इन दिनों यौन उत्पीड़न के मामले बॉलीवुड से लेकर मीडिया हाउस से बाहर आ रहे हैं और इसमें जाने मने लोगों पर आरोप लग रहे हैं। जिस तरह से महिलाएं अपने खिलाफ हुए यौन उत्पीड़न पर खुलकर बोल रही हैं उससे तो यही लगता है कि अब बस बहुत हो गया अब बारी है न्याय की। इन मामलों पर हमारे पत्रकार खुलकर बोल रहे हैं और दोषियों को सजा देन की बात कह रहे हैं इसके साथ ही वो इन ममलों पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। हालांकि, उनके ये दावें , ये बातें उनकी राय सब खोखली नजर आती है क्योंकि जब उन्हें इस मामले पर आवाज उठानी चाहिए थी तब वो शांत थे। अब इस लिस्ट में उन पत्रकारों का नाम शामिल हो गया है जिन्होंने यौन उत्पीड़न मामले में चुप्पी साध रखी थी।
निकिता नाम की एक महिला ने दावा किया है कि साल 2014 में एनडीटीवी में काम करने के दौरान कुछ महिलाओं को एक व्यक्ति गंदे तरीके से देखता था। इस व्यक्ति के व्यवहार की शिकायत एनडीटीवी के प्रबंधन से की गयी थी लेकिन इसके बावजूद वो व्यक्ति लगातार काम कर रहा था। इस व्यक्ति के बर्ताव से कुछ महिलाएं असहज महसूस करती थीं। उसने दावा किया कि इस बारे में शीर्ष प्रबंधन और बरखा दत्त को भी जानकारी दी थी लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।
Sadly, there have been a few women in NDTV Convergence that faced undue attention from one man who continued to work while they were compelled to quit. The HR too made false assurances to the victims. Emails to top management went unanswered.
— Nikita Arora (@guks123) October 5, 2018
एनडीटीवी की पूर्व ग्रुप सम्पादक बरखा दत्त और तथाकथित फेमिनिस्ट ने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे कोई जानकारी ही नहीं थी। इसके जवाब में महिला ने दावा किया कि उसने बरखा दत्त और एनडीटीवी के हेड प्रणॉय रॉय को एक पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी भी दी थी लेकिन इसके बावजूद इस मामले पर उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
Didn't know this Nikita .
— barkha dutt (@BDUTT) October 5, 2018
I had written to both to you and Dr. Roy several times over email. This was back in 2014. Unfortunately, never received a response. Did master up courage to inform the HR. Was hugely disappointed by them too.
— Nikita Arora (@guks123) October 5, 2018
इसके बाद मंगलवार को बरखा दत्त ने महिला को ट्वीट कर जवाब दिया। अपने जवाब में बरखा ने कहा कि कन्वर्जेन्स डिपार्टमेंट उनके अंतर्गत नहीं था। वो अलग था और 2014 से वो एनडीटीवी में एक कंसलटेंट के तौर पर थीं। बरखा ने आगे कहा कि उनके पास उस वक्त न ही कोई अधिकार था कि मामले में कुछ कहें और निकिता जिस बारे में बात कर रही हैं उस बारे में उन्हें कोई जानकारी थी। इसके बाद निकिता ने कहा कि हां उस वक्त बरखा बॉस नहीं थीं लेकिन जब HR ने नहीं सुना तो मैंने पूरे आत्मविश्वास के साथ आपको पात्र लिखा था लेकिन आपने भी मेरी बात को अनसुना कर दिया।
Nikita, convergence was never a department under me even when i was editor at NDTV, it had a separate boss. Since 2014, i was a consultant. I am afraid I have no jurisdiction or knowledge of who you mean. If i did I wouldnt have asked you who the man was. I am sorry to hear this
— barkha dutt (@BDUTT) October 8, 2018
Yes, I was aware that you had no jurisdiction over Convergence but after the HR failed me, I chose to write to you with the confidence that I shall be heard since you've been one of those who've championed the cause of women. That's all. I tried to do what I could at that point.
— Nikita Arora (@guks123) October 8, 2018
विडम्बना ये है कि एक महिला जिन्हें पता है कि दुनिया में क्या चल रहा है और जो खुद को महिलाओं के अधिकारों की रक्षक के तौर चित्रित करती हैं वही अपने ऑफिस में क्या चल रहा ही कैसे पता नहीं चला? बरखा यहां अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रही हैं और उन्होंने यौन उत्पीड़न की घटन अको विभाग के मामले से जोड़ दिया।
अब एनडीटीवी ग्रुप की सीईओ सुपर्ण सिंह ने कहा कि निकिता की शिकायत के बाद इस मामले की जांच की जायेगी और निकिता ने जो बताया है उसके आधार पर ही इस मामले की गहनता से जांच होगी।
That’s correct. Nikita’s complaint will be investigated thoroughly based on what she has shared. I will update her on all progress.
— Suparna Singh (@Suparna_Singh) October 7, 2018
एनडीटीवी साल 2014 के यौन उत्पीड़न के मामले को 2018 में जांच करेगा।ये एनडीटीवी के बारे में बहुत कुछ कहता है कैसे वो इस तरह के मामलों को लेकर गंभीर हैं और अपने कार्यालय में महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे। एनडीटीवी के इस रुख की सभी लिबरल्स सराहना कर रहे हैं लेकिन सवाल ये उठता है कि पहले इस मामले की जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी? वास्तव में आज एनडीटीवी के पास इसके अलावा कोई विकल्प शेष नहीं रह गया है।