केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज ने सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है। विदेश मंत्री ने यह घोषणा मध्यप्रदेश के इंदौर में एक संवाददाता सम्मेलन में किया। उन्होंने बताया कि हमने अपना निर्णय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तक भी पहुंचा दिया है। 66 वर्षीय मंत्री ने राजनीति से सन्यास की घोषणा के पीछे स्वास्थ्य का कारण बताया।
It is the party which decides, but I have made up my mind not to contest next elections: External Affairs Minister and Vidisha MP Sushma Swaraj pic.twitter.com/G3cHC6pKGh
— ANI (@ANI) November 20, 2018
बता दें सुषमा स्वराज मध्यप्रदेश के विदिशा क्षेत्र से सांसद हैं। वो पार्टी में बड़ा कद रखती हैं। वो काफी तेज तर्रार नेताओं में गिनी जाती हैं। इस समय वो मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार में जुटी हैं। उन्हें मधुमेह की बीमारी है। इससे पहले कई मौकों पर स्वास्थ्य कारणों से अस्पतालों में एडमिट हो चुकी हैं। साल 2016 में उन्हें बुखार और निमोनिया के लक्षण के साथ सीने में जकड़न की समस्या हो चुकी है जिस वजह से उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्हें डायलिसिस पर भी रखा गया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया था। साल 2016 में 10 दिसंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 50 डॉक्टरों के एक दल द्वारा सुषमा स्वराज का किडनी प्रत्यारोपण किया गया था। उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति ने किडनी दी थी। हालांकि एम्स में भर्ती रहने के दौरान भी वो विदेशों में रह रहे भारतीयों की लगातार मदद करती रहीं हैं।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपने कामों में तत्परता और सक्रियता को लेकर काफी चर्चे में रहती हैं। विदेश मंत्री रहते समय बीमार होने के बावजूद वो अपने कामों को काफी सक्रियता से निभाती थीं। वह कई बार प्रवासी भारतीयों, विदेश गए भारतीयों और विदेशों में फंसे भारतीयों की एक ट्विट मात्र पाकर मदद कर चुकी हैं। ट्विटर के माध्यम से सुषमा स्वराज मदद करने के लिए जानी जाती हैं। एक अंतर-धार्मिक जोड़े को पासपोर्ट नहीं मिल रहा था। उसने अपनी समस्या ट्विटर पर डाली। विदेशमंत्री ने तत्काल मंत्रालय को पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया था।
इतना ही नहीं, वैश्विक मंचों पर भी सुषमा स्वराज काफी बेबाकी से भारत का पक्ष रखती रही हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ का मंच हो या फिर कोई और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच, सुषमा स्वराज बेबाकी से भारत का पक्ष रखती रही हैं। वो आतंक को लेकर कई बार वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को लताड़ चुकी हैं। सुषमा स्वराज के मंत्री पद पर बनी सक्रियता के चलते पार्टी में उनका अहम पद और कद था। कई मौकों पर खुद प्रधानंत्री उनके कामों की सार्वजनिक मंच से तारीफ कर चुके हैं।
यहां तक कि सुषमा स्वराज के उभरते व्यक्तित्व का ही असर था कि विपक्ष 2019 के आम चुनाव में एनडीए के 180 सीटों तक रुक जाने की स्थिति में सुषमा स्वराज के पीएम बनने की संभावनाओं को खूब हवा दी गयी था। बीच में ऐसी अफवाहें उड़ाई गई थीं कि अगर जनता भाजपा को 180 सीटों तक रोक देती है तो घटक दल सुषमा के पीएम बनने की शर्त पर ही एनडीए को समर्थन देंगे। इस तरह से मोदी पीएम नहीं बनेंगे। उनका उद्देश्य जनता द्वारा एनडीए को 180 सीटों तक ही रोक देने के साथ पार्टी में मतभेद और आपसी फूट को जन्म देना था। लेकिन 66 वर्षीय मंत्री द्वारा लिए गए अचानक इस निर्णय ने सभी का मुंह बंद करा दिया है। विदेश मंत्री के इस निर्णय से विपक्षियों की अफवाहों को करारा झटका लगा है। अब ऐसे में विपक्ष को एनडीए को रोकने के लिए किसी दूसरी अफवाह को ढूंढ़ना होगा।