बसपा अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसा बयान दिया जिसने कांग्रेस की रणनीतियों को जोर का झटका दे दिया है। मायावती ने कांग्रेस के ऊपर एक के बाद एक हमले किये और उसे ‘अहंकारी’ तक बता दिया। यही नहीं उन्होंने स्पष्ट रूप से ये जता दिया है कि वो कांग्रेस के साथ गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगी जो क्षेत्रीय पार्टियों को दबाने की कोशिश करती है। ऐसा लगता है कि मायावती अपने पुराने अंदाज में वापस आ गयी हैं। बुधवार को मायावती ने साफ कर दिया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में उनकी पार्टी अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेगी और किसी भी कीमत पर कांग्रेस पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। मायावती का ये बयान चौंका देने वाला है वो भी ऐसे समय में जब चुनाव नजदीक हो।
BSP will fight assembly elections in Rajasthan and Madhya Pradesh on its own. No alliance with Congress: BSP chief Mayawati to ANI pic.twitter.com/o1KLsV0hDU
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 3, 2018
They (Congress) are getting arrogant & are under misconception that they can defeat BJP on their own but the ground reality is that people haven't forgiven Congress party for their mistakes&corruption…They don't seem to be ready to rectify themselves: BSP chief Mayawati to ANI pic.twitter.com/sjdOMaKN4c
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 3, 2018
I feel that Sonia Gandhi & Rahul Gandhi's intentions for Congress-BSP alliance are honest. However some Congress leaders are sabotaging this : BSP Chief Mayawati to ANI pic.twitter.com/KNZyCgD0rX
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 3, 2018
बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि, “बहुजन समाज पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान में अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेगी, कांग्रेस पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा।” उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कांग्रेस-बीएसपी गठबंधन को लेकर इमानदार हैं लेकिन कुछ कांग्रेसी नेता ऐसा नहीं चाहते।” मायावती यही नहीं रुकीं बल्कि उन्होंने ये तक कहा कि “ कांग्रेस लगता है कि वो बीजेपी को अकेले हरा सकती है, जबकि जमीनी सच्चाई ये है कि लोग कांग्रेस की गलतियों और भ्रष्टाचार को भूली नहीं है लेकिन इसके बाद भी वो धरना नहीं चाहती है।” ये किसी से छुपा नहीं है कि कांग्रेस का रुख हमेशा से अड़ियल रहा है और वो वहीं क्षेत्रीय पार्टियों का साथ चाहती है जहां उसको फायदा हो रहा है। मायावती ने अपने बयान में ये भी कहा कि “कांग्रेस का इरादा बीजेपी को हराने का नहीं बल्कि उनकी सहयोगी पार्टियों को हानि पहुंचाना है।” कांग्रेस पार्टी हमेशा से ही अपना क्षेत्रीय पार्टियों पर अपना दबाव बनाती रही है लेकिन कांग्रेस की स्थिति अब पहले की तरह मजबूत नहीं रही यही वजह अहि कि क्षेत्रीय पार्टियां राष्ट्रीय पार्टी के अड़ियल रुख को स्वीकार नहीं कर रही हैं। मायावती से राजनीतिक गलियारों भूचाल आ गया है। मोदी विरोधी पार्टियों को एकजुट करने और मोदी को हराने के उद्देश्य से महागठबंधन होने के कगार नजर आ रहे थे लेकिन अब सोशल मीडिया पर भी महागठबंधन का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है।
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— PahadiMojo (@Pahadimojo) October 3, 2018
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ये पहली बार नहीं है जब मायावती ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को नकारा है इससे पहले भी उन्होंने बीजेपी के खिलाफ आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की संयुक्त विपक्ष की रणनीति पर पानी फेर दिया था और अब बची हुई उम्मीद भी खत्म होती नजर आ रही है। कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर मायावती ने अपनी पार्टी के तीन विधायकों सहित 22 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी थी। वहीं दूसरी तरफ बसपा पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है। इसके साथ उन्होंने ये भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार बनती है तो बसपा और अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस के साथ होगी और राज्य के मुख्यमंत्री उम्मीदवार अजीत जोगी होंगे।
सपा मध्य प्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन करने की योजना बना रही है जबकि लेफ्ट ने भी अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दे दिए हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पहले से ही अलग-थलग सी पड़ गयी है और अन्य राज्यों में सपा अध्यक्ष ने अभी तक अपना रुख भी स्पष्ट नहीं किया है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले जेडीएस और कांग्रेस के रिश्ते तल्ख थे लेकिन चुनाव के नतीजों के समाने आने के बाद सत्ता के लिए दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन हुआ और कुमारस्वामी कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बने। कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती और कांग्रेस पार्टी की मंच पर नजदीकियों ने खूब सुर्खियां बटोरी थी और आज मायावती कांग्रेस के खिलाफ कड़वे बोल बोलने से बिलकुल नहीं हिचक रहीं। शायद बसपा सुप्रीमों को कांग्रेस स्वार्थ रुख समझ आ गया है। इस घटनाक्रम को देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं है। कब कौनसी पार्टी का रुख बदल जाये इसपर कुछ नहीं कहा जा सकता। रणनीतियां बनती है और बिगड़ती हैं। ‘महागठबंधन की सरकार बनते’ हुए देर नहीं लगती और न ही टूटने में देर लगती है। सभी को सत्ता का सुख चाहिए और अपना हित चाहिए और उसी के आधार पर राजनीतिक पार्टियों का मेल-मिलाप, दोस्ती और दुश्मनी होती है। ऐसे में अब ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि महागठबंधन बनेगा भी या नहीं और बन भी जाता है तो कौनसी पार्टी उसका हिस्सा होगी और कौनसी नहीं लेकिन स्पष्ट रूप से कांग्रेस के लिए संकेत अच्छे नजर नहीं आ रहे।