विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद, 32 मजूदरों की हुई सऊदी अरब से वापसी

सुषमा स्वराज मजदूर

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपने बोल्ड और बेबाक अंदाज के लिए जानी जाती हैं। वो अपने दायित्वों का निर्वाह बड़ी ही कुशलता के साथ करती हैं। जबसे उन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला है तब से वो देश के बाहर रह रहे भारतीय नागरिकों की मदद के लिए कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। उनका मंत्रालय हमेशा विदेश में रह रहे परेशान भारतीयों की मदद के लिए तैयार रहता है। वो पीएम मोदी के कैबिनेट की सबसे लोकप्रिय मंत्रियों में से एक है। उन्हीं के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज सऊदी अरब के रियाद में एक कंपनी द्वारा बंधक बनाए गए हज़ारीबाग, गिरिडीह व बोकारो ज़िले के 41 मज़दूरों में से 32 को सकुशल भारत लौट आये हैं। ये सभी मजदूर अपने परिवारवालों से सालों बाद मिले हैं जैसे ही ये सभी मजदूर अपने घर पहुंचे इनकी आँखों खुशी के आंसू टपक पड़े।

बता दें कि भारतीय मूल के 41 मज़दूर 6 जुलाई 2016 को रियाद पहुंचे थे जहां उन्हें जबरन कंपनी में मज़दूरी करने के लिए बंधक बनाकर रख लिया गया था। मजदूरों ने बताया कि कंपनी में नौकरी देने के नाम पर एक अनुबंध द्वारा झाँसा देकर रियाद ले जाया गया था और फिर उन्हें वहां बंधक बनाकर रख लिया गया था। इस दौरान उन्हें एक कमरे में बंधक बनाकर रखा गया और जबरन मजदूरी कराई जाती थी और खाने के लिए एक समय का भोजन ही दिया जाता था। उनके पासपोर्ट भी ज़ब्त करा लिए गये थे। इसके अलावा उन्हें वहां तमाम तरह की यातनाएं झेलनी पड़ रही थी। केंद्रीय नागर विमानन राज्य मंत्री व हज़ारीबाग सांसद श्री जयंत सिन्हा के कार्यालय को सऊदी अरब से भारतीय मज़दूरों द्वारा फोन के जरिये इस मामले की जानकारी मिली थी जिसमें उन्हें ये बताया गया था कि उन्हें वहां बंधक बनाकर रखा गया है। इस मामले को संज्ञान में आते ही जयंत सिन्हा ने मजदूरों की तुरंत मदद के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इससे अवगत कराया। सुषमा स्वराज ने इस पूरे विषय पर संज्ञान लेते हुए बिना कोई देरी किये सऊदी अरब में भारतीय दूतावास को आवश्यक कारवाई करने के निर्देश दिए थे। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिले आदेश के बाद भारतीय दूतावास ने मजदूरों की सहायता की और उन्हें ज़ब्त पासपोर्ट व बकाया भुगतान दिलवाया। इसके बाद सभी मजदूरों को सुरक्षित भारत वापस भिजवाने का प्रबंध भी किया।

वास्तव में ये जयंत सिन्हा एवं विदेश मंत्रालय के समन्वित प्रयास का ही नतीजा है कि आज सालों बाद 41 में से 32 मजदूर अपने घर वापस लौट आये हैं। उनके चेहरे पर घर लौटने की खुशी बयां नहीं की जा सकती।

ये पहली बार नहीं है विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके मंत्रालय ने देश से बाहर रह रहे भारतीय नागरिकों की मदद के लिए त्वरित कदम उठाएं हो। अपनी शादी के लिए अमेरिका से स्वदेश की यात्रा करने जा रहे एक भारतीय नागरिक के पासपोर्ट खोने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उसकी मदद की थी। यही नहीं सुषमा ने एक माँ की गुजारिश को स्वीकार करते हुए उसके नवजात शिशु का दो दिन में पासपोर्ट बनवाया था। इसके अलावा उन्हें पड़ोसी देशों के नागरिकों को मेडिकल वीजा देने के लिए उन्हें कई बार सराहा गया है। ये सुषमा स्वराज के प्रयास ही हैं कि आज विदेश में रहने वाले भारतीय सुरक्षित महसूस करते हैं।

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