सबरीमाला फैसले पर हिंदुओं की एकता पर सीएम पिनाराई का रुख कहीं उनकी सत्ता न ले डूबे!

पिनाराई विजयन सबरीमाला

सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितम्बर को केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के प्रतिबंध को हटा दिया था। अब इस फैसले के खिलाफ राज्य के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन मंगलवार से जारी है। हजारों की तादाद में सभी हिंदू एकजुट होकर इस फैसले का शांतिपूर्वक विरोध कर रहे हैं। ये पहली बार है जब अपनी परंपरा और धर्म के बचाव के लिए एकजुट हुए हैं। यहां दिलचस्प बात ये है कि कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया था लेकिन इस फैसले का विरोध कर रहे लोगों में अधिकतर महिलाएं हैं जिनका मानना है कि भक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट को फैसला लेना चाहिए था। सोशल मीडिया पर भी सक्रीय रूप से #SaveSabarimala , #ReadytoWait  नाम से अभियान चलाया जा रहा है। विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना है कि वो मीनोपॉज के बाद ही मंदिर में दर्शन के लिए जायेंगी।

हालांकि, इस विरोध के बावजूद केरल राज्य के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा है कि केरल सरकार सबरीमाला के फैसले सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगी।

सैकड़ों अयप्पा श्रद्धालुओं की मांग है कि राज्य और केंद्र सरकार से पुराने प्रतिबंध को बनाए रखने के लिए उपयुक्त कानून लेकर आये। केरल के सभी हिंदुओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को देख आरएसएस भी उनके समर्थन में खड़ा आ गया है यहां तक कि कांग्रेस के कुछ नेता भी आम जनता के समर्थन में खड़े हैं लेकिन राज्य के सीएम के विचार इन सभी से अलग हैं।

विजयन ने कहा, “इस मामले के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। ऐसे में लोगों को ये फैसला मानना होगा। सरकार का काम कोर्ट के आदेश को लागू करना है।” पिनाराई विजयन यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा,“ये राज्य सरकार का फर्ज है कि वह बिना किसी चूक के कोर्ट के आदेश का पालन करे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि महिला श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सभी जरूरी व्यवस्था की जाए।” स्पष्ट रूप से पिनाराई विजयन ने एकजुट हुए हिंदुओं की मांग को ख़ारिज कर दिया है। शायद उन्हें हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं की कदर नहीं है। ऐसे में उन्हें कहीं इसका खामियाजा केरल के अगले विधानसभा चुनाव में न भुगतना पड़े।

वास्तव में सबरीमाला मंदिर मामले में कोर्ट के फैसले के बाद सभी हिंदु जातिवाद के बंधन को तोड़कर एकजुट हो गये हैं ऐसे में सीएम पिनाराई विजयन का ये रुख उनके लिए अगले विधानसभा चुनाव में महंगा साबित हो सकता है। यही नहीं इसका खमियाजा उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भुगतना पड़ सकता है। आरएसएस, कांग्रेस और यहां तक कि पिनाराई की अपनी पार्टी के कुछ लोग भी सबरीमाला मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग कर रहे हैं। पिनाराई विजयन को एक बार इस विरोध प्रदर्शन की मांगों को ध्यान में रखते हुए केरल राज्य के हिंदुओं की परंपरा को बनाये रखने के लिए एक बार फिर से सोच-विचार करना चाहिए।

बता दें कि सबरीमाला का मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। हर रोज यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। करीब हजार साल पुराने इस मंदिर में सभी जातियों के स्त्री (10-50 उम्र को छोड़कर) और पुरुष दर्शन कर सकते हैं। यहां दर्शन करने वाले लोग काले कपड़े पहनते हैं क्योंकि ये रंग दुनिया की सारी खुशियों के त्याग को दर्शाता है और ये भी दर्शाता है कि अय्यपा के सामने सभी लोग बराबर है। इस मंदिर में  भगवान अयप्पा के ब्रह्मचारी होने की वजह से अब तक औरतों के जाने की मनाही थी लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद अब इस मंदिर 10-50 उम्र की महिलाएं भी प्रवेश कर सकेंगी। सबरीमाला मामले में कोर्ट के फैसले से सभी हिंदू एकजुट हो गये हैं और उनका कहना है कि ये फैसला ‘परंपरा को बलपूर्वक तोड़ने’ की कोशिश है जिसके खिलाफ सभी आध्यात्मिक और सामाजिक नेताओं को साथ आना चाहिए। वास्तव में कोर्ट की सुनवाई महिलाओं के समानता के अधिकारों पर आधारित थी इस दौरान पुरानी परंपरा और इसके पीछे के मुख्य कारणों को अनदेखा किया गया। ऐसे में पिनाराई विजयन को इस मामले पर एक बार फिर से गंभीरता से विचार कर लेना चाहिए। अगर उनके रुख में कोई बदलाव नहीं आया तो हो सकता है पिनाराई के फैसले से आम जनता में मौजूदा सरकार के प्रति गुस्सा भर जाये।

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