उत्तर प्रदेश में जबसे योगी आदित्यनाथ सत्ता में आये हैं तब से कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए काम कर रहे हैं और स्पष्ट कर दिया है कि अपराध नहीं रुका तो अपराधी का खात्मा कर दिया जायेगा। योगी सरकार में अपराधियों की धरपकड़ तेज है। योगी सरकार द्वारा उठाये गये सख्त कदमों का ही नतीजा था कि सत्ता में आने के महज सात महीने में ही यूपी पुलिस ने साढ़े चार सौ मुठभेड़ों में 20 अपराधियों को मार गिराया था। इसके अलावा ढाई हजार से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार किया गया था। मई 2018 तक में यूपी की पुलिस ने 50 अपराधियों को मार गिराया और लगभग 1,400 एनकाउंटर किया। अब हालात ऐसे हैं कि उत्तर प्रदेश के अपराधियों को जान बचाने के लिए फिलहाल जेल से सुरक्षित कोई दूसरी जगह सूझ ही नहीं रही है। अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 20 मार्च 2017 से पुलिस ने राज्य में 25 मई 2018 तक के बीच कुल 1,478 एनकाउंटर किये हैं। सबसे ज्यादा एनकाउंटर मेरठ जोन में हुए हैं। यहां कुल 569 एनकाउंटर हुए हैं। इसके बाद बरेली जोन में कुल 253 एनकाउंटरहुए हैं। इसी कड़ी में अगला जोन आगरा है जहां 241 एनकाउंटर हुए हैं और कानपुर में 112 एनकाउंटर हुए हैं। वहीं सीएम योगी के गोरखपुर जिले में 51 एनकाउंटर हुए हैं। अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, “राज्य की पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत 188 के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है और 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त की है। 1455 लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की गयी और 4,881 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है।“ यही नहीं यूपी में अपराध को कम करने, गैंगस्टर, माफिया और अपराधियों से निपटने के लिए योगी सरकार ने कड़े प्रावधान वाला उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण (यूपीकोका) बिल पारित किया था।
अपराधियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान से जहां समाज के लोगों में अब कानून व्यवस्था पर भरोसा मजबूत हुआ है और साथ ही अब वो खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं वहीं मीडिया और ह्यूमन राईट कमीशन को इससे आपत्ति है। मीडिया का कुछ वर्ग ये दावा कर रहा है कि ये एनकाउंटर फर्जी हैं और निर्दोष लोगों को एनकाउंटर में मारा जा रहा है। इस तरह के विवाद और सवालों को उठता देख इस बार यूपी पुलिस ने मीडिया को एनकाउंटर को करीब से देखने और गवाह बनाने के लिए कॉल किया।
गुरुवार को अलीगढ जिले में पुलिस द्वारा एक अनोखे एनकाउंटर को अंजाम दिया है जिसमें गवाह के लिए मीडिया को बुलाया गया था। मीडिया ने इस एनकाउंटर का लाइव वीडियो बनाया और देखते ही देखते पुलिस ने मुस्तकिम और नौशाद नाम के दो बदमाशों को मार गिराया। दूर से ही मीडिया ने इस पूरी घटना को अपने कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया। अलीगढ़ एसपी अतुल श्रीवास्तव ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत में कहा, “मुस्तकिन और नौशाद ने पुलिस पर गोली चलाई थी और उसके बाद भागने की कोशिश की थी। हरदुआगंज पुलिस इंचार्ज विनोद कुमार ने उनका पीछा किया लेकिन वे एक खाली बिल्डिंग में जाकर छुप गए। बाद में उस बिल्डिंग को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया इसके बाद उनके एनकाउंटर की योजना बनाई गयी।” पुलिस ने आगे बताया कि उन दोनों ने पुलिस पर 34 राउंड फायरिंग की थी।
मीडिया को इस एनकाउंटर को देखने के लिए बुलाये जाने के सवाल पर अलीगढ़ एसएसपी अजय कुमार साहनी ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि, “हमें ऊपर से आदेश था कि एनकाउंटर की सारी डिटेल्स मीडिया के साथ शेयर की जाए। मीडिया से कुछ भी छुपाया न जाये। अगर कोई फोटो लेना चाहता है या वीडियो शूट करना चाहता है वो स्वतंत्र रूप से कर सकता है।”
बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने मंगलवार साधुओं की हत्या के मामले में एटा गिरोह के 5 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था लेकिन अन्य तीन अभियुक्त अफसर,नौशाद और मुस्तकीम फरार होने में कामयाब हो गये थे। इन सभी के सिर पर पुलिस ने 25 हज़ार का इनाम घोषित किया था। इसके बाद गुरुवार के तडके सुबह पुलिस को नौशाद और मुस्तकीम के स्थान की सुचना मिली जिसके बाद पुलिस कार्रवाई करते हुए उन्हें ढेर कर दिया।
यूपी पुलिस का लाइव एनकाउंटर का विचार काफी अच्छा है कम से कम जो लोग पुलिस के कार्यों पर सवाल उठाते हैं उन्हें पता तो चले कि वास्तव में पुलिस किस तरह से अपराध के खिलाफ कार्रवाई कर रही। इस कार्रवाई से प्रदेश के अपराधियों में खौफ पैदा हो गया है ऐसे में वो अब वो अपनी अपराध की छवि सुधारना चाहते हैं या कानून का स्वाद लेना चाहते हैं ये उनपर निर्भर करता है क्योंकि योगी सरकार में फायदे में तभी रहोगे जब कायदे से रहोगे।