चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को लगाई फटकार

प्रशांत भूषण राफेल चीफ जस्टिस

PC: News18.com

बुधवार को राफेल मामले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जाने-माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को फटकार लगाई। चीफ जस्टिस ने कहा, “मिस्टर भूषण, जल्दबाजी न करें।” इसके बाद प्रशांत भूषण ने अपनी गलती को समझा और फिर अपनी गलती को स्वीकार भी किया। इसके बाद अपने जवाब में भूषण ने कहा, “हम जल्दी में थे, यही वजह है ये गलती हुई।” इसपर चीफ जस्टिस ने कहा, “भूषण जी जल्दबाजी न करें।”

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राफेल मुद्दे पर सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बीच काफी बहसबाजी भी हुई जिससे माहौल गरमा गया। प्रशांत भूषण ने दावा किया कि सरकार ने गोपनीयता प्रावधान की आड़ में राफेल विमानों की कीमत का खुलासा नहीं किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से पूछा कि, “आखिर राफेल की कीमते बता देने से देश की सुरक्षा को कैसे खतरा पहुंचेगा?” प्रशांत भूषण ने दावा किया कि एमएमआरसी राफेल जेट की प्रत्येक यूनिट की लागत 155 मिलियन डॉलर है। इसके जवाब में केके वेणुगोपाल ने भूषण से अपने इन दावों से जुड़े सबूत पेश करने को कहा क्योंकि गोपनीयता प्रावधान के तहत राफेल जेट की कीमत को बताया नहीं गया है फिर उन्हें ये जानकारी कहां से प्राप्त हुई। केके वेणुगोपाल ने कहा कि, “उन्हें ये कैसे पता चला? जबकि इसे गोपनीय रखा गया है। उन्हें अपने दावों के लिए सबूत पेश करना चाहिए कि वो किस आधार पर दलील दे रहे हैं।“

राफेल के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान केंद्र की मोदी सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कीमत की जानकारी बंद लिफाफे में दे दी गई है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब सुप्रीम कोर्ट बेंच ने प्रशांत भूषण से कहा कि उतना ही बोलें जितना जरुरी है। चीफ जस्टिस ने भूषण से कहा, “हम आपको सुनवाई के दौरान पूरा मौका दे रहे हैं। इस अवसर का सही उपयोग करें और सिर्फ उन्हीं चीजों के बारें में बात करें जो जरुरी हैं।”

सोमवार को केंद्र सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। इस दस्तावेज का शीर्षक “36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाये गये कदमों का विवरण” है। इसमें कहा गया है कि राफेल विमान खरीदने के लिए, रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित मानकों का पालन किया गया है। केंद्र सरकार ने कीमत से कीमत से जुड़ी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को बंद लिफाफे में दी है।

पिछले महीने केंद्र सरकार से 36 राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस से खरीदने की कीमतों का विवरण दस दिनों के भीतर देने के लिए कहा कहा था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि यदि लड़ाकू विमानों की कीमतों का विवरण ‘विशेष और गोपनीय है’ और अगर इसे कोर्ट के साथ साझा नहीं किया जा सकता तो केंद्र को इसके लिए एक हलफनामा दाखिल करना चाहिए। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।

 

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