अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर विवाद सालों से चल रहा है और राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे को भुनाने में जुटी रहती हैं। इस बीच अयोध्या के इस विवादित स्थल पर एक संगठन ने चर्चा में आने के मकसद से याचिका दायर कर नमाज पढ़ने के लिए इजाजत की मांग की थी। इस याचिका को प्रयागराज (इलाहाबाद) हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने ख़ारिज कर दिया है और जिस संगठन ने ये याचिका दायर की थी उसपर जुर्माना भी लगाया है।
Lucknow High Court Bench dismisses petition filed by Al Rehman Trust seeking permission to offer Namaz at disputed Ayodhya site. Court fined petitioners Rs 5 Lakh saying 'petition's aim is to create unrest and waste court's time'.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 20, 2018
दरअसल, कुछ दिन पहले अल-रहमान नाम के संगठन ने अयोध्या के विवादित स्थल पर मुसलमानों को नमाज पढ़ने की इजाजत की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए संगठन पर पांच लाख का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने याचिका पर कहा कि इस तरह की याचिका दायर कर कोर्ट का समय न बर्बाद किया जाए जिसका मकसद समाज में नफरत फैलाने का हो। यही नहीं कोर्ट ने ये भी कहा है कि जुर्माना की राशि अदा न कर पाने में कोर्ट ने अयोध्या जिले के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि वो सख्ती दिखाते हुए राशि वसूले।
अल-रहमान संगठन उत्तर प्रदेश के रायबरेली में स्थित है और ये इस्लाम का प्रचार-प्रसार करता है। अल-रहमान नाम के संगठन ने अपनी याचिका में कहा है कि, अयोध्या के विवादित स्थल पर भगवान राम लला की मूर्ति रखी गयी है। वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत है तो मुसलमानों को भी नमाज पढ़ने के लिए अनुमति देनी चाहिए। इस याचिका में 2010 में अयोध्या मामले पर हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र भी है जिसमें कहा गया था कि विवादित भूमि पर मुसलमानों का भी एक तिहाई हिस्सा है। कोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए न सिर्फ इसे चर्चा में आने का एक जरिया बताया बल्कि समाज में नफरत फैलाने का उद्देश्य भी बताया।
संगठन द्वारा अपने दावों को न साबित कर पाने और कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए इस संगठन को पांच लाख की कीमत भी चुकानी पड़ेगी। वैसे ये कोई पहला मामला नहीं है जब अयोध्या में राम जन्मभूमि मुद्दे को लेकर समाज में टकराव फैलाने का उद्देश्य सामना आया हो। हाल ही में हिंदू संगठनों ने अयोध्या में शांतिपूर्वक धर्मसभा की थी जिससे राजनीतिक पार्टियों में बौखलाहट देखने को मिली थी। दक्षिण भारत में सक्रिय राजनैतिक पार्टी एसडीपीआई ने प्रेस कांफ्रेंस में तो बाबरी मस्जिद के समर्थन में अयोध्या में 25 लाख लोग जुटाने का बयान भी दे डाला था और भारी टकराव के संकेत दिए थे। जबकि कुछ अयोध्या के मुस्लिम और खुद मुस्लिम पक्षकार इक़बाल अंसारी ने भी कहा था कि कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण किया जाए। यही नहीं दिल्ली के जंतर मंतर पर तो भारी संख्या में देशभर से इकट्ठा हुए मुस्लिमों ने भी राम मंदिर निर्माण की बात कही थी। मतलब साफ़ है कि हिंदू और मुस्लिम सब साथ मिलकर बिना किसी हिंसा या विवाद के राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं लेकिन कुछ राजनीतिक पार्टियां और संगठन जानबूझकर अपने हित के लिए और चर्चा में बने रहने के लिए इस संवेदनशील मुद्दे पर लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं।