रॉबर्ट वाड्रा ने जमीन खरीदने के लिए जिस कंपनी से लिया था कर्ज उसे टैक्स में मिली भारी छूट

रॉबर्ट वाड्रा

PC: Times Now News

यूपीए सरकार पूंजीवाद और भ्रष्टाचार का समय था। नेताओं के परिवार, दोस्त, रिश्तेदार हर सौदे का लाभ उठाते रहे और नियम और कानून की धज्जियां उड़ाते रहे। इसी क्रम में अब एक और खुलासा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस कमपनी ने रॉबर्ट वाड्रा ने भूमि खरीदने के लिए कर्ज लिया था उन्हें टैक्स में भारी छूट दी गयी है वो भी 500 करोड़ रुपये की आय पर दी गयी है।

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने बीकानेर में एक विवादस्पद भूमि में लेनदेन के एक मामले में आयकर योग से भूषण पॉवर लिमिटेड एंड स्टील लिमिटेड से जुड़ी जानकारी मांगी थी। इसी कंपनी ने सोनिया गाँधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को सात गुना ज्यादा दाम पर जमीन खरीदने के लिए कर्ज दिया था। अब इस विवादस्पद भूमि को लेकर ईडी ने वाड्रा को समन भेजा है।

2011-12 में बीपीएसएल ने दिल्ली बेस्ड एलेजेनी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड को 5.64 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। इन पैसों का इस्तेमाल वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने बीकानेर में जमीन खरीदने के लिए किया था। दिसंबर 2011 में निपटान आयोग ने एक आदेश जारी किया और इस बात को स्वीकार किया कि उसने आयकर विभाग के खिलाफ बीपीएसएल के आवेदन को स्वीकार किया था। इसके बाद आयकर विभाग ने बीपीएसएल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और 2004-05 से लेकर 2011-12 तक कंपनी के जिन खातों में 800 करोड़ से ज्यादा की राशि हैं उन्हें जोड़ने के लिए कहा था।

अपने आखिरी आदेश में निपटान आयोग ने बताया कि उसने बीपीएसएल की आय वृद्धि को 317 करोड़ रुपये करके उसे 500 करोड़ रुपये की राहत पहुंचाई थी बल्कि अभियोजन पक्ष और दंड से सुरक्षा भी प्रदान की। निपटान आयोग के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद ने इस मामले में आयकर विभाग से कहा, ‘इस आदेश को पास हुए पांच साल हो चुके हैं। ये काफी पुरानी बात जय और मुझे ज्यादा कुछ याद भी नहीं है। मैं उस आयोग का सदस्य था जिन्होंने फाइनल आदेश पास किया था।

ये मामला तो सिर्फ एक उदाहरण है यूपीए सरकार में हुए भ्रष्टाचार के वो भी पार्टी के नेताओं के परिजन ही इसका लाभ उठाते रहे हैं। ए राजा से लेकर लालू प्रसाद यादव तक सभी ने सिस्टम के साथ छेड़खानी की क्योंकि कांग्रेस को सरकार चलाने के लिए समर्थन की जरूरत थी।  कांग्रेस के अधिकतर सहयोगी भी एक ही नीति को फॉलो कर रहे थे और अपने व्यक्तिगत हित के लिए सिस्टम के साथ फेर-बदल किया। कांग्रेस की सरकार यही वजह थी समय के साथ कमजोर होती गयी। सरकारी व्यवस्थाओं को खोखला करने में एक कसर अन्हीं छोड़ी गयी थी।

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