायेगा उसका दुरूपयोग नहीं किया जायेगा।”
जहां तक विपक्ष का सवाल है वो अभी भी तुष्टिकरण की राजनीति में व्यस्त है और हिंदुओं को लुभाने के लिए प्रयास कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मानसरोवर की यात्रा, शिव भक्त होने का ढोंग, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी द्वारा दुर्गा पूजा समितियों के आयोजकों की एक बैठक के दौरान ‘सामुदायिक विकास कार्यक्रम’ के तहत ये राशि मुहैया कराए जाने की घोषणा कर हिंदुओं को अपने राज्य में लुभाने का प्रयास इसका उदाहरण है। यदि मोदी सरकार कोई नया विधेयक लेकर आती है तो विपक्ष जानबूझकर इसे रोकने का प्रयास करता है क्योंकि अगर तीन तलाक के बाद राम मंदिर का विवाद भी सुलझ जाता है तो इससे विपक्ष की स्वार्थ की राजनीति पर पानी फिर जायेगा और आगामी चुनाव के लिए उसकी राह और भी ज्यादा कठिन हो जाएगी। यही वजह है कि विपक्ष जानबूझकर तीन तलाक बिल को पास होने से रोक रहा था जिसके बाद वर्तमान सरकार को अध्यादेश का रास्ता अख्तियार करना पड़ा और अब उम्मीद की जा रही है जल्द ही राम मंदिर मामले को सुलझाने के लिए भी बीजेपी इसी मार्ग का चुनाव करेगी। तीन तलाक के बाद वर्षों से चल रहे राम मंदिर से जुड़े विवाद को सुलझाकर बीजेपी अपने मतदाता आधार को और भी ज्यादा मजबूत करने में सफल हो जाएगी जिसका फायदा इसे आगामी लोकसभा चुनाव में होगा।