गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर ने बुधवार को आवास पर बुलाई कैबिनेट बैठक

मनोहर पर्रिकर

PC: ANI

कांग्रेस को बुधवार को तब बड़ा झटका लगा होगा जब गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपने निजी आवास पर कैबिनेट बैठक बुलाई। कांग्रेस लगातार मनोहर पर्रीकर को लेकर शर्मनाक टिप्पणी कर रही है लेकिन सोमवार को कांग्रेस के प्रवक्ता ने तो हद ही पार कर दी ये कहकर कि गोवा के सीएम नहीं रहे!

मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता जीतेंद्र देशप्रभु ने मीडिया से कहा, “जी हां, हम इसे संज्ञान में ले रहे हैं। गोवा के मुख्यमंत्री कहीं नहीं दिखते हैं, ना ही सार्वजनिक रूप से और ना ही व्यक्तिगत रूप से। मुझे संदेह है कि मुख्यमंत्री हैं भी या नहीं। अगर सीएम नहीं हैं तो उनका उठाला और श्राद्ध करो।” कांग्रेस के इस बयान से भारतीय जनता पार्टी काफी आहत हुई और कांग्रेस को कड़ा जवाब करारा जवाब दिया।

भाजपा की गोवा इकाई के महासचिव सदानंद शेट तनावडे ने कहा कि देशप्रभु यदि ऐसा बयान दे रहे हैं, तो इसका मतलब वह वाकई हताशा में हैं। कांग्रेस पार्टी के बयान का स्तर भी काफी गिर चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश्प्रभु ने ये भी कहा कि, “कम से कम उन्हें एक वीडियो तो सार्वजनिक करना चाहिए कि मुख्यमंत्री चल रहे हैं, बात कर रहे हैं और काम भी कर रहे हैं। न ही कोई खबर है और न ही कोई डॉक्टर उनके स्वास्थ्य पर कुछ बोल रहा है।”

बुधवार को कांग्रेस की ये इच्छा भी पूरी हो गयी जब सीएम मनोहर पर्रिकर को काम करते हुए देखा। दरअसल, लगातार गोवा के सीएम के स्वास्थ्य को लेकर कांग्रेस बयानबाजी कर रही है लेकिन इसकी परवाह न करते हुए पर्रिकर अपने आवास से ही राज्य का कार्यभार देख रहे हैं और जब सोशल मीडिया पर इससे जुड़ा सबूत शेयर हुआ कांग्रेस का मुंह लाल हो गया।

गोवा के मुख्यमंत्री इस समय गंभीर बिमारी से जूझ रहे हैं लेकिन फिर भी वो अपने दायित्व को ईमानदारी से निभाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में समय लगेगा लेकिन हताश कांग्रेस ने इसपर भी राजनीति करनी शुरू कर दी और शर्मनाक बयान दे दिया कि “गोवा के सीएम नहीं रहे तो उनका श्राद्ध कर दो।” यही नहीं जब पर्रिकर अपने इलाज के लिए राज्य से दूर थे तब कांग्रेस ने राज्य सरकार के सहयोगी दलों को लुभाने की कोशिश शुरू कर दी। सरकार के सहयोगी दलों में राज्य के प्रभार को लेकर खींचतान के बीच कांग्रेस ने स्थिति का फायदा उठाते हुए राज्य में सरकार बनाने का दावा कर दिया और इस संबंध में राज्यपाल मृदुला सिन्हा से मुलाकात भी की। कांग्रेस ने राज्यपाल से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए भाजपा सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश देने की मांग की। हालांकि, वो इसमें कामयाब नहीं हो पायी थी क्योंकि पर्रिकर पहले से ही इस बात से अच्छी तरह से अवगत थे उनकी गैर-मौजूदगी में राज्य के सहयोगी दलों में खींचतान होगी और कांग्रेस इसका फायदा उठाने के लिए तिकड़म लगाएगी। ऐसे में उन्होंने पहले ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से अनुरोध करते हुए कहा था कि राज्य के नेतृत्व के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करायें ताकि उनकी गैर-मौजूदगी में राज्य की शासन प्रणाली पर कोई असर न पड़े। पर्रिकर के अनुरोध के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गोवा गये और वहां जाकर वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर सभी को स्पष्ट किया था कि गोवा में नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया जाएगा, मनोहर पर्रिकर राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे लेकिन राज्य कैबिनेट में कुछ फेर-बदल जरूर किए जाएंगे। इसके बाद ही मनोहर पर्रिकर ने एम्स में ही राज्य की स्थिति को स्थिर करने के लिए 12 अक्टूबर को राज्य सरकार के सहयोगी दलों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक के कुछ समय बाद ही वो अपने राज्य गोवा लौट आये। फिलहाल वो अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं लेकिन कांग्रेस को उनके आराम से भी परेशानी है। जिस समय में कांग्रेस को उनके जल्दी ठीक होने की कामना करनी चाहिए उस समय में इस तरह का बयान बेहद शर्मनाक है। पार्रिकर जी ने गोवा के लोगों की हमेशा से सेवा की है और राज्य के भले के लिए काम किया है और आज भी वो यही कर रहे हैं। गंभीर बीमारी से जूझ रहे गोवा के सीएम को ऐसे समय में भी राज्य की कार्यप्रणाली और जनता की चिंता सता रही है। उनका ये समर्पण ही है शायद जिस वजह से गोवा की जनता ही नहीं बल्कि सहयोगी दल भी उन्हें पसंद करते हैं।

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