अगले साल होने वालेचुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से कमर कस ली है और जल्द ही पश्चिम बंगाल में ममता के किले को ढाहने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ी योजना बनाई है और इसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को भी दी जा रही हैं। खास बात ये है कि 2019 में लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के पक्ष में स्थिति को करने के लिए बीजेपी तीन रथ यात्राएं निकालेगी। इसी साल जून में अमित शाह के दो दिवसीय बंगाल यात्रा के दौरान रथयात्रा निकालने का निर्णय लिया गया था।
इन तीन रथ यात्राओं का नेतृत्व बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल करेंगे। ये रथ यात्रा पश्चिम बंगाल के सभी विधानसभा और 42 लोकसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी और इस यात्रा में बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, “रथयात्राएं दिसंबर में शुरू होंगी और इस अभियान के लिए प्रचार दुर्गापूजा के बाद से ही शुरू हो जायेगा।” घोष ने ये भी बताया कि प्रथम रथयात्रा 3 दिसंबर को बीरभूमि जिले के मंदिर शहर तारापीठ से शुरू होगी जबकि दूसरी रथयात्रा दक्षिण 24 परगना जिले के नामखाना-गंगासागर से पांच दिसंबर को और अंतिम रथयात्रा कूचबिहार से 7 दिसंबर को निकलेगी। प्रत्येक रथयात्रा में 14 लोकसभा क्षेत्र शामिल होंगे। इससे साफ़ है कि पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है और इसके संकेत अमित शाह ने काफी पहले ही दे दिए थे।
दरअसल, पश्चिम बंगाल में बीजेपी की उम्मीद के पीछे कई कारण हैं। 2014 के बाद से बीजेपी ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस के सामने मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है। हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनावों में कम्युनिस्ट और कांग्रेस दोनों पार्टियों को पीछे छोड़कर बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। पार्टी के वोट शेयर में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। ऐसे में इसे 2019 के चुनावों के सीटों के रूप में देखा जा सकता है। यही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी के विकासपूर्ण रणनीतियों ने ममता की राह को और मुश्किल बना दिया है। पश्चिम बंगाल विकास और प्रगति के मार्ग पर लौटना चाहता है जो लगातार कम्युनिस्ट और तृणमूल द्वारा खंडित हुआ है। तृणमूल कार्यकर्ता भ्रष्टाचार और व्यक्तिगत उन्नति पर ज्यादा केंद्रित रहे हैं और अब उनकी ये नीति किसी से छुपी नहीं है।
ममता बनर्जी की सत्ता को लेकर बढती चिंता के पीछे का कारण त्रिपुरा में बीजेपी की जीत और कर्नाटक में बीजेपी का बड़ी पार्टी बनकर उभरना है। त्रिपुरा में हुई ऐतिहासिक जीत इस तथ्य को इंगित करती है कि राज्य में बंगाली मतदाताओं ने भगवा पार्टी को अपनी पसंदीदा पार्टी के रूप में चुना है। ऐसे में पश्चिम बंगाल में इसका प्रभाव पड़ेगा ही तो जाहिर है बंगाल की दीदी की रातों की नींद उड़ने वाली है।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को तृणमूल के बेहतर विकल्प के रूप में उभरने के लिए अपनी राज्य इकाई को सशक्त बनाना है। मोदी मैजिक सबसे मजबूत तब होगा जब मजबूत स्थानीय इकाई होगी जो उनके संदेश को लोगों तक पहुंचा सके ऐसे ‘राम रथ यात्रा’ बीजेपी की पकड़ को राज्य में और मजबूत करने में सहायक होगा। रथ यात्रा पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को एकजुट करेगा जिस तरह से बीजेपी ने 28 साल पहले 1990 में एक भव्य धार्मिक राजनीतिक रैली से राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया था ठीक उसी तरह बीजेपी पश्चिम बंगाल में आगामी चुनाव के समीकरण में इस रथयात्रा से बड़ा बदलाव करने वाली है।