दीपावली पर हिंदू विरोधी अभियान रहा नाकाम

दीपावली पटाखे

(PC: OpIndia)

दीपावली का त्यौहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही त्योहारों का मौसम शुरू होता है वैसे ही लोगों में घर जाने और अपनों के साथ त्यौहार मनाने की ख़ुशी झलकने लगती है चारों और सजावट के सामान नजर आने लगते हैं। वहीं देश विदेश की कई बड़ी हस्यियां भी अक्सर भारत में त्योहारों का आनंद लेने के लिए आते हैं। जैसे इस बार अयोध्या में छह नवंबर को भव्य दीपोत्सव का आयोजन में विशेष अतिथि के रूप में साउथ कोरिया के राष्ट्रपति की पत्नी किम जोंग सूक शामिल हुई थीं जहां एक साथ 3 लाख से अधिक दियों को जलाकर विश्व कीर्तिमान में अयोध्या का नाम दर्ज हुआ।

हालांकि, कुछ ऐसे लोग भी थे जो इस बीच आदेश की अवहेलना का मुद्दा उठाकर दलीलें दे रहे थे जैसे वो पर्यावरण के लिए कितने चिंतित रहते हैं। वास्तव में चिंता करने से ज्यादा उन्हें सनातन समुदाय पर निशाना साधने के लिए वजह मिल जाती है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली के अवसर पर पटाखों के फोड़ने पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि, सनातन धर्म का अपमान करने और उसपर हमला करने का उद्देश्य किसी से छुपा नहीं है। दीपावली पर कोर्ट आदेश के बाद हमेशा की तरह लेफ्ट लिबरल गैंग ने सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी और लेख लिखने के लिए तैयार हो गये।

इस मामले को और भी ज्यादा गंभीर बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी जैसे मुख्यमंत्री अपने राज्य में उन लोगों की गिरफ़्तारी करने के आदेश दिए जो दीपावली से पहले या कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर पटाखे फोड़ते हुए पकड़े जाते हैं। यही नहीं बंगाल सरकार ने आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का भी आदेश दे दिया था।

हालांकि, दीपवाली के दिन सूरज ढलते ही एक अलग ही नजारा देखने को मिला और लोगों ने पटाखे फोड़ना शुरू कर दिया। इसकी शुरआत तमिलनाडु के कोयंबटूर से हुई जहाँ लोगों ने 8 बजे से पहले ही पटाखे फोड़ना शुरू कर दिया।

इसके बाद दिल्ली, उत्तर प्रदेश हरियाणा यहां तक कि देश के कई जगहों पर बिना किसी डर के लोगों ने पूरे उत्साह और धूमधाम से त्योहार मनाया यहां तक कि ये प्रतिबंध का समय खत्म होने के बाद भी जारी रहा।

अब ये लेफ्ट-लिबरल्स को कहां रास आने वाला था जिन्होंने प्रतिबंध के समय के खत्म होने से पहले ही टिप्पणी करना शुरू कर दिया। निधि राजदान ने इस ट्वीट के जरिये अपनी भड़ास निकाली:

कहने की जरूरत नहीं है कि कुछ लिबरल्स को मौका मिल गया सनातन समुदाय पर हमला करने और उसे नीचा दिखाने का चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े।

एक ऐसे ही ट्वीट में रिपब्लिक टीवी पत्रकार दीप्ति सचदेवा ने दिल्ली में जलाये जा रहे पटाखो की फोटो तस्वीर करते हुए इसे बड़े पैमाने पर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया।

हालांकि, द प्रिंट के मालिक और पूर्व एनडीटीवी पत्रकार शेखर गुप्ता द्वारा एक ट्वीट ने सभी को हैरान कर दिया।

शेखर गुप्ता यहां गलत भी नहीं है। इस तरह के आदेश का कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि कोर्ट बड़े पैमाने पर आम जनता को आदेश का उल्लंघन करने के लिए सजा नहीं सकता है। हालांकि लेफ्ट-लिबरल्स तो यही चाहते हैं कि सनातन समुदाय के लोग अपने हर त्यौहार पर नियमों का पालन करें और उनके लिए आदेश भी पारित किये जायें। यदि यही आदेश अन्य समुदाय के लोगों के लिए हों तो वो अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है वो धर्मनिरपेक्षता नहीं है। हालांकि लेफ्ट-लिबरल्स को कड़ा जवाब देते हुए लोगों ने धूमधाम से दिवाली मनाई।

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