‘हेरोइन से बेहतर है अफीम’, नवजोत सिंह सिद्धू ने किया अफीम की खेती वैध करने का समर्थन

पंजाब अफीम सिद्धू

पंजाब सरकार जहां राज्य में नशे के जाल को खत्म करने के प्रयास कर रही है वहीं उन्हीं की पार्टी के नेता अफीम की खेती को वैध करने की मांग का समर्थन कर रहे हैं। ये नेता कोई और नहीं बल्कि अक्सर अपने विवादित बयानों से सुर्ख़ियों में रहने वाले कांग्रेस नेता और पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू हैं। बता दें कि आम आदमी पार्टी के सांसद धरमवीर गांधी लंबे समय से राज्य के किसानों के लिए अफीम की खेती वैध करने की मांग करते रहे हैं और इसी साल जुलाई में उन्होंने एक बार फिर से इस मांग को उठाया था। अब उन्हें पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का भी समर्थन मिल गया है।

वैसे सिद्धू के लिए विवाद को जन्म देना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले पंजाब के कैबिनेट मंत्री और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू देश के दुश्मन पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे और उस दौरान पाकिस्तानी जनरल कमर जावेद बाजवा से गर्मजोशी से गले मिले थे जिसकी देशभर में आलोचना की गयी थी।

सिद्धू ने अफीम की खेती को वैध करने की मांग का समर्थन करते हुए कहा, “डॉ. धर्मवीर गांधी बहुत अच्छी बात कर रहे हैं। मैं उनका समर्थन करता हूं। मेरे चाचा अफीम को दवा के रूप में लेते थे और उन्‍होंने लंबा जीवन जीया। ये हेरोइन से कई गुना बेहतर है। शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी कहा है कि हेरोइन की वजह से अभिभावकों को अपने बच्चे का शव देखना पड़ा रहा है।“ अपने बयान में नवजोत सिंह सिद्धू ने मजीठिया पर भी निशाना साधा। गौर हो कि शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी बेबुनियाद आरोप लगाये थे जिस वजह से उन्हें बाद में अपने आरोपों के लिए माफ़ी मंगनी पड़ी थी अब लगता है सिद्धू को न सिर्फ मजीठिया से बल्कि आम जनता से भी अपने इस विवादित बयान के लिए माफी मांगनी पड़ सकती है।

पिछले कुछ वर्षों से ‘पांच नदियों की भूमि’ कहे जाने वाला पंजाब ड्रग्स की समस्या के कारण चर्चा में है। पिछले कुछ वर्षों से पंजाब की युवा पीढ़ी नशे की चपेट में है और ड्रग्स के कारण उनकी होती मौत से उनका परिवार बिलख रहा है। पंजाब के विधानसभा चुनाव के दौरान यही कांग्रेसी नेता ‘नशे की चपेट में है पंजाब’ के बयान के जरिए पूर्व पंजाब सरकार पर निशाना साधा करते थे और उन्हें इसका फायदा भी मिला लेकिन आज सत्ता में आने के इतने समय बाद भी पंजाब में ड्रग का कहर युवाओं को खा रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें ड्रग्स के गिरफ्त में आने की वजह से 32 दिन में 42 मौत हुई थी। इस समय को देखते हुए पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह सरकार की प्राथमिकता बन चुकी है और वो ये बात कई बार अपने बयान में कह भी चुके हैं। वहीं, उन्हीं की पार्टी के नेता का बयान कांग्रेस पार्टी के नेताओं के दोहरे रुख को दर्शाता है। सिद्धू मांग कर रहे हैं कि अफीम को राज्य में वैध कर दिया जाये ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उन्हें पंजाब के युवाओं की चिंता नहीं है? उन्हें उन परिवारों के आंसू नहीं दिखाई दे रहे जो अपनी संतान खो चुके हैं? क्या पंजाब को नशा मुक्त करने का नारा कांग्रेस पार्टी का सिर्फ सत्ता पाने के लिए था?

पंजाब में अफीम से शुरू हुआ सिलसिला आज हेरोइन, स्मैक, सिंथेटिक ड्रग, आईस ड्रग जैसे महंगे नशे के व्यापार का क्षेत्र बन चुका है। पंजाब में ड्रग सप्लाई करने वाले देशों में से एक पाकिस्तान भी है। सत्ता में आये हुए अमरिंदर सिंह को एक साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन आज भी पंजाब में ये समस्या गंभीर बनी हुई है लेकिन पंजाब सरकार और उनके मंत्रियों के रवैये को देखकर तो ऐसा नहीं लगता है कि वो इस समस्या के समाधान को लेकर गंभीर हैं।

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