उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी द्वारा बनाई गई फिल्म ‘राम जन्मभूमि’ का ट्रेलर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। यह ट्रेलर दो दिन पहले लखनऊ में रिलीज किया गया था। रिजवी की यह फिल्म अयोध्या में राम जन्मभूमि से जुड़ी सियासत के साथ ही तीन तलाक और हलाला जैसी सामाजिक बुराईयों पर बनी है। बता दें कि, यह पहली ऐसी फीचर फिल्म है जो अयोध्या मेें राम मंदिर मुद्दे की सच्चाई को दिखाती है। वसीम रिजवी खुद ही इसके लेखक और निर्माता हैं। उन्होंने इस फिल्म में एक्टिंग भी की है। वहीं निर्देशन सनोज मिश्रा द्वारा किया गया है। रिजवी ने बताया है कि, मूवी 30 अक्टूबर से 2 नवंबर 1990 के बीच की उन घटनाओं को आधार बनाकर फिल्माई गई है, जब निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां चलायी गयी थीं। लखनऊ और अयोध्या में हुई फिल्म की शूटिंग और ट्रेलर के बाद यह कहा जा सकता है कि, फिल्म राम जन्मभूमि में अयोध्या विवाद का वास्तविक चित्रण किया गया है। साथ ही फिल्म में मुस्लिम धर्म की तीन तलाक व हलाला जैसी बुराईयों को लेकर भी बात की गई है। फिल्म सवाल करती है कि, राममंदिर कब तक एक मुद्दा बना रहेगा? वसीम रिजवी अयोध्या में मंदिर निर्माण का समर्थन भी करते रहे हैं।
बॉलीवुड का नहीं मिला साथ
फिल्म राम जन्मभूमि के देश और समाज के बड़े और ज्वलंत मुद्दो पर आधारित होने के बावजूद वसीम को यह मूवी इंडिपेंडेंट ही बनानी पड़ी। बॉलीवुड से इस मूवी को कोई सपोर्ट नहीं मिला है। यही नहीं वसीम को फिल्म के लिए थिएटर आर्टिस्ट ही लेने पड़े हैं। फिर भी ट्रेलर के वायरल होने के बाद ये कहा जा सकता है कि, ये सूपरहिट साबित होगी। रिजवी ने कहा है कि, “कट्टरपंथी समाज में मैनें अपनी छोटी सी आवाज उठाई थी। राम मंदिर यदि समझौते से बन जाए तो, यह सबसे अच्छी बात होगी। अभी मेरी उम्मीदें टूटी नहीं है।” ‘राम जन्मभूमि’ दिसंबर के लास्ट में रिलीज होनी है। करीब सवा दो घंटे की इस फिल्म में मनोज जोशी, गोविंद नामदेव, नाजनीन पाटनी और राजवीर सिंह अहम किरदार में हैं।
बाबरी मस्जिद शिया वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति- रिजवी
लखनऊ में अपनी फिल्म के ट्रेलर रिलीज के अवसर पर वसीम रिजवी ने कहा कि, वो राममंदिर पर अपने विचार को अब सिनेमा के माध्यम से पूरे देश तक पहुंचाने जा रहे है। उन्होंने कहा, “मुगल वंश के संस्थापक बाबर के कुछ भटके हुए समर्थक 16वीं सदी में अयोध्या में मीर बाकी द्वारा बनाये गये विवादित ढांचे के नाम पर देश का माहौल खराब कर रहे हैं। मीर बाकी शिया था, लिहाजा बाबरी मस्जिद शिया वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति है। बोर्ड का अध्यक्ष होने के नाते वह इस जमीन पर अपना दावा छोड़ रहे हैं और मंदिर बनाने की मांग कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मुझे पता है कि, धर्म के पाखंडी ठेकेदार और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करनेवाले नेताओं के लिए यह फिल्म बहुत चुभने वाली है, लेकिन हम इस फ़िल्म के साथ देश में राम जन्भूमि पर मंदिर के निर्माण के साथ ही हलाला जैसी शर्मनाक बुराई को समाज से जल्द से जल्द मिटाना चाहते है।” रिजवी ने कहा कि, इस फिल्म में किसी भी समुदाय पर निशाना नहीं साधा गया है। वसीम रिजवी ने बताया कि, 1992 में अयोध्या में हुए गोली कांड में निहत्थे कारसेवकों पर हुई गोलीबारी से ही फिल्म शुरू होती है। फिल्म में सदानन्द शास्त्री मुख्य किरदार हैं। फिल्म में शरई दफ्तर खोलकर देश के मुसलमानों को भड़काते हैं। शरई ने अपनी बहू के साथ हलाला कर उसका शोषण किया है। वहीं विलेन का रोल मौलाना जफर खान के नाम से है, जो पाकिस्तान के एजेंट हैं। फिल्म के आखिर में मुसलमान शरई और जफर की हकीकत पहचान जाते हैं और शरई को देश छोड़ना पड़ता है।
राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को सुलझाने के लिए बनेगा दबाव
विश्व हिंदू परिषद 25 नवंबर को अयोध्या में धर्म-सभा करने जा रही है। संघ की ओर से भी अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। वहीं साधू-संत भी सरकार पर दबाव बना रहें है। ऐसे में ‘राम जन्मभूमि’ मूवी मंदिर निर्माण के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में एक कदम बन सकती है। ‘राम जन्मभूमि’ फिल्म के लेखक और निर्माता तो पहले भी विवादित भूमि पर राममंदिर के निर्माण की बात कह चुके है। हालांकि कट्टर मुस्लिम संगठनों के विरोध के कारण वसीम रिज़वी को इसकी बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है। शिया वफ्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी का ऐसा मानना है कि, मुस्लिम राजनीति में रोटियां सेंकने वाले नेताओं और धर्म के ठेकेदारों पर यह फिल्म करारा प्रहार करेगी। मुस्लिम समाज की दर्दनाक कुप्रथाओं को यह दर्शको के सामने प्रस्तुत करेगी।