महापौर मालिनी गौड़ ने बदली इंदौर की रुपरेखा

इंदौर मालिनी गौड़

इन दिनों पंजाब कैबिनेट के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे लेकिन ऐसा लगता है कि उनका ये प्रचार कांग्रेस के लिए भारी साबित होने वाला है। इंदौर के एक चुनावी रैली में सिद्धू ने इंदौर की महापौर (मेयर) श्रीमती मालिनी लक्ष्मण गौड़ पर विवादित टिप्पणी की। सिद्धू ने रैली में कहा, “ताली ठोको और इसके साथ महापौर को भी ठोको।” सिद्धू की ये विवादित टिप्पणी उस महिला का अपमान करती है जिसने इंदौर के कायाकल्प में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वो शहर जो देश के सबसे गंदे शहरों में गिना जाता था आज वो स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 और 2018 के रिपोर्ट में भारत का सबसे स्वच्छ शहर के रूप में उभरा है।

मीडिया ने अपनी न्यूज़ में प्रमुखता इंदौर में आये बड़े परिवर्तन की खूब सराहना की। हालांकि, बहुत कम ही लोग ये जानते हैं कि 2015 में जो इंदौर 180 वें स्थान पर था और 2017 में पहले स्थान पर लाने के पीछे किसका हाथ रहा है। मालिनी गौड़ लक्ष्मण सिंह गौड़ की विधवा हैं जो मध्य प्रदेश के उच्चशिक्षा मंत्री थे लेकिन एक कार दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी। साल 2015 में उन्होंने इंदौर महापौर का कार्यभार संभाला था उसके बाद से उन्होंने शहर की रुपरेखा बदलने का काम शुरू कर दिया। मालिनी गौड़ ने अपने एक बयान में कहा था कि, “जब लाल किले से साल 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की घोषणा की थी उसी दिन से हमने काम करने का फैसला कर लिया था।” वो शहर जिसकी आबादी लगभग 20 लाख है वहां कूड़ा फेकने वालों पर जुर्माने का प्रावधान किया गया। जुर्माने की राशि 100 रुपये 1 लाख रुपये तक की रखी गयी थी। मालिनी गौड़ ने कहा, “ये सिर्फ डर नहीं है, बल्कि आईएमसी द्वारा किये गये कार्यों का लोग सम्मान करते हैं।” मालिनी गौड़ ने आगे कहा कि उन्होंने एक टिकाऊ और बेहतर सीवेज (मलजल शोधन संयंत्र) की व्यवस्था भी की। साल 2015 में पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) 145 माइक्रोग्राम प्रति यूनिट से घटकर साल 2018 में 70 हो गया था और आने वाले वर्षों में इसे 40 तक लाने की योजना है। लगभग 150 नगर पालिकाओं के प्रशासकों ने रिकॉर्ड समय में इंदौर का समय समय पर दौरा किया। गौड़ ने कहा, ये राजनीतिक और प्रशासनिक प्रयास हैं और लोगों का समर्थन है।

उन्हें बिज़नस लॉबी और सफाई कर्मियों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें समर्थन दिया और सफाई अभियान के लिए जरुरी धनराशि प्रदान की। इंदौर महापौर ने कहा, सिर्फ राज्य सरकार द्वारा सफाई अभियान के लिए दी गयी राशि ही नहीं थी जिससे इस मिशन को पूरा किया जा सका बल्कि इसमें इंदौर नगर निगम (आईएनसी) की भी अहम भूमिका रही जिसकी तरफ से स्वच्छ भारत मिशन के तहत 400 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। स्वछता मिशन को पूरा करने के लिए हर महीने घर और कंपनियां 60 से 90 रुपये का भुगतान करती हैं।

शहरों की कहानी को हमारी इतिहास किताबों में दिलचस्प तरीके से नहीं बताया गया है। लंबे समय से शहरों की सफाई को अनदेखा किया जाता रहा। इतिहास में भी शहरों की कहनियों को दिलचस्प तरीके से नहीं बताया गया है। हालांकि, आर्थिक उदारीकरण के बाद से देश के शहरो की कहानी वास्तव में शुरू हुई थी। आने वाले दशकों में कई शहर प्रमुखता से उभरेंगे। यदि हम शहरी संस्कृतियों का पता लगाने के लिए इतिहास देखते हैं, तो मानव सभ्यता सिर्फ शहरीकरण तक ही सीमित लगती है। जब भी मनुष्य प्रगति की दिशा में बढ़ता है तो शहर भी साथ आगे बढ़ता है। चाहे वो सिंधु घाटी सभ्यता हो या गुप्त साम्राज्य की तरह ही ऐसा लगता है कि एक बार फिर से भारत विकास की दिशा में एक नयी कहानी बून रहा है।

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