एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पीएम मोदी पर लगाए आरोप, ईडी के छापे की दिख रही बौखलाहट

एमनेस्टी इंटरनेशनल मोदी ईडी

PC: NDTV

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अवैध रूप से होने वाली विदेशी फंडिंग पर बहुत हद तक लगाम लगी है। इस कारण अवैध कार्यों के लिए विदेशी फंडिंग लेने वाली बहुत सारी गैर सरकारी संस्थाओं में बौखलाहट देखी जा रही है। इसी का एक उदाहरण कल फिर देखने का मिला है। ईडी का छापा पड़ने के बाद पश्चिमी देशों के लिए खास पूर्वाग्रह रखने वाली गैर सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संस्था एनमेस्टी इंटरनेशनल ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक ट्वीट किया है। जिसमें लिखा है कि, ‘पीएम मोदी आज भारत का जी-20 सम्मेलन में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने मानवाधिकारों की रक्षा का वचन दिया था लेकिन मोदी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और इस तरह के संगठनों को निशाना बना रहे हैं।’

संस्था ने आरोप लगाया कि, भारत जैसी बड़ी शक्ति को मानवाधिकार की रक्षा करनी चाहिए। ताकतवार नेता इस तरह से परेशान नहीं करते हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक वीडियो भी ट्वीट किया है और लिखा है कि, भारत में मीडिया हाउस पर छापे पड़ रहे हैं व कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है। एक ट्वीट में एमनेस्टी ने सवाल किया है कि, क्या सियोल शांति पुरस्कार से सम्मानित मोदी मानवाधिकार संगठनों को निशाना बना रहे हैं।

एमनेस्टी के इस ट्वीट के बाद बीजेपी ने उसके आरोपों पर पलटवार किया है। बीजेपी ने कहा है कि, एमनेस्टी इंटरनेशनल पीएम मोदी के पीछे पड़ी हुई है। पार्टी ने कहा कि, यह संस्था दुनियाभर में भारत को बदनाम कर रही है।

एमनेस्टी के इन आरोपों में कहीं से भी सच्चाई नजर नहीं आती बल्कि वह खुद ही कटघड़े में खड़ी होती हैं। दरअसल, इसी साल 25 अक्टूबर को एमनेस्टी के बेंगलुरु स्थित ऑफिस पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की थी। ईडी ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनिमय में धोखाधड़ी के एक मामले में उसके दो ठिकानों पर तलाशी ली। अधिकारियों ने कहा था कि, विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा दस्तावेजों की तलाश की जा रही है। अधिकारियों ने बताया था कि, ईडी विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के धन से संबंधित एनजीओ के खातों की केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहले से चल रही जांच के संदर्भ में फेमा के संभावित और कथित उल्लंघन की पड़ताल कर रही है।

इसके दो हफ्ते पहले ईडी द्वारा बेंगलुरु स्थित ग्रीनपीस एनजीओ पर भी छापा मारा गया था। जांच में ग्रीनपीस एनजीओ को गैरकानूनी रूप से विदेशी फंडिंग मिलने की बात सामने आई थी। इसके बाद ईडी ने ग्रीनपीस के बैंक खाते को सीज कर दिया था।

2014 से अगस्त 2016 के बीच हुई फंडिंग

ईडी की एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया पर यह कार्रवाई अगस्त 2018 में एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर की गई थी। अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में यूके स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य संस्थाओं से एमनेस्टी की भारत स्थित शाखा को फंडिंग होने का आरोप लगाया गया था। यह फंडिंग कई कमर्शियल चैनल्स के माध्यम से की गई। अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, यह रकम करीब 36 करोड़ रुपए थी जो बेंगलुरु स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल एनजीओ को मई 2014 से अगस्त 2016 के बीच मिली। यह फेमा का उल्लंघन था।

इडी के छापे के बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल के ये आरोप उसकी बौखलाहट ही दिखाते हैं। पीएम मोदी को निशाना बनाकर वह विश्व में महाशक्ति के रूप में उभर रहे भारत की छवि को खराब करना चाहती है। दरअसल, कांग्रेस के शासनकाल में अवैध विदेशी फंडिंग लेने वाली इन गैर सरकारी संस्थाओं ने खूब मौज मारी है। कांग्रेस अपने निजी स्वार्थों और वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए इन संस्थाओं को खुली छूट देती आई है। इस छूट की इन संस्थाओं को आदत पड़ गई थी। मोदी के सत्ता में आने के बाद इन संस्थाओं की विदेशी फंडिंग बंद होती जा रही है जिस कारण अब ये संस्थाएं डगमगाने लगी हैं और अब दुष्प्रचार पर उतर आई है। एनमेस्टी के ट्वीट के बाद उसकी सोशल मीडिया में खूब निंदा की जा रही है।

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