राहुल गांधी का फ्लॉप रोड शो, मुख्यधारा की मीडिया ने नहीं किया कवर

राजस्थान राहुल गांधी

राजस्थान में 7 दिसंबर को विधानसभा के चुनाव होने हैं। मीडिया रिपोर्टों में ये धारणा आम है कि भारतीय जनता पार्टी के लिए इस बार राजस्थान चुनाव आसान नहीं होने वाला है। राज्य में बीजेपी संगठन और नेतृत्व के बीच अनबन की खबरों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी भी अपने जीत को लेकर निश्चिंत लग रही है। हालांकि,  राजस्थान में राहुल गांधी के रोड शो को अगर देखा जाए तो कांग्रेस की जीत उसकी कोरी-कल्पना लग रही है। बुधवार को राहुल गांधी ने झालवार से लेकर कोटा तक 100 किमी का एक रोड शो किया जो बुरी तरह से सुपर फ्लॉप साबित हुआ। उनके रोड शो रैली में बहुत ही कम लोग दिखें इससे साफ पता चलता है कि राहुल गांधी अपनी रैली में लोगों को आकर्षित करने में असफल रहे। हां ये कह सकते हैं कि राहुल गांधी की रैली में जितने लोग शामिल हुए उनकी संख्या कांग्रेस के लोकसभा सांसदों से थोड़ी ज्यादा थी।

वैसे ये पहली बार नहीं इससे पहले भी राहुल गांधी ने जिन चुनावों में धुआंधार प्रचार किया है वहां कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है। लोग उन्हें भाजपा के ‘स्टार कैम्पेनर’ का दर्जा देते हैं क्योंकि कांग्रेस की जीत का तो पता नहीं लेकिन बीजेपी को जरुर फायदा होता है। पंजाब एकमात्र राज्य है जहां राहुल गांधी ने कांग्रेस के लिए कोई चुनाव प्रचार नहीं किया था और कांग्रेस पंजाब में सरकार बनाने में सफल हुई। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में कांग्रेस की  जीत को सुनिश्चित किया और इसके साथ ही पंजाब में ‘आम आदमी पार्टी’ के सरकार बनाने के सपने को बुरी तरह से कुचल दिया था। अमरिंदर सिंह कांग्रेस के भीतर ‘वन मैन आर्मी’ के रूप में उभरे हैं और ये बता खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी एक रैली में भी ये बता कही थी। 

कांग्रेस को ऐसा लगता है कि राजस्थान की जनता वसुंधरा सरकार से नाराज हैं और इसका सीधा फायदा उसकी पार्टी को मिलने वाला है। जबकि वास्तविकता इससे बिलकुल अलग है जहां राजस्थान चुनाव की पूरी कमान अमित शाह ने अपने हाथ  में ले ली है वहीं दूसरी तरफ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ राजस्थान के स्टार प्रचारक भी हैं। कांग्रेस पहले से आंतरिक मतभेद से गुजर रही है और अब राहुल गांधी को स्टार प्रचारक बनाकर अपने लिए तो नहीं लेकिन बीजेपी को जरुर इससे फायदा होने वाला है। अमित शाह की चाणक्य नीति ने बीजेपी को कई राज्यों में बढ़त दिलाई है और अब अमित शाह राजस्थान में भी राजनीतिक समीकरण बदलने का दमखम रखते हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने की योजना बना रही है लेकिन राज्य में आम जनता के बीच लोकप्रियता उतनी ख़ास नहीं है।

राजस्थान में अपने युवा चेहरे सचिन पायलट के नाम से उत्साहित कांग्रेस ये भूल रही है कि सचिन पायलट गुज्जर समुदाय से आते हैं जिस वजह से दलित और मुस्लिम वोट उसके हाथ से छिटक सकता है। प्रदेश में दलितों और मुस्लिमों का गुज्जरों के साथ परंपरागत दुश्मनी का एक लम्बा इतिहास रहा है। राज्य के कई जिलों में इन जातियों के बीच तनाव की स्थिति है। सचिन पायलट और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच भीतरखाने ही रस्साकस्सी जारी है। लोग सचिन पायलट को राजस्थान में सीएम के तौर पर नहीं चाहते हैं। राजस्थान में जाट और राजपूत के बीच परंपरागत विरोध है। कांग्रेस ने हाल ही में जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र सिंह को पार्टी में शामिल किया है जिसके कारण जाटों में नाराजगी है और इसका खामियाजा कांग्रेस को चुनावों में उठाना पड़ सकता है। जिस तरह से कांग्रेस राज्य में सत्ता विरोधी लहर का ढोंग कर रही और ये दिखाने की कोशिश कर रही है कि राज्य की जनता वसुंधरा सरकार से नाराज है वो मात्र एक पैंतरे की तरह लग रहा है। वास्तव में जो दिखाई दे रहा है वो कितना सच है वो तो राजस्थान के  चुनाव के नातिजों के बाद सामने आ ही जायेगा।

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