मध्य प्रदेश: कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के गढ़ में बीजेपी अपनी इस रणनीति से लगाएगी सेंध

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PC: India Today

देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके लिए राजनीतिक पार्टियां जमकर तैयारी कर रही हैं। जहाँ बीजेपी अपने 15 साल के शासन को बरकरार रखना चाहती है जबकि कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर के सहारे राज्य में जीत के सपने संजो रही है। हालांकि, इस बीच जो सबसे बड़ी मुश्किल कांग्रेस के सामने है वो बीजेपी के खिलाफ प्रचार से ज्यादा पार्टी के नेताओं के बीच गुटबाजी से निपटना है। इस बीच कांग्रेस ने सोमवार देर रात मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी लेकिन इसमें कमलनाथ का नाम नहीं है। कयास लगाये जा रहे थे कि कमलनाथ छिंदवाडा से चुनवा लड़ेंगे लेकिन इस सीट से दीपक सक्सेना को टिकट दिया गया है। इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के इलाके की भी लगभग सभी सीटें घोषित हो गई लेकिन उनका नाम भी विधानसभा चुनाव लड़ने वालों में नहीं है। उधर दिग्विजय भी राज्य का सीएम बनने के सपने देख रहे हैं।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के मतभेदों को देखते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ समेत कुछ प्रमुख नेताओं के गढ़ पर हमले की योजना बना रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा है जहां वो 9 बार संसद रह चुके हैं। छिंदवाड़ा की 8 विधानसभा सीटों पर साल 2013 में बीजेपी ने सभी सीटों पर कांग्रेस के दीपक सक्सेना को हराकर जीत दर्ज की थी। ऐसे में बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में उसी जीत को दोहराने की दिशा में काम कर रही हो। यही वजह है पार्टी ने बूथ स्तर समितियों और आरएसएस स्वयंसेवकों को सक्रिय रहने के लिए कहा है और ये सभी मिलकर दिन-रात जमीनी स्तर पर कम कर रहे हैं।

इकोनॉमिक्स टाइम्स ने एक वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारी का हवाला देते हुए कहा, “नाथ कांग्रेस पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष हैं ऐसे में वो पाने गढ़ छिंदवाड़ा पर ज्यादा समय नहीं दे पाएंगे। वो राज्य में पार्टी के प्रचार में व्यस्त रहेंगे।” पदाधिकारी ने जो कहा उसमें दम है और ये बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित होगा।

गुना-शिवपुरी क्षेत्र में भी बीजेपी कड़ी मेहनत कर रही है। ये क्षेत्र पार्टी के युवा नेता और सीएम उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है। । सिंधिया की बुआ और शिवराज सरकार में मंत्री यशोधरा राजे की इस इलाके में अच्छी पकड़ है। फिर भी, इस इलाके में बीजेपी के पास दमदार उम्मीदवार नहीं है। ऐसे में पार्टी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी गयी है।  नरेंद्र सिंह तोमर इस समय ग्वालियर से सांसद हैं और वहीं प्रचार करेंगे। पार्टी ने तोमर की मदद पूर्व सांसद माया सिंह करेंगी। माया सिंह की शादी सिंधिया परिवार में हुई है। हालांकि, इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। बीजेपी के कई अन्य प्रमुख नेता भी गुना-शिवपुरी- ग्वालियर क्षेत्र में चुनाव प्रचार करेंगे। ऐसे में स्पष्ट रूप से बीजेपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और सिंधिया के खिलाफ अपनी रणनीति को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

बीजेपी के स्टार प्रचारक और ट्रम्प कार्ड पीएम मोदी भी राज्य में प्रचार करेंगे। बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, “पीएम मोदी और शिवराज सिंह चौहान भाजपा के प्रचार का चेहरा होंगे।”

कई बीजेपी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के भीतरखाने में चल रहा मतभेद और गुटबाजी से बीजेपी को फायदा होगा। इसमें कोई शक भी नहीं है कि कांग्रेस में चल रही गुटबाजी से पार्टी को काफी नुक्सान होने वाला है क्योंकि कांग्रेस के समर्थक तीन खेमों में बंटते हुए नजर आ रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के समर्थक आपस में बंटे हुए से नजर आ रहे हैं। स्पष्ट रूप से इससे कांग्रेस को नुक्सान होने वाला। कांग्रेस को सबसे ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ की लड़ाई भारी पड़ने वाली है।

मध्य प्रदेश हो या राजस्थान या हो छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता आपस में ही टिकट के लिए लड़ रहे हैं तो कोई सीएम बनने के सपने देख रहा है। पिछले हफ्ते मध्य प्रदेश कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था जब पार्टी के पूर्व सांसद रहे प्रेमचंद गुड्डू ने दिल्ली में कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में बीजेपी में शामिल हो गये। गुड्डू ने कहा कि कांग्रेस आंतरिक मतभेद से गुजर रही है। ये शर्मनाक है कि राज्य के राजा-महाराजा एक टिकट के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि इससे बीजेपी को फायदा होगा और राज्य में कांग्रेस के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी की स्थिति मजबूत होगी।

स्पष्ट रूप से बीजेपी मध्य प्रदेश में अपनी रणनीति के तहत जमीनी स्तर पर अपनी पकड को मजबूत करने में कामयाब होगी लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच चल रहे मतभेद को सुलझाने में ही काई वत लगने वाला है।

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