लंबे इंतजार के बाद आखिरकार गुरुवार रात साढ़े 12 बजे कांग्रेस ने राजस्थान में प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी लेकिन, इस सूची के जारी होने के बाद से ही पार्टी की भीतरी कलह अब खुलकर सामने आ रही है। अपने नेता को टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का रोश सड़कों पर देखने को मिल रहा है। टिकट वितरण से नाराज कार्यकर्ता देर रात ही राजस्थान से दिल्ली आ गए और राहुल गांधी के घर के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां कुछ कार्यकर्ताओं ने पार्टी पर पैसा लेकर टिकट बांटने के आरोप भी लगाये हैं। दरअसल, राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच टिकट बंटवारें को लेकर शुरू से ही खींचतान देखने को मिल रही थी। यही कारण है कि भाजपा द्वारा 11 नवंबर को प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दिये जाने के 5 दिनों बाद कांग्रेस अपनी पहली सूची जारी कर पायी। कांग्रेस ने पहली सूची में 152 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है और 48 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान अभी बाकी है। कांग्रेस राजस्थान में सत्ता-विरोधी लहर का फायदा उठाकर सत्ता में आना चाहती हैं वहीं उसके नेताओं व कार्यकर्ताओं की आपसी फूट उसे परेशान कर रही है। यहां 7 दिसंबर को मतदान होने हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस अपनी अंतर्कलह दूर नहीं करती है तो चुनावों में ये उसके लिए घातक साबित हो सकता है।
राहुल के घर के बाहर कार्यकर्ता ने दी आत्मदाह की धमकी
टिकट बंटवारे से नाराज भरतपुर, चूरू बसेड़ी नदबई समेत कई विधानसभा क्षेत्रों के कांग्रेसी कार्यकर्ता राहुल गांधी के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। नाराज कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी वैसे तो यूथ की बात करते हैं लेकिन टिकट वितरण के समय उन्हें ये बात याद नहीं रही। बहुत से कार्यकर्ताओं ने पैसे लेकर टिकट बांटने के आरोप भी लगाए हैं। प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि वो वर्षों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें दरकिनार कर पार्टी ने पैराशूट उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया। चूरू से प्रत्याशी रफीक मंडेलिया पर एक नाराज कांग्रेसी नेता ने आरोप लगाया है कि, वह प्रवर्तन निदेशालय का वॉन्टेड है और उस पर सौ से ज्यादा केस भी दर्ज हैं। वहीं नदबई ब्लॉक अध्यक्ष प्रशांत उपाध्याय का कहना है कि बाहरी को टिकट मिलने से वे नाराज हैं और उनकी बात नहीं सुनी गई तो वे राहुल गांधी के घर के बाहर आत्मदाह करेंगे। बाहरी को टिकट मिलने से नाराज मेड़ता से दावेदारी कर रहे देवीकिशन का कहना है कि स्थानीय कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है इसलिए उनके कार्यकर्ताओं का करियर खराब हो गया है। राहुल के घर के बाहर विरोध-प्रदर्शन कर रहे कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस पकड़कर तुगलक रोड थाने भी ले गई।
कांग्रेस के लिए हर तरफ मुश्किल हालात
राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए हर ओर से हालात मुश्किल होते जा रहे हैं। पार्टी में सीएम पद को लेकर तनातनी तो किसी से नहीं छुपी है और अब पार्टी कार्यकर्ताओं में टिकट को लेकर फूट भी बढ़ती जा रही है। वहीं आरएलपी के रूप में तीसरा मोर्चा भी कांग्रेस के लिए मुश्किल ही बढ़ाएगा। पार्टी चाहती थी कि राजस्थान में कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव ना लड़कर प्रदेश भर में प्रचार के लिए ही अपना पूरा योगदान दें। लेकिन दोनों बड़े नेता ही इसके लिए तैयार नहीं थे। अब टोंक विधानसभा सीट से प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट चुनाव लड़ रहे हैं जबकि पार्टी महासचिव अशोक गहलोत अपनी परंपरागत सीट सरदारपुरा से चुनाव लड़ेंगे। प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने से उनका प्रचार अभियान सिर्फ अपनी सीट तक ही सिमटकर रह जाएगा जो कि पार्टी के लिए मुश्किल भरा रहेगा। तीसरे मोर्चे के रूप में उभरी हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) की बात करें तो इसका गठन भारतीय जनता पार्टी से अलग हुए हनुमान बेनीवाल द्वारा किया गया है। जाट नेता बेनीवाल की इस पार्टी में बीजेपी के वे पुराने नेता साथ आ रहे हैं जो प्रदेश में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व से खुश नहीं हैं। पार्टी प्रदेश में कांग्रेस और वसुंधरा के विरोध में चुनाव लड़ रही है। आरएलपी चुनावों में एक नए पावर सेंटर के रूप में उभरकर सामने आ सकती है। कांग्रेस के लिए आरएलपी से सबसे बड़ी मुश्किलात इसलिए है क्योंकि आरएलपी के चुनावों के बाद बीजेपी में वापसी करने के कयास भी लगाये जा रहे हैं।