अयोध्या कला महोत्सव: ऐतिहासिक शहर और इसकी सांस्कृतिक विरासत का जश्न

अयोध्या राम मंदिर

हजारों वर्षों से अयोध्या शहर का भारतीय इतिहास और संस्कृति में अहम भूमिका रही है। पिछले तीन दशकों में, इस शहर का भारतीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2019 के आम चुनाव पास आ रहे हैं और राम मंदिर निर्माण की मांग और तेजी से उठ रही है और माना जा रहा है आगामी चुनाव में राम मंदिर मुद्दा बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। जैसे जैसे इस मामले की सुनवाई की तारीख नजदीक आ रही है सरकार द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की खबर भी तूल पकड़ रही है। पिछले हफ्ते आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि सरकार जल्द ही इस मामले में अध्यादेश लेकर आये। इसके बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी गोरखपुर की यात्रा के दौरान सरकार द्वारा अध्यादेश लाने के संकेत दिए थे और पार्टी के कैडर को राम मंदिर निर्माण के लिए तैयार रहने के लिए कहा था।

पिछले हफ्ते, इस शहर ने अंततः मंदिर निर्माण के लिए खुद को तैयार करने की कोशिश शुरू कर दी है। तीन दिवसीय त्योहार आयोजित किया था जिसमें कई देशों से लोग अयोध्या के इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आये थे। अयोध्या कला महोत्सव-2018 में दो सौ कलाकारों ने हिस्सा लिया जिन्होंने अपनी कला से शहर की दीवारों चित्रित किया था। इस बार इस त्योहार का शीर्षक भगवान राम और उनका जीवन था। इसके अलावा उनके जीवन को आठ पहलुओं में विभाजित किया गया था। ऐसा लगता है कि अयोध्या अभी से भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए खुद को तैयार कर रहा है।

इस महोत्सव में मुख्य अतिथि उत्तराखंड स्थित ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के महंत चिदानंद सरस्वती थे। सैंकड़ों साधू और सन्तों की उपस्थिति में उन्होंने शंखनाद के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक शांतनु गुप्ता की किताब योगी की गाथा व बीएस शुप्रभ की ‘नंदी की अयोध्या यात्रा’ किताब का विमोचन भी महंत नृत्य गोपालदास ने किया।  इस महोत्सव में मशहूर करण आचार्य ने भी भाग लिया। करण आचार्य रूद्र हनुमान के चित्रण के लिए भी जाने जाते हैं। उनकी चित्रकला से पूरे देश में एक अलग सी आंधी चली थी। इसके अलावा इस महोत्सव के समापन समारोह में इतिहासकार मीनाक्षी जैन ने भी भाग लिया। राम और अयोध्या के संबंधों को मीनाक्षी जैन की तथ्यों पर आधारित किताब बहुत कुछ बताती है हालाँकि फिर भी उनके कार्य को महत्व कम दिया गया।

इस महोत्सव में शहर की कई दीवालों पर चित्रकारी की गयी थी जो रामायण के अंशो को बयां कर रही थी। सोशल मीडिया इन सभी चित्रकारी की तस्वीरों से पटा हुआ था। कुछ पेंटिंग्स ‘भगवान राम की अयोध्या में वापसी’, छोटे से भगवान राम’, रावण वध और लक्ष्मण द ज्ञान सीकर’ जो करण आचार्य ने बनाई थी वो वायरल भी हुईं। प्रथम पुरस्कार दशानन ग्रुप को जिसमें सत्यम शुक्ला, ब्रिजेंद्र पांडेय, नूतन मिश्रा थे जबकि दूसरा पुरस्कार रंभा ग्रुप को मिला, जिसमें उमेश, इंदु व अंजली, वहीं तीसरा पुरस्कार नेहा, अभिषेक व जयदीप के ग्रुप को मिला।

इस कार्यक्रम के संयोजक ने कहा कि ये पहल भविष्य में कई पर्यटकों और भक्तों को यहां आकर्षित करेगा। उन्होंने ये भी कहा कि भविष्य में वो इस पर्व को देश के अन्य शहरों में भी आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। ये न सिर्फ कलाकारों के लिए उत्कृष्ट मौका है बल्कि कई कलाकारों को ये मौका देगा अपने धर्म और इतिहास को कला के जरिये ओरादार्षित करने का, इसके साथ ही शहर के लोगों को भी अपने धर्म से जुड़ी कलाकृतियां देखने को मिलेंगी।

कुल मिलाकर ये एक सराहनीय प्रयास है। कलात्मक और सांस्कृतिक दोनों ही रूप से ये बहुत ही बढ़िया कदम है। राम मंदिर निर्माण की आवाज अब हर जगह से उठ रही है और अब भगवान लगता है राम जल्द ही अयोध्या लौटेंगे।

 

 

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